शब्द सलिला -
सैलाब या शैलाब?
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सही शब्द ’सैलाब’ ही है -’शैलाब ’ नहीं।
’सैलाब (सीन,ये,लाम,अलिफ़,बे) - अरबी/फ़ारसी का लफ़्ज़ है जो ’सैल’ और ’आब’ से बना है।
’सैल’ (अरबी लफ़्ज़) मानी बहाव और ’आब’(फ़ारसी लफ़्ज़) मानी पानी।
सैलाब माने पानी का बहाव ही होता है मगर इसका भावार्थ अचानक आए पानी के बहाव, जल-प्लावन. बाढ़ से ही लगाते है।
सैल के साथ आब का अलिफ़ वस्ल (मिल) हो गया है अत: ’सैल आब ’ के बजाय ’सैलाब’ ही पढ़ते और बोलते हैं। हिन्दी व्याकरण के अनुसार ’दीर्घ सन्धि’ है।
चूँकि ’सैल’ मानी ’बहाव’ होता है तो इसी लफ़्ज़ से ’सैलानी’ भी बना है -व ह जो निरन्तर सैर तफ़्रीह एक जगह से दूसरी जगह जाता रहता है।
आँसुओं की बाढ़ को सैल-ए-अश्क कहते हैं।
हिन्दी का ’शैल’ (पर्वत) और अंग्रेजी का sell (विक्रय), cell (प्रकोष्ठ) का इससे कोइ संबंध नहीं किंतु sail (पानी पर तिरना) का संबंध जोड़ा जा सकता है।
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