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शुक्रवार, 31 जनवरी 2020

कार्यशाला दोहा - कुण्डलिया

कार्यशाला

दोहा
धूप सुनहली साँझ की, कहती मन की बात।
सर्दी खेले खेल अब, कर न सकेगी घात। - चन्द्रकान्ता   
रोला 
कर न सकेगी घात, मात फिर भी दे देगी 
सूर्य-रश्मि को हार चंद्र-कांता दे देगी 
चकित सलिल संजीव हो, देखे सराहे रूप
अनुपम है यदि चांदनी तो अपूर्व है धूप   - संजीव 


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