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रविवार, 12 जनवरी 2020

सरस्वती वंदना - मोहन शशि

सरस्वती वंदना
मोहन शशि

















जन्म - १ अप्रैल १९३७, जबलपुर।
आत्मज - स्मृति शेष छाब्रनि देवी - स्मृतिशेष कालीचरण यादव।
जीवन संगिनी - श्रीमती राधा यादव।
संप्रति - प्रखर पत्रकार दैनिक नवभारत, दैनिक भास्कर जबलपुर, सूत्रधार मिलन।
प्रकाशन - काव्य संग्रह सरोज, तलाश एक दाहिने हाथ की, राखी नहीं आई, हत्यारी रात, शक्ति साधना, दुर्गा महिमा, अमिय, देश है तो सुनो, जान हैं बेटियाँ, बेटे से बेटी भली, जगो बुंदेला जगे बुंदेली।
उपलब्धि - वर्ल्ड यूथ कैंप युगोस्लाविया में सचिव, हिंदी काव्य पथ पर सुवर्णिक पदक, जगद्गुरु स्वामी स्वरूपानंद परकारिता पुरस्कार प्रथम विजेता, शताधिक साहित्यिक सम्मान।
संपर्क - गली २, शांति नगर, दमोह नाका, जबलपुर ४८२००२ मध्य प्रदेश।
चलभाष - ९४२४६५८९१९।
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माँ वाणी मधुमय कर वाणी।
जय जय जय माँ वीणापाणी।।

जयति-जयति जय सुर की सागर,
मात ज्ञान की भर दो गागर।
बुद्धि विवेक ज्ञान दो माता!,
जई-जयति सुख-शांति प्रदाता।
टेर सुनो माँ! जग कल्याणी!
जय जय जय माँ वीणापाणी।।

चाह नहीं तुलसी बन जाऊँ,
न 'कबीर' निर्गुण पथ पाऊँ।
न 'दिनकर' , न बनूँ 'निराला',
जुगनू सा मन भरो उजाला।
मात! विराजो 'शशि' की वाणी
जय जय जय माँ वीणापाणी।।
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