संध्या हो संजीव तो, दे रजनी को चंद
सिंह पराक्रम देखकर, तारे हँसते मंद
तारे हँसते मंद, सलिल में निज छवि देखें
शशि का निर्मल बिंब, सराह पूर्णिमा लेखें
पंकज परिमल बिखर,कहे भू हुई न वंध्या
सतरंगा नभ नमन करे, जब आए संध्या
सिंह पराक्रम देखकर, तारे हँसते मंद
तारे हँसते मंद, सलिल में निज छवि देखें
शशि का निर्मल बिंब, सराह पूर्णिमा लेखें
पंकज परिमल बिखर,कहे भू हुई न वंध्या
सतरंगा नभ नमन करे, जब आए संध्या
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