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बुधवार, 22 जनवरी 2020

नीर क्षीर दोहा यमक

नीर क्षीर दोहा यमक


कल की चिंता किये बिन, जो करते दुष्कर्म
ले कलकी अवतार प्रभु, मार निभायें धर्म
*
छलकी गोरस गगरिया, भीगी राधा मौन
छल की कथा न कह सकी, फोड़ गया छिप कौन?
*
हल की विधि जाने बिना, हलकी कोशिश व्यर्थ
हल की खेती हल बिना, करना रखे न अर्थ
*
नल की नलकी बंद पा, गगरी हुई उदास
पानी पानी हो रही, बिन पानी खो आस
*
फल की फ़िक्र किये बिना, चाहा फल लें तोड़
पत्थर साथी को लगा, रहे हाथ अब जोड़
*
मखमल को मल मल किया, मलमल सदृश महीन
घरवाली को क्रुद्ध पा, घरवाला है दीन
*
        


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