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शनिवार, 1 फ़रवरी 2020

माहिया

माहिया
*
हो गई सुबह आना
उषा से सूर्य कहे
आकर फिर मत जाना
*
तुम साथ सदा देना
हाथ हाथ में ले
जीवन नौका खेना
*
मैं प्राण देह है तू
दो होकर भी एक
मैं प्रीत; नेह है तू
*
रस-भाव; अर्थ-आखर
गति-यति; रूप-अरूप
प्रकृति-पुरुष; वधु-वर
*
कारक किसका कौन?
जीव न जो संजीव
साध-साधना मौन
*
कौन कहाँ भगवान?
देह अगेह अजान
गुणमय ही गुणवान
*
सर्व व्याप्त ओंकार
वही एक आधार
मैं-तुम हम साकार
*
जीवन पूजन जान
नेह नर्मदा-स्नान
कर; तज निज-पर भान
*
मत अहंकार में डूब
गिरते झाड़-पहाड़
पर दूब खूब की खूब
*
संजीव
१-२-२०२०
९४२५१८३२४४

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