सरस्वती वंदना - तमिल
महाकवि सुब्रमण्य भारती

*
वेळ्ळै तामरै....

वेल्लै तामरै पूविल इरुप्पाळ
वीणे से ̧युम ओलियिल इरुप्पाळ।
कोळ्ळै इन्बम कुलवु कविदै
कूरुम पावलर उळ्ळत्तिल इरुप्पाळ।। वेळ्ळै तामरै.....
उळ्ळताम पोरुळ तेड़ि उणर्दे
ओदुम वेदत्तिन उळ्निन्डंा ेळिर्वाळ।
कळ्ळमटं मुनिवर्गळ कूरुम
करुणैवासगतुट्पोरुळावाळ। वेळ्ळै तामरै.....
मादर तेन्कुरल पाट्टिलिरुप्पाळ,
मक्कळ पेसुम मळलयिल उळ्ळाळ।
गीतम पाडुम कुयिलिन कुरलिल
किळियिन नाविल इरुप्पिडम कोळ्वाळ।। वेळ्ळै तामरै.....

कोदगन्डं तोळि़लुदित्तागि
कुलवु चित्तिरम गोपुरम कोविल।
इदननैत्तिन एळि़लिडैयुटंाळ
इन्बमे वडिवागिड पेटंाळ।। वेळ्ळै तामरै.....
वेळ्ळै तामरै....
महाकवि सुब्रमण्य भारती रचित सरस्वती वंदना
श्वेत कमल.....अनुवाद-डाॅ.जमुना कृष्णराज
श्वेत कमल पुष्पों में बसती
और वीणा की झंकार में।
आनंदित करती कविता के
रचयिता के मन में है बसती।।श्वेत कमल.......
गूढ़ अर्थों को प्रबोध करते
वेदोच्चार के मंत्रों में बसती।
निष्कलंक मुनियों के करुणामय
वचनों का सार है बनती।।श्वेत कमल.......
गायिका के मीठे स्वर में और
शिशु की तुतली बोली में बसती।
गीत गाती कोयल के कंठ में
और तोते की जिव्हा में बसती।। श्वेत कमल.......
सुंदर चित्रों और कलाकृतियों में,
मंदिरों में भी है बसती।
सुंदरता साकार बन वह
खुशियाँ हमें है प्रदान करती।। श्वेत कमल.......
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महाकवि सुब्रमण्य भारती

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वेळ्ळै तामरै....

वेल्लै तामरै पूविल इरुप्पाळ
वीणे से ̧युम ओलियिल इरुप्पाळ।
कोळ्ळै इन्बम कुलवु कविदै
कूरुम पावलर उळ्ळत्तिल इरुप्पाळ।। वेळ्ळै तामरै.....
उळ्ळताम पोरुळ तेड़ि उणर्दे
ओदुम वेदत्तिन उळ्निन्डंा ेळिर्वाळ।
कळ्ळमटं मुनिवर्गळ कूरुम
करुणैवासगतुट्पोरुळावाळ। वेळ्ळै तामरै.....
मादर तेन्कुरल पाट्टिलिरुप्पाळ,
मक्कळ पेसुम मळलयिल उळ्ळाळ।
गीतम पाडुम कुयिलिन कुरलिल
किळियिन नाविल इरुप्पिडम कोळ्वाळ।। वेळ्ळै तामरै.....

कोदगन्डं तोळि़लुदित्तागि
कुलवु चित्तिरम गोपुरम कोविल।
इदननैत्तिन एळि़लिडैयुटंाळ
इन्बमे वडिवागिड पेटंाळ।। वेळ्ळै तामरै.....
वेळ्ळै तामरै....
महाकवि सुब्रमण्य भारती रचित सरस्वती वंदना
श्वेत कमल.....अनुवाद-डाॅ.जमुना कृष्णराज
श्वेत कमल पुष्पों में बसती
और वीणा की झंकार में।
आनंदित करती कविता के
रचयिता के मन में है बसती।।श्वेत कमल.......
गूढ़ अर्थों को प्रबोध करते
वेदोच्चार के मंत्रों में बसती।
निष्कलंक मुनियों के करुणामय
वचनों का सार है बनती।।श्वेत कमल.......
गायिका के मीठे स्वर में और
शिशु की तुतली बोली में बसती।
गीत गाती कोयल के कंठ में
और तोते की जिव्हा में बसती।। श्वेत कमल.......
सुंदर चित्रों और कलाकृतियों में,
मंदिरों में भी है बसती।
सुंदरता साकार बन वह
खुशियाँ हमें है प्रदान करती।। श्वेत कमल.......
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1 टिप्पणी:
.. बहुत ही अच्छी रचना आपने लिखी है ...नमन आपको!!
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