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गुरुवार, 21 नवंबर 2019

सरस्वती स्तवन: मालवी

सरस्वती स्तवन:
मालवी
संजीव
*
माँ सरसती! की किरपा घणी

लिखणो-पढ़णो जो सिखई री
सब बोली हुण में समई री
राखे मिठास लबालब भरी

मैया! कसी तमारी माया
नाम तमाया रहा भुलाया
सुमिरा तब जब मुस्कल पड़ी

माँ सरसती! दे मीठी बोली
ज्यूँ माखन में मिसरी घोली
सँग अक्कल की पारसमणि

मिहनत का सिखला दे मंतर
सच्चाई का दे दै तंतर
खुशियों की नी टूटै लड़ी

नादां गैरी नींद में सोयो
आँख खुली ते डर के रोयो
मन मंदिर में मूरत जड़ी
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२०-११-२०१७


९४२५१८३२४४

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