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मंगलवार, 12 नवंबर 2019

दोहे


एक दोहा 
छठ पूजन कर एक दिन, शेष दिवस नाबाद
दूध छठी का कराती, गृहस्वामी को याद 


अनपढ़ पढ़ता अनलिखा, समझ-बूझ चुपचाप.
जीवन पुस्तक है बडी, अक्षर-अक्षर आप.
*
छठ के दोहे
*
छठ पूजन कर एक दिन, शेष दिवस नाबाद
दूध छठी का कराती, गृहस्वामी को याद
*
हरछठ पर 'हऱ' ने किए, नखरे कई हजार
'हिज़' बेचारा उठाता, नखरे बाजी हार
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नाक-शीर्ष से सर तलक, भरी देख ले माँग
माँग न पूरी की अगर, बच न सकेगी टाँग
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'मी टू' छठ का व्रत रही, तू न रहा क्यों बोल?
ढँकी न अब रह सकेगी, खोलेगी वह पोल
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माँग नहीं जिसकी भरी, रही एक वर माँग
माँग भरे वह कर सके, जो पूरी हर माँग

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