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गुरुवार, 21 नवंबर 2019

सरस्वती वंदना भोजपुरी संजीव

सरस्वती वंदना
भोजपुरी
संजीव
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पल-पल सुमिरत माई सुरसती, अउर न पूजी केहू
कलम-काव्य में मन केंद्रित कर, अउर न लेखी केहू

रउआ जनम-जनम के नाता, कइसे ई छुटि जाई
नेह नरमदा नहा-नहा माटी कंचन बन जाई

अलंकार बिन खुश न रहेलू, काव्य-कामिनी मैया
काव्य कलश भर छंद क्षीर से, दे आँचल के छैंया

आखर-आखर साँच कहेलू, झूठ न कबहूँ बोले
हमरा के नव रस, बिम्ब-प्रतीक समो ले

किरपा करि सिखवावलु कविता, शब्द ब्रह्म रस खानी
बरनौं तोकर कीर्ति कहाँ तक, चकराइल मति-बानी

जिनगी भइल व्यर्थ आसिस बिन, दस दिस भयल अन्हरिया
धूप-दीप स्वीकार करेलु, अर्पित दोऊ बिरिया
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२१-११-२०१९
९४२५१८३२४४

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