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शुक्रवार, 15 नवंबर 2019

गीत

गीत
*
जो चाहेंगे
वह कर लेंगे
छू लेंगे
कदम रोक ले
नहीं कहीं भी
कोई ऐसा पाश।
*
शब्द
निशब्द
देख तितली को
भरते नित्य उड़ान।
रुकें
चुकें झट
क्यों न जूझते
मुश्किल से इंसान?
घेर
भले लें
शशि को बादल
उड़ जाएँगे हार।
चटक
चाँदनी
फैला भू पर
दे धरती उजियार।
करे सलिल को
रजताभित मिल
बिछुड़ न जाए काश।
कदम रोक ले
नहीं कहीं भी
कोई ऐसा पाश।
*
दर्द
न व्यापे
हृदय न कांपे
छू ले नया वितान।
मोह
न रोके
द्रोह न झोंके
भट्टी में ईमान।
हो
सच व्यक्त
ज़िंदगी का हर
जयी तभी हो गीत।
हर्ष
प्रीत
उल्लास बिना
मर जाएगा नवगीत।
भूल विसंगति
सुना सुसंगति
जीवित हो तब लाश।
कदम रोक ले
नहीं कहीं भी
कोई ऐसा पाश।
*
संजीव
१४-११-२०१९
९४२५१८३२४४

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