मुक्तिका:
प्रश्न वन
संजीव 'सलिल'
*
प्रश्न वन में रह रहे हैं आजकल.
उत्तरों बिन दह रहे हैं आजकल..
शिकायत-शिकवा किसी से क्या करें?
जो अचल थे बह रहे आजकल..
सत्य का वध नुक्कड़ों-संसद में कर.
अवध खुद को कह रहे हैं आजकल..
काबिले-तारीफ हिम्मत आपकी.
सच को चुप रह सह रहे हैं आजकल..
लाये खाली हाथ भरकर जायेंगे.
जर-जमीनें गह रहे हैं आजकल..
ज्यों की त्यों चादर रहेगी किस तरह?
थान अनगिन तह रहे हैं आजकल..
ढाई आखर पढ़ न पाये जो 'सलिल'
सियासत में शह रहे हैं आजकल..
'सलिल' सदियों में बनाये मूल्य जो
बिखर-पल में ढह रहे हैं आजकल..
***************************
Acharya Sanjiv Salil
http://divyanarmada.blogspot.com
प्रश्न वन
संजीव 'सलिल'
*
प्रश्न वन में रह रहे हैं आजकल.
उत्तरों बिन दह रहे हैं आजकल..
शिकायत-शिकवा किसी से क्या करें?
जो अचल थे बह रहे आजकल..
सत्य का वध नुक्कड़ों-संसद में कर.
अवध खुद को कह रहे हैं आजकल..
काबिले-तारीफ हिम्मत आपकी.
सच को चुप रह सह रहे हैं आजकल..
लाये खाली हाथ भरकर जायेंगे.
जर-जमीनें गह रहे हैं आजकल..
ज्यों की त्यों चादर रहेगी किस तरह?
थान अनगिन तह रहे हैं आजकल..
ढाई आखर पढ़ न पाये जो 'सलिल'
सियासत में शह रहे हैं आजकल..
'सलिल' सदियों में बनाये मूल्य जो
बिखर-पल में ढह रहे हैं आजकल..
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Acharya Sanjiv Salil
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