मैथिली हाइकु :
"शिष्य देखल "
कुसुम ठाकुर
*
*
ओ शिष्य कहाबथि
छथि विनम्र
*
गुरु हुनक
सौभाग्य हमर ई
ओ भेंटलथि
*
इच्छा हुनक
बनल छी माध्यम
तरि जायब
*
भरोस छैन्ह
छी हमर प्रयास
परिणाम की ?
*
भाषा प्रेमक
नहि उदाहरण
छथि व्यक्तित्व
*
छैन्ह उद्गार
देखल उपासक
नहि उपमा
*
कहथि नहि
विवेकपूर्ण छथि
उत्तम लोक
*
सामर्थ्य छैन्ह
प्रोत्साहन अद्भुत
हुलसगर
*
प्रयास करि
उत्तम फल भेंटs
तs कोन हानि
*
सेवा करथि
गंगाक उपासक
छथि सलिल
*
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें