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गुरुवार, 19 नवंबर 2020

मुक्तक

मुक्तक (दंडक छंद २७ वर्ण, ४० मात्रा) 
नाम से, काम से प्यार करिए सदा, प्यार बिन जिंदगी-बंदगी कब हुई?
काम तलवार का काटना ही रहा, कट गया कुछ अगर जोड़ती है सुई
राम जंगल गए तब सिया थी सगी, राम शासक बने तो पराई हुई 
बेीमां है सियासत; सिया-सत बिना, लांछित हो हुई वंचिता खुद मुई   
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