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शनिवार, 18 जुलाई 2020

विमर्श: इतिहास और भविष्य

विमर्श:
इतिहास और भविष्य
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अकबर महान है या महाराणा प्रताप???
ये कैसा प्रश्न,कैसा मुद्दा आज पूरे देश मे उठाया जा रहा है??ऐसी दुविधा उत्पन्न करने वाले महानुभावों से मेरा अनुरोध है कि आप इतिहास बदलने पर जितना ज़ोर दे रहे हैं उतना प्रयास व उतना समय एक नया इतिहास गढ़ने में दीजिये।
एक विदुषी ने अपने पन्ने पर अकबर पर लगाए जा रहे आक्षेपों पर आपत्ति करते हुए प्रताप से तुलना पर आपत्ति की है. इस सिलसिले में अपना मत प्रस्तुत कर रहा हूँ आप सबकी राय जानने के लिए.
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इतिहास को पढ़ें और समझें तब कुछ कहें. अकबर कहीं से सुख सुविधा के लिए आया नहीं था. उसके बाप-दादे आये थे. अकबर भारत में ही पैदा हुआ और पाला-पोसा गया था. अकबर केवल सत्ता और भोग-विलास के लिए अपने ही देशवासियों पर जुल्म करता गया. रानी दुर्गावती और चाँद बीबी अकबर की माँ की उम्र की थीं किन्तु दोनों के रूप-लावण्य के चर्चे सुनकर उनक्को अपने हरम में लाने के लिए अकबर ने आक्रमण कर उनके समृद्ध सुसंचालित राज्य नष्ट कर दिए. बुंदेलखंड की विदुषी सुंदरी राय प्रवीण को अपने पास भेजने के लिए ओरछा के राजा को विवश किया. यह दीगर बात है कि राय प्रवीण अपनी बुद्धिमता से बच गयीं. महाराणा प्रताप भी अकबर से बहुत बड़े थे. भारतीय होते हुए भी अकबर ने खुद को कभी भारतीय नहीं समझा, खुद को मुगलिया और तैमूरी कहता रहा. अकबर इस देश की मिट्टी का गुनाहगार है. रावण ने लंका के खिलाफ कभी कुछ नहीं किया. अकबर ने भारत के हित में कुछ नहीं किया. अफ़सोस की खुद को बुद्धिजीवी समझनेवाले बिना इतिहास को समझे दूसरों को कटघरे में खड़ा करते हैं. गोंडवाने के मूल निवासी दुर्गावती के बलिदान के लगभग २७० साल बाद भी उन्हें पूजते और अकबर को लानत भेजते हैं. यही स्थिति राजस्थान में है. क्या आपको यह ज्ञात है कि अकबर के नवरत्नों में सम्मिलित बीरबल और तानसेन भारतीय राजाओं के गद्दार थे. उन्हें अपने राज्यों के भेद बताने और अपने ही राज्यों पर मुग़ल आक्रमण में मदद का पुरस्कार दिया गया था. भारतीय होने के नाते भारत की परम्परा और मूल्यों को समझकर इतिहास का मूल्यांकन करें तो बेहतर होगा.

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