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गुरुवार, 23 जुलाई 2020

दोहा सलिला

दोहा सलिला
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जो न उषा को चाह्ता, उसके फूटे भाग
कौन सुबह आकर कहे, उससे जल्दी जाग
*
लाल-गुलाबी जब दिखें, मनुआ प्राची-गाल
सेज छोड़कर नमन कर, फेर कर्म की माल
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२३-७-२०१४ 
है यह इच्छा राम की, भारत हो जग श्रेष्ठ.
हम निज मन में झाँककर, नष्ट करें सब नेेष्ठ.

२३-७-२०१४ 

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