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सोमवार, 27 जुलाई 2020

कविता पुरुष

एक रचना
पुरुष
*
तुम्हें न देखूँ
तो शिकायत
किया करता हूँ अदेखा
पुरुष हूँ न.
.
तुम्हें देखूँ
तो शिकायत
देखता हूँ
पुरुष हूँ न.
.
काश तुम लो
आँख मुझसे फेर
मुझको कर अदेखा
जी सकूँ मैं चैन से
पुरुष हूँ न.
***
salil.sanjiv@gmail.com

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