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गुरुवार, 23 जुलाई 2020

लोकगीत
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झूम-झूम बरसे बदरिया रे!
हाय! कितै बिलमे सँवरिया रे!
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टेर रओ कँगना, बजे पायल
राम! मेरो मनुआ मुआ घायल
नैनन से अँसुन की धारा बही
गालन पे करिया बहो काजल
तरा भरो, उफनाइ नदिया रे!
हाय! कितै बिलमे सँवरिया रे!
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मटक रओ मादल लए टिमकी
फूलन खों चूम रई तितली
बदरन खों हाल बेहाल भओ
करकें निहाल गिरी बिजुरी
शिव सँगे नचे परबतिया रे!
हाय! कितै बिलमे सँवरिया रे!
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बिरहन की पीरा ने कोउ जानें
मर रई बैरन ननद तानें
जेठ-जेठानी कुठरिया में
छेड़ रओ देवरा दुपरिया में
हेर रई गइला जवनिआ रे!
हाय! कितै बिलमे सँवरिया रे!
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