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सोमवार, 27 जुलाई 2020

नवगीत

नवगीत
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पीट रहे सिर भगतसिंह
बिलख रहे आजाद
*
हिंदुस्तान गुलाम है
करे इंडिया राज
हिदी के सिर चढ़ रही
इंग्लिश पहने ताज
तंत्र छीनकर लोक के
सरेआम अधिकार
काट-रौंद जंगल करे
खेती को बर्बाद
*
मार राष्ट्र की आत्मा
सज नेशन की देह
जीती बस खुद के लिए
तज परिवार अदेह
जैसे भी हो चाहिए
पॉवर, पैसा, प्यार
आम आदमी मर रहा
पूँजीपति आबाद
*
हिंदी की बिंदी मिटा
अंग्रेजी सिर बैठ
साली जैसे कर रही
घर में घुस घुसपैठ
हिंदी बीबी घर मिले
करे बिलख फरियाद
*
२७-७-२०२० 

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