कुल पेज दृश्य

शनिवार, 5 जनवरी 2019

navgeet ugna nit

नवगीत:
संजीव
.
उगना नित
हँस सूरज
धरती पर रखना पग
जलना नित, बुझना मत
तजना मत, अपना मग
छिपना मत, छलना मत
चलना नित
उठ सूरज
लिखना मत खत सूरज
दिखना मत बुत सूरज
हरना सब तम सूरज
करना कम गम सूरज
मलना मत
कर सूरज
कलियों पर तुहिना सम
कुसुमों पर गहना बन
सजना तुम सजना सम
फिरना तुम भँवरा बन
खिलना फिर
ढल सूरज
***
२.१.२०१५

कोई टिप्पणी नहीं: