नमन
*
नमन,
न मन तो भी करें
नम न अहम् सब व्यर्थ।
*
व्यर्थ
अहम् का वहम है
आप न होता नष्ट।
आप आपको,
अन्य सब
को भी देता कष्ट।।
पता न चलता
अहम् से
कब क्या हुआ अनिष्ट?
गत देखें
करता रहा
अहम् सदैव अनर्थ।
नमन
न मन तो भी करें
नम न अहम् सब व्यर्थ।।
*
व्यर्थ नहीं
कण मात्र भी,
कण-कण में मौजूद।
वही
न जिसके बिना है
कोई कहीं वजूद।।
नादां!
सच को समझ ले
व्यर्थ मत उछल-कूद।
केवल वह
दूजा यहाँ,
कोई नहीं समर्थ।
नमन
न मन तो भी करें
नम न अहम् सब व्यर्थ।।
***
दिव्य नर्मदा : हिंदी तथा अन्य भाषाओँ के मध्य साहित्यिक-सांस्कृतिक-सामाजिक संपर्क हेतु रचना सेतु A plateform for literal, social, cultural and spiritual creative works. Bridges gap between HINDI and other languages, literature and other forms of expression.
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गुरुवार, 10 जनवरी 2019
गीत-नमन
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