नवगीत:
अविनाश ब्यौहार
*
हर सू इस शहर
अविनाश ब्यौहार
*
हर सू इस शहर
में क्रन्दन है!
*
आब हवा
बदली-बदली है!
सभ्यता दूषित
गंदली है!!
भाईचारा होने में
भी निबन्धन है!
*
निराशाओं के अब्र
घने हैं!
सपने सारे
धूल सने हैं!!
तपन दिखाता
मलयागिरी चन्दन है!
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रायल एस्टेट कटंगी रोड
जबलपुर
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