चौपाई मुक्तक
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यायावर मन दर-दर भटके, पर माया मृग हाथ न आए।
नर-नारायण तन नारद को, कर वानर शापित हो जाए।।
२५.११.२०१७
राजकुमारी चाह मनुज को, सौ-सौ नाच नचाती बचना।
'सलिल' अधूरी तृष्णा चालित हो, क्यों निज उपहास कराए।।
२६.११.२०१८
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यायावर मन दर-दर भटके, पर माया मृग हाथ न आए।
नर-नारायण तन नारद को, कर वानर शापित हो जाए।।
२५.११.२०१७
राजकुमारी चाह मनुज को, सौ-सौ नाच नचाती बचना।
'सलिल' अधूरी तृष्णा चालित हो, क्यों निज उपहास कराए।।
२६.११.२०१८
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