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सोमवार, 26 नवंबर 2018

chaupaee muktak चौपाई मुक्तक

चौपाई मुक्तक  
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यायावर मन दर-दर भटके, पर माया मृग हाथ न आए।  
नर-नारायण तन नारद को, कर वानर शापित हो जाए।। 
२५.११.२०१७ 
राजकुमारी चाह मनुज को, सौ-सौ नाच नचाती  बचना। 
'सलिल' अधूरी तृष्णा चालित हो, क्यों निज उपहास कराए।।
२६.११.२०१८ 
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