छठ के दोहे,  
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छठ पूजन कर एक दिन, शेष दिवस नाबाद 
दूध छठी का कराती,  गृहस्वामी को याद 
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हरछठ  पर 'हऱ' ने किए, नखरे कई हजार 
'हिज़' बेचारा उठाता, नखरे बाजी हार 
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नाक-शीर्ष से सर तलक, भरी देख ले माँग 
माँग न पूरी की अगर, बच न सकेगी टाँग
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'मी टू' छठ का व्रत रही, तू न रहा क्यों बोल?
ढँकी न अब रह सकेगी, खोलेगी वह पोल 
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माँग नहीं जिसकी भरी, रही एक वर माँग 
माँग भरे वह कर सके, जो पूरी हर माँग 
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