द्विपदियाँ / अश'आर
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तेवर देखें वक़्त के, करें सतत तदबीर
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जिस दर पर सजदा किया, मिला एक ही सत्य
दुनिया ने बुत तराशे, जिसके उसे भुलाया
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कितनों से कहा, उससे मगर कह न सके हम
जिसने हमें बनाया, आ! एक बार मिल
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चेहरे पे है सजाया, जिस नाज़नीं ने तिल
कैसे उसे बतायें, यह है किसी का दिल
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जैसे ही यह बताया हम हैं किसी काबिल
माशूक ने भिजवाया अपनी अदा का बिल
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दोहा
बदल सकेंगे तभी हम, कोशिश की तक़दीर
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हाथ मिला, मुँह मोड़ना, है सत्ता का खेल
केर-बेर का ही हुआ, राजनीति में मेल
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