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गुरुवार, 10 मार्च 2016

navgeet

नवगीत:
तुम्हीं से
*
जीवन का हर रंग
तुम्हीं से
जीवन पावन
गंग तुम्हीं से
*
तुम हरियाली तीज हो
केसर हरसिंगार
तुम ही करवाचौथ हो
रंगपंचमी-धार
तुम ही हरछट हो प्रिया
स्वीकारो भुज-हार
जीवन में सुख-संग
तुम्हीं से 
जीवन पावन
गंग तुम्हीं से
*
तुम सातें संतान की
तुम अष्टमी अहोई
महा-अष्टमी हो तुम्हीं
जन्माष्टमी गोई
हो नौमी श्री राम की
विजयादशमी सोई
ठंडाई में भंग
तुम्हीं से
जीवन पावन
गंग तुम्हीं से
*
धनतेरस पर हँसी तुम
रूप चतुर्दशी पूज
दीप अमावस पर जला  
गोवर्धन हो खूब
भाई-बहिन दूज पर
मिलें स्नेह में डूब
गुंजित घंटी-शंख
तुम्हीं से
जीवन पावन
गंग तुम्हीं से
***

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