नवगीत
आ गयीं तुम
*
आ गयीं तुम
संग लेकर
सुनहरी ऊषा-किरण शत।
*
परिंदे शत चहचहाते
कर रहे स्वागत।
हँस रहा लख वास्तु
है गृह-लक्ष्मी आगत।
छा गयी हैं
रख अलंकृत
दुपहरी-संध्या, चरण शत।
*
हीड़ते चूजे, चुपे पा
चौंच में दाना।
चाँद-तारे छा गगन पर
छेड़ते गाना।
भा गयी है
श्याम रजनी
कर रही निद्रा वरण शत।
*
बंद नयनों ने बसाये
शस्त्रों सपने।
सांस में घुल सांस ही
रचती नए सपने।
गा रहे मन-
प्राण नगमे
वर रहे युग्मित तरुण शत।
*
आ गयीं तुम
संग लेकर
सुनहरी ऊषा-किरण शत।
*
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