दोहा गीत:
गुलफाम
*
कद से ज्यादा बोलकर
आप मरे गुलफाम
*
घर से पढ़ने आये थे
लगी सियासत दाढ़,
भाषणबाजी-तालियाँ
ज्यों नरदे में बाढ़।
भूल गये कर्तव्य निज
याद रहे अधिकार,
देश-धर्म भूले, करें
अरि की जय-जयकार।
सेना की निंदा करें
खो बैठे ज्यों होश,
न्याय प्रक्रिया पर करें
व्यक्त अकारण रोष।
आसमान पर थूककर
हुए व्यर्थ बदनाम
कद से ज्यादा बोलकर
आप मरे गुलफाम
*
बडबोले नेता रहे
अपनी रोटी सेक,
राजनीति भट्टी जली
छात्र हो गये केक।
सुरा-सुंदरी संग रह
भूल गए पग राह,
अंगारों की दाह पा
कलप रहे भर आह।
भारत का जयघोष कर
धोयें अपने पाप,
सेना-बैरेक में लगा
झाड़ू मेटें शाप।
न्याय रियायत ना करे
खास रहे या आम
कद से ज्यादा बोलकर
आप मरे गुलफाम
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