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सोमवार, 14 मार्च 2016

kavita

फर्क 
*
फर्क तो है 
मुझमें और तुममें। 
मेरी शर्त 
तुम्हें अपनाना।
और तुमने
बिना शर्त
चाहा मुझे पाना।
अगर न होता
यह फर्क तो
कैसे हम गा पाते
सन्नाटे में दो गाना
***

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