यमकीय दोहा सलिला:
नाहक हक ना त्याग तू, ना हक पीछे भाग
ना ज्यादा अनुराग रख, ना हो अधिक विराग
मन उन्मन मत हो पुलक, चल चिलमन के गाँव
चिलम न भर चिल रह 'सलिल', तभी मिले सुख-छाँव
गए दवाखाना तभी, पाया यह संदेश
भूल दवा खाना गए, खा लें था निर्देश
ठाकुर जी सिर झुकाकर, करते नम्र प्रणाम
ठाकुर जी मुस्का रहे, आज पड़ा फिर काम
नम न हुए कर नमन तो, समझो होती भूल
न मन न तन हो समन्वित, तो चुभता है शूल
बख्शी को बख्शी गयी, जैसे ही जागीर
थे फकीर कहला रहे, पुरखे रहे अमीर
घट ना फूटे सम्हल जा, घट ना जाए मूल
घटना यदि घट जाए तो, व्यर्थ नहीं दें तूल
चमक कैमरे ले रहे, जहाँ-तहाँ तस्वीर
दुर्घटना में कै मरे,जानो कर तदबीर
तिल-तिल कर जलता रहा, तिल भर किया न त्याग
तिल-घृत की चिंताग्नि की, सहे सुयोधन आग
'माँग भरें' वर माँगकर, गौरी हुईं प्रसन्न
वर बन बौरा माँग भर, हुए अधीन- न खिन्न
*
नाहक हक ना त्याग तू, ना हक पीछे भाग
ना ज्यादा अनुराग रख, ना हो अधिक विराग
मन उन्मन मत हो पुलक, चल चिलमन के गाँव
चिलम न भर चिल रह 'सलिल', तभी मिले सुख-छाँव
गए दवाखाना तभी, पाया यह संदेश
भूल दवा खाना गए, खा लें था निर्देश
ठाकुर जी सिर झुकाकर, करते नम्र प्रणाम
ठाकुर जी मुस्का रहे, आज पड़ा फिर काम
नम न हुए कर नमन तो, समझो होती भूल
न मन न तन हो समन्वित, तो चुभता है शूल
बख्शी को बख्शी गयी, जैसे ही जागीर
थे फकीर कहला रहे, पुरखे रहे अमीर
घट ना फूटे सम्हल जा, घट ना जाए मूल
घटना यदि घट जाए तो, व्यर्थ नहीं दें तूल
चमक कैमरे ले रहे, जहाँ-तहाँ तस्वीर
दुर्घटना में कै मरे,जानो कर तदबीर
तिल-तिल कर जलता रहा, तिल भर किया न त्याग
तिल-घृत की चिंताग्नि की, सहे सुयोधन आग
'माँग भरें' वर माँगकर, गौरी हुईं प्रसन्न
वर बन बौरा माँग भर, हुए अधीन- न खिन्न
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6 टिप्पणियां:
Veena Vij vij.veena@gmail.com
वाह क्या दोहे कहें हैं आपने !बार-बार पढ़ रही हूँ और अपने आप मुस्कुरा रही हूँ ।मज़ा आ गया !इस रचना के लिए बधाई..
सादर,
वीना विज उदित
kusum sinha kusumsinha2000@yahoo.com
priy salil jee
aapka bhi jawab nahi kitna achha likhte hain badhai ho bahut bahut badhai kusum sinha
vijay3@comcast.net
अति सुन्दर...आनन्द आ गया।
विजय निकोर
मन-वीणा जब-जब बजी, लगा उदित है भोर
कुसुम क्यारियों की विजय, मधुकर भाव विभोर
बहुत धन्यवाद
Kusum Vir kusumvir@gmail.com
अति सुन्दर यमकीय दोहे, आचार्य जी l
बधाई एवं सराहना स्वीकारें l
सादर,
कुसुम
कुसुम जी आपका आभार शत-शत.
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