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मंगलवार, 23 दिसंबर 2014

navgeet:

नवगीत:
संजीव
.
कुण्डी खटकी
उठ खोल द्वार
है नया साल
कर द्वारचार
.
छोडो खटिया
कोशिश बिटिया
थोड़ा तो खुद को
लो सँवार
.
श्रम साला
करता अगवानी
मुस्का चहरे पर
ला निखार
.

पग द्वय बाबुल
मंज़िल मैया
देते आशिष
पल-पल हजार
.
  

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