मुक्तक:
अधरों पर मुस्कान, आँख में चमक रहे
मन में दृढ़ विश्वास, ज़िन्दगी दमक कहे
बाधा से संकल्प कहो कब हारा है?
आओ! जीतो, यह संसार तुम्हारा है
.
तीर खुद पर ही चलाये, गैर को कुछ भेंट क्यों दें?
जो सराहें नहीं उनको, प्रशंसा बिन पढ़े ही दें
कब कबीरा को रुचा वह मंच पर जाए सराहा?
कबीरा सम्मान सौदे की तरह ही लोग लें-दें
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1 टिप्पणी:
Kusum Vir kusumvir@gmail.com
// बाधा से संकल्प कहो कब हारा है?
आओ! जीतो, यह संसार तुम्हारा है
अति सुन्दर एवं प्रेरणास्पद, आचार्य जी l
बधाई एवं सराहना स्वीकार करें l
सादर,
कुसुम
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