चित्र पर रचना
नवगीत:
![](https://fbcdn-sphotos-f-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xfp1/v/t1.0-9/1510978_813957121994003_7427251143512481521_n.jpg?oh=bea99dadb18a7cd2c6f5572270c157ba&oe=5543D0ED&__gda__=1427104630_32d014cfec8d85d43bf4119faa8fbd96)
ओ ममतामयी!
कहाँ गयीं तुम?
.
नयनों से वात्सल्य लुटातीं
अधर बीच मोती चमकातीं
माथे रहा दमकता सूरज-
भारत माँ तुम पर बलि जातीं
ओ समतामयी!
कहाँ गयीं तुम?
.
शक्ति-शारदा-रमा त्रयी थीं
भारत माता की अनुकृति थीं
लालबहादुर की अर्धांगिनी
सत्य कहूँ तुम परा-प्रकृति थीं
ओ क्षमतामयी!
कहाँ गयीं तुम?
.
ओज तेज सौंदर्य स्वरूपा
सात्विकता की मूर्ति अनूपा
आस जगाने, विजय दिलाने
प्रगटीं देवांगना अरूपा
ओ ममतामयी!
कहाँ गयीं तुम?
.
नवगीत:
![](https://fbcdn-sphotos-f-a.akamaihd.net/hphotos-ak-xfp1/v/t1.0-9/1510978_813957121994003_7427251143512481521_n.jpg?oh=bea99dadb18a7cd2c6f5572270c157ba&oe=5543D0ED&__gda__=1427104630_32d014cfec8d85d43bf4119faa8fbd96)
ओ ममतामयी!
कहाँ गयीं तुम?
.
नयनों से वात्सल्य लुटातीं
अधर बीच मोती चमकातीं
माथे रहा दमकता सूरज-
भारत माँ तुम पर बलि जातीं
ओ समतामयी!
कहाँ गयीं तुम?
.
शक्ति-शारदा-रमा त्रयी थीं
भारत माता की अनुकृति थीं
लालबहादुर की अर्धांगिनी
सत्य कहूँ तुम परा-प्रकृति थीं
ओ क्षमतामयी!
कहाँ गयीं तुम?
.
ओज तेज सौंदर्य स्वरूपा
सात्विकता की मूर्ति अनूपा
आस जगाने, विजय दिलाने
प्रगटीं देवांगना अरूपा
ओ ममतामयी!
कहाँ गयीं तुम?
.
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