नवगीत:

नये साल की ख़ुशी मना ले
शूल त्याग कर फूल खिला ले
.
मानव है
तो हिंसा छोड़
पग विनाश जाते
ले मोड़
बैठ छाँह में
कर मत होड़
सुस्ता ले
नव रिश्ते जोड़
मिल मुस्काकर गले लगा ले
.
नया साल
है मीठा बोल
कानों में मिसरी
दे घोल
अंतर्मन की
गाँठें खोल
चलता चल
है दुनिया गोल
अपने सपने आप सजा ले
.
नये साल की ख़ुशी मना ले
शूल त्याग कर फूल खिला ले
.
मानव है
तो हिंसा छोड़
पग विनाश जाते
ले मोड़
बैठ छाँह में
कर मत होड़
सुस्ता ले
नव रिश्ते जोड़
मिल मुस्काकर गले लगा ले
.
नया साल
है मीठा बोल
कानों में मिसरी
दे घोल
अंतर्मन की
गाँठें खोल
चलता चल
है दुनिया गोल
अपने सपने आप सजा ले
.
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