मैथिली हाइकू :
संजीव 'सलिल'
*
स्नेह करब
हमर मन्त्र अछि।
गले लगबै।
*
एहि दुनिया
ईश्वर बनावल
प्रेम सं मिलु।
*
सभ सं प्यार
नफरत करब
नs ककरा से।
*
लिट्टी-चोखा
मधुबनी-मैथिली
बिहार गेल।
*
बिहारी जन
भगाएल जात
दोसर राज।
*
चलि पड़ल
विकासक राह प'
बिहारी बाबू।
*
चलय लाग
विकासक बयार
नीक धारणा ।
*
हम्मर गाम
भगवाने के नाम
लsक चलय।
*
हाल-बेहाल
जनता परेशान
मंहगाई सं।
*
लोकतंत्र में
चुनावक तैयारी
बड़का बात।
*
संजीव 'सलिल'
*
स्नेह करब
हमर मन्त्र अछि।
गले लगबै।
*
एहि दुनिया
ईश्वर बनावल
प्रेम सं मिलु।
*
सभ सं प्यार
नफरत करब
नs ककरा से।
*
लिट्टी-चोखा
मधुबनी-मैथिली
बिहार गेल।
*
बिहारी जन
भगाएल जात
दोसर राज।
*
चलि पड़ल
विकासक राह प'
बिहारी बाबू।
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चलय लाग
विकासक बयार
नीक धारणा ।
*
हम्मर गाम
भगवाने के नाम
लsक चलय।
*
हाल-बेहाल
जनता परेशान
मंहगाई सं।
*
लोकतंत्र में
चुनावक तैयारी
बड़का बात।
*
2 टिप्पणियां:
shar_j_n
आदरणीय आचार्य जी,
एहन सोन
मिथिलाक हाईकू
सूरज जेना
सादर शार्दुला
शार्दूला जी
आपकी सहृदयता को नमन. मैथिल हाइकु पर प्रथम प्रतिक्रिया मिली. हिंदी के विविध रूपों के प्रति हमारी उदासीनता, उन अंचलों के बंधुओं की उन्हें स्वतंत्र भाषा मनवाने की जिद के कारण जनगणना में हिंदी भाषा बोलनेवाले कम हो रहे हैं और अंगरेजी भाषी बढ़ रहे हैं, प्रशासन और राजनीति इस स्थिति का लाभ लेकर भविष्य में अंगरेजी को भारत की राज भाषा बनाने का सपना बुन रही है. अस्तु... काश हं सब हिंदी के साथ किसी एक हिंदीतर भाषा में भी लिखें और बांटें...
निखिल बंग सहती परिषद् के जबलपुर सम्मलेन में मैंने यह प्रस्ताव रखा था की हिंदी बांगला में संयुक्त लेखन और पारस्परिक अनुवाद की कार्यशालाएं हों किन्तु वैचारिक सहमति के अलावा कुछ न हो सका. अस्तु...
नीरज जी हम सबके प्रेरणा-स्रोत हैं. यह रचना हाई स्कूल में खूब पढ़ता था. इसकी पैरोडी हुल्लड़ मुरादाबादी सुनते थे. उसे पढ़कर हास्य काव्य पाठ प्रतियोगिता जीतता रहा.
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