सामयिक व्यंग्य कविता :
राजा नंगा है
ॐ प्रकाश तिवारी
*
राजा जी को
कौन बताए
राजा नंगा है ।
आँखों पर मोटी सी पट्टी
मुँह में दही जमा
झूठी जयकारों में उसका
मन भी खूब रमा
जिस नाले वह
डुबकी मारे
वो ही गंगा है ।
रुचती हैं राजा के मन को
बस झूठी तारीफें
उसको कोसा करें बला से
आगे की तारीखें
उसके राजकाज में
सच कहना
बस पंगा है ।
पीढ़ी दर पीढ़ी उसने है
पाया या दर्जा
ताका करती है उसका मुँह
पढ़ी-लिखी परजा
वह मुस्काए
मुल्क समझ लो
बिल्कुल चंगा है ।
- ओमप्रकाश तिवारी
--
राजा जी को
कौन बताए
राजा नंगा है ।
आँखों पर मोटी सी पट्टी
मुँह में दही जमा
झूठी जयकारों में उसका
मन भी खूब रमा
जिस नाले वह
डुबकी मारे
वो ही गंगा है ।
रुचती हैं राजा के मन को
बस झूठी तारीफें
उसको कोसा करें बला से
आगे की तारीखें
उसके राजकाज में
सच कहना
बस पंगा है ।
पीढ़ी दर पीढ़ी उसने है
पाया या दर्जा
ताका करती है उसका मुँह
पढ़ी-लिखी परजा
वह मुस्काए
मुल्क समझ लो
बिल्कुल चंगा है ।
- ओमप्रकाश तिवारी
--
Om Prakash Tiwari
Chief of Mumbai Bureau
Dainik Jagran
41, Mittal Chambers, Nariman Point,
Mumbai- 400021
Tel : 022 30234900 /30234913/39413000
Fax : 022 30234901
M : 098696 49598
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Resi.- 07, Gypsy , Main Street ,
Hiranandani Gardens, Powai , Mumbai-76
Tel. : 022 25706646
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