मैं आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' संयोजक विश्ववाणी हिंदी संसथान अभियान जबलपुर, संपादक कृष्णप्रज्ञा पत्रिका मुंबई, चेयरमैन इंडियन जिओटेक्नीकल सोसायटी जबलपुर अंतर्राष्ट्रीय काव्यप्रेमी मंच के अनुपम शारदेय अनुष्ठान 'भारत को जानें', 'भारती के लाल' तथा 'अखंड काव्यायन' के साथ जुड़े सभी सत्यों का ह्रिदय तल से अभिनन्दन करता हूँ। इन आयोजनों ने 'न भूतो न भविष्यति' को साकार कर दिखाया है।
वर्तमान संक्रांति काल में इन कार्यक्रमों ने राष्ट्रीय एकता तथा वैश्विक सहकार भाव को एकाकार कर सुदृढ़ किया है। माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के संदेश को ग्रहण कर संयोजिका ममता सैनी जी ने मन-प्राण से मूर्त किया है। मुझे आत्मिक संतोष है इस इस सारस्वत महायज्ञ में मुझे अपनी तथा अपनी जीवन संगिनी डॉ. साधना वर्मा की समिधा समर्पित करने के साथ साथ बंगाल, राजस्थान व लद्दाख के रचनाकार साथियों के साथ कार्य करने का अवसर मिला। भारत के समस्त सरस्वती शिशु मंदिरों में करोड़ों बच्चों द्वारा गई जा चुकी तथा लाखों बच्चों द्वारा प्रतिदिन गाई जा रही दैनिक प्रार्थना 'हे हंसवाहिनी ज्ञानदायिनी अब विमल मति दे' के रचनाकार के नाते उसके प्रसार से जितना सुख मुझे मिलता है, उतना ही सुख इस अनुष्ठान से जुड़कर मिल रहा है।
विश्ववाणी हिंदी में इस समय अनेक अभूतपूर्व कार्य हो रहे हैं। हिंदी में ५०० से अधिक छंदों के आविष्कार, प्रथम सोरठा सतसई तथा प्रथम सॉनेट संकलन की रचना करते हुए मुझे नवान्वेषण करनेवाले जिन कुछ सशक्त हस्ताक्षरों से ऊर्जा मिलती रही है उनमें ममता सैनी जी भी हैं। मुझे पूर्ण विश्वास है कि विश्ववाणी हिंदी को विश्व के हर क्षेत्र और ज्ञान-विज्ञान के हर विषय व विधा में सर्वाधिक समर्थ और सक्षम भाषा बनाने और प्रतिष्ठित करने में हमारे ऐसे आयोजन कालजयी और प्रेरक सिद्ध होंगे। वंदे भारत-भारती।
९-२-२०२३
पंचतत्वमय देह को, नाम मिला संजीव।
कायथ कुल में जन्म पा, वाक्शक्ति है नीव।।
जननि शांति ने जन्म दिया जब। राजबहादुर पिता मुदित तब।
सक्सेना परिवार मिला था। वर्मा कुल में दीप जला था।।
पढ़ी यांत्रिकी बन अभियंता। करी नौकरी रही न चिंता।।
जब अकाल तालाब खुदाए। भवन सेतु पथ-मार्ग बनाए।।
दर्शन अर्थशास्त्र साहित्य। पत्रकारिता विधि पढ़ नित्य।।
लेखन-संपादन मन भाया। मिली प्रशंसा मन हुलसाया।।
जीवनसंगिनि मिली साधना। पूर्ण हुई नव सृजन कामना।।
सुत मन्वन्तर, तुहिना बिटिया। पा यूँ लगा कि भाग्य जग गया।।
पौधारोपण साफ़-सफाई। थी समाजसेवा मन भाई।।
बाल-प्रौढ़ शिक्षा हित सक्रिय। तनिक न भाया रहना निष्क्रिय।।
छंद पाँच सौ नव रचे, लिखीं लघुकथा-गीत।
व्यंग्य समीक्षा भूमिका, संपादन प्रिय मीत।।
छात्र-युवा संघर्ष वाहिनी। साथ जुड़ा खतरा लेकर भी।।
जे पी की संपूर्ण क्रांति में। हाथ बँटाया रह न भ्राँति में।।
छंद पाँच सौ नए बनाए। अलंकार शत पढ़े-सिखाए।।
करीं पत्रिका सतत प्रकाशित। श्रेष्ठ सृजन को किया पुरस्कृत।।
कचरा निस्तारण किस विधि हो। पर्यावरण स्वच्छ नव निधि हो।।
कर अभियान न हिम्मत हारी। मिली प्रशंसा सचमुच भारी।।
अंतरजाल खूब मन भाया। नव कलमों को सदा सिखाया।।
नौ मौलिक छः कृति संपादित। हुईं प्रकाशित और प्रशंसित।।
दस सहस्त्र पुस्तक संग्रह कर। जी भर पढ़ा हँसा पढ़वाकर।।
अव्यावसायिक किया प्रकाशन। लक्ष्य शारदा का आराधन।।
तकनीकी लेखन किया, हिंदी में सानंद।
चित्रगुप्त जी की कृपा, पाई बुद्धि अमंद।।
इतना ही संतोष है, निभा सका दायित्व।
समझौते भाए नहीं, है उपलब्धि कृतित्व।।
***
नाम मिला संजीव मैं, कायथ कुल उत्पन्न।
सक्सेना मतिमान हैं, वर्मा गुण संपन्न।।
मिला 'शांति' की कोख से, मुझको जन्म शरीर।
'राजबहादुर जी' पिता, रहे धीर गंभीर।।
जीवन संगिन साधना, तुहिना बिटिया नेक।
मन्वन्तर अरु गीतिका, सुत-सुतवधु सविवेक।।
भारत शारद रेवा मैया, हिंदी माँ का पूत।
विधि यांत्रिकी साहित्य पढ़, गद्य-पद्य संभूत।।
छंद पाँच सौ नव रचे, लिखीं लघुकथा-गीत।
व्यंग्य समीक्षा भूमिका, संपादन प्रिय मीत।।
तकनीकी लेखन किया, हिंदी में सानंद।
चित्रगुप्त जी की कृपा, पाई बुद्धि अमंद।।
भारत को जानें
सर्व आदरणीय
बंगाल - ज्योति जी, साधना जी, श्रीधर जी, अरविंद जी, अनवर जी, तेजपाल जी, चातक जी।
रचनाकार द्वारा संशोधित
PB01. जनसांख्यिकी : ज्योति जैन, ८१६७८ ८४४२७
१-राज्य की उत्पत्ति, स्थापना,आधार २-राजधानी ३-जनसंख्या ४-आर्थिक स्थिति ५-शिक्षा का स्तर ६-धर्म ७-मंडल तथा जिले ८-नगर तथा कस्बे
ज्योति जैन 'ज्योति'
जन्म - २८ जनवरी।
पिता - श्रीमान मानिक चंद जैन।
माता - श्रीमती मालती देवी जैन।
शिक्षा - बी.ए.।
प्रकाशित पुस्तक - मेरे मन के सारथी (महावीर दोहा चालीसा)।
पता - ज्योति जैन'ज्योति'
पोस्ट - कोलाघाट,गाँव- बाड़बोरिसा,जिला- पूर्व मेदनीपुर ७२११३४
राज्य - पश्चिम बंगाल, भारत।
चलभाष - ८५१४० ४४०१८ ।
ई मेल- jyotijain2223@gmail.com ।
*
दोहा १
कुदरत की अनुपम छटा, स्वर्ण भूमि सोनार।
भारत के है पूर्व में, बंगभूमि आमार।।
१-राज्य की उत्पत्ति, स्थापना,आधार
चौपाई
वर्ष सात सौ छप्पन आया। खुशियाँ लेकर रवि मुस्काया।।
बंग धरा पर नृप गोपाला। पाल वंश ने राज्य सँभाला।१।
वर्ष चार सौ शासन कीना। सुख-सुविधा जन-जीवन दीना।।
फिर आई सेनों की सत्ता। कटा पाल का झटपट पत्ता।२।
सत्रह सौ सत्तावन आया। प्लासी रण ने समय घुमाया।।
उखड़े पग मुगलों के भैया। फिरंगियों की ता ता थैया।३।
दो सौ बरस कहर था टूटा। स्वर्ण बंग का छीना लूटा।।
खंड-खंड में उसको बाँटा। अंग्रेजों ने जड़ से काटा।४।
आजादी के तीन वर्ष पर। जन्मा बंग राज्य यह सुंदर।।
काट-छाँट कर तोड़-मोड़कर। राज्य बना यह जोड़-तोड़ कर।५।
२-राजधानी
दोहा २
सकल देश को रहा है, कलकत्ता पर नाज।
बन राजधानी हो गया, कोलकाता सरताज।।
चौपाई
सन सोलह सौ नब्बे आया। जब चर्नोक ने शहर बसाया।।
भगीरथी-हुगली के तट पर। व्यापारिक चौकी थी सुंदर।६।
कोलकाता औद्योगिक नगरी। अर्थचक्र से भरती गगरी।।
माँ काली कोलकातावाली। करे बंग भू की रखवाली।७।
देख हावड़ा पुल मनभावन। इस पर चलते हरदम वाहन।।
दो खंभों पर झूल खड़ा है। दर्शनीय सच बहुत बड़ा है।८।
जग में महके बनकर संदल। कोलकाता का तारामंडल।।
कोलकाता का रूप अनोखा। इस नगरी का रँग हर चोखा।९।
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भरी अदब से इसकी गगरी
शिल्प कला से शोभित नगरी
कोलकाता के बुनते बुनकर
सूत ताँत की साड़ी सुंदर।१०
दोहा
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शोभित है सिक्किम यहांँ, 'ज्योति' बंग के भाल।
संँग बिहार इसके बगल, झारखंड नेपाल।।
३-जनसंख्या
चौपाई
'बंग' दृष्टि से जनसंख्या की। जगह देश में पाए चौथी।।
इसकी धरती में श्यामलता। धान स्वर्ण सा इस पर उगता।११।
सत्तर प्रतिशत हिंदू बसते। बाकी प्रतिशत में सब रहते।।
हिंदू मुस्लिम सिख ईसाई। बौद्ध जैन भी हैं सब भाई।१२।
मरू भूटिया मुंडा महली। वन्य जाति संथाली सहली।।
भीली-गोंडी हिल-मिल रहते। पथ विकास पपर पग नित रखते।१३।
४-आर्थिक स्थिति
अर्थ नीति है दुविधाकारी। डिजिटल सिस्टम लगता भारी।।
चौदह प्रतिशत धान उगाता। बंग प्रांत अन्न का दाता।१४।
भूख गरीबी अरु बेकारी। जनगण सम्मुख मुश्किल भारी।।
सकल घरेलू उत्पादन का। छठा देश का हिस्सा देता।१५।
दोहा ३
अर्थ ज्ञान की दृष्टि से, बंग बढ़ रहा आज।
है उन्नति की राह पर, अब इसकी परवाज।।
५-शिक्षा का स्तर
चौपाई
गाँव-गाँव में हैं विद्यालय। ये शिक्षालय ही देवालय।
'ज्योति' बंग कहलाता भालो दिव्य ज्ञान की लेकर आलो।१६।
शिक्षा में है आगे जानो। पूर्व मेदिनीपुर पहचानो ।।
उ० दिनाजपुर जो कहलाता। कम शिक्षित तहसील में आता।१७।
शिक्षा सबको मिले यहाँ पर। सुत सम बेटीं पाती अवसर।।
सीधा-साधा बँगला जीवन। धोती-कुर्ता पहने जन-जन।१८।
६-धर्म
तरह तरह की भाषा -बोली। रहते सब मिल बन हमजोली।।
बौद्ध जैन हो या हो हिंदू। सबकी इस धरती पर ख़ुश्बू।१९।
भक्ति भाव भी अति है पावन। मातृ बंग का उजला दामन।।
मानवता का पाठ पढ़ाया, परमहंस ने हमें सिखाया।२० ।
दोहा ४
भांँति भांँति के लोग हैं, भाँति भाँति के धर्म।
अनेकता में एकता,बंग सिखाए मर्म।।
७-मंडल तथा जिले, ८-नगर तथा कस्बे
चौपाई
हमें गर्व यह धरती प्यारी। मातृभूमि है बंग हमारी।।
तेइस हैं कुल ज़िले हमारे, अपने में जो अनुपम सारे।२१।
कहे मालदा ज्ञान पिटारा। इतिहासों का है भंडारा।।
वास्तुशिल्प है इसका अनुपम। भरी हुई तहज़ीबी सरगम।२२।
दीघा है सी बीच मनोहर। कहलाता धरती का गोहर।।
मिदनापुर का प्राण यही है। अर्थ बंग का धाम यही है।२४।
नाम अलीपुर है मनभावन। बना हुआ जीवों का कानन।।
बाघ,शेर,मृग सब मिल रहते। चिड़ियाखाना जिसको कहते।२५।
प्रभु चैतन्य का जन्म स्थल जो । नदिया का इस्कॉन महल वो।।
कृष्णा धाम यह है कहलाता, मायापुर है सबको भाता।२६।
शक्तिपीठ का मंदिर प्रीतम। वीरभूमि का तारापीठम।।
देवी तारा यहाँ विराजे। भक्तों का मन हर दम साजे।२७।
अति पावन यह बंग ज़मीं है। गंगासागर तीर्थ यहीं है।।
संत कपिल का जहाँ बना घर। मेला लगता उसी जगह पर।२८।
दार्जिलिंग की चाय निराली। रंगत बेशक उसकी काली।
सिक्किम इसके शीश विराजे । पग में जिसके ढाका साजे।२९।
सजी-धजी कुदरत की प्याली। दार्जिलिंग की छटा निराली।।
अमित यहाँ का मौसम धानी। भरी धूप में बरसे पानी।३०।
दोहा ५
हरियाली संग संस्कृति, 'ज्योति' बंग पहचान।
कर्म शीलता का मिला, कुदरत से वरदान।।
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PB03. उपलब्धि : श्रीधर प्रसाद द्विवेदी, ०७३५२९१८०४४
वर्ग 3
19- उत्पादन में प्रमुख, 20 प्रमुख व्यवसाय, 21. निर्माण में सर्वोपरि, 22-स्मारक, 23. नई खोज, 24.प्रमुख
श्रीधर प्रसाद द्विवेदी
शिक्षा- एम.ए. भूगोल, बी.एड.
राँची विश्व विद्यालय,राँची।
जन्म तिथि- २० मई १९५३।
लेखन विधा - कविता, कहानी, ललित- निबन्ध।
प्रकाशित रचना- (१)कनेर के फूल ( कविता संकलन )
(२) पाखी खोले पंख ( दोहा सतसई )
(३) आईना झूठ बोलता है ( कविता संकलन )
(४) व्रज आये व्रजराज ( खण्ड काव्य )
(५) गीता का काव्यानुवाद
(६) मेघदूतम काव्यानुवाद।
पता- अमरावती, गायत्री नगर, गायत्री मन्दिर रोड, सुदना, डालटनगंज, पलामू, झारखण्ड ८२२१०२।
चलभाष - ०७३५२९१८०४४।
*
दोहा
बंग भूमि को शत नमन, दर्शन कर जग धन्य।
श्रीधर बंग प्रसाद पा, मिलता हर्ष अनन्य।१।
चौपाई
उत्पादन-व्यवसाय:-
अतिनामी ढाका का मलमल।
आती हमें याद वह पल पल।।
गृह- उद्योग थे विपुल पुराने।
किसने लूटे सकल- खजाने।।
धान- धरा बहुतर उपजाए।
चावल-मछली भोग लगाए।।
पटुआ- सनई- जूट यहाँ के।
थैले- टाट प्रसिद्ध जहाँ के।।
अन्यउपज मक्काअधिकाई।
सन- साठी भी रंग जमाई।।
पद्मा- हुगली मछली भाखा।
तीस्तासलिल आर्द्रभू राखा।।
दार्जलिंग की चाय सुगन्धित।
करें पसंद जगत के पण्डित।।
वाणिजकेंद्र नगर कोलकाता।
सेतु- हावड़ा दृढ़ मन-भाता।।
लाह- वनोपज और अन्य हैं।
वनवासी कर उपज धन्य हैं।।
अर्थ व्यवस्था कृषक प्रधाना।
हरित प्रान्त जन कहें सुजाना।।
दोहा
पटुआ के उद्योग से, ख्यात हुआ बंगाल।
ढाका तक चटकल चला, मिल का फैला जाल।२।
चौपाई :-
दार्जिलिंग पर्वत का राजा।
बसा गोरखा बड़ा समाजा।।
पुरुलिया के आदिम वासी।
गिरि कानन में करें सुपासी।।
मछली उत्पादन अति भारी।
हिलसासबको लगती प्यारी।।
दामोदर- नद निगम यहाँ है।
जल विद्युत का केंद्र बना है।।
डेल्टा सुंदर सुन्दर-वन का।
व्याघ्रविलोकें इस जंगलका।।
खान शिल्प उद्योग यहाँ के।
नामी कुछ उत्पाद जहाँ के।।
चितरंजन उद्योग पुराना।
रानीगंज सुकोल खजाना।।
नगर बांकुड़ा का लें बर्तन।
सुन्दर कलई करता नर्तन।।
बने बनाए कपड़े मिलते।
गंजी बहुतकालसे बनते।।
बसे यहाँ उत्तम- व्यापारी।
शिल्पदक्ष सब कारोबारी।।
सूती वस्त्रोsद्योग है, बंग धरा की शान।
कागज जूता कार भी, बनी हुई पहचान।३।
स्मारक:-
संग्रहालय विशदबड़ देखा।
पुस्तकालय नेशनल लेखा।।
विक्टोरिया का संग्रहालय।
अन्य कईहैं नवनव आलय।।
काली-घाट दक्षिणा काली।
करती नगरकीर्ति रखवाली।।
परमहंस राम- कृष्ण राजे।
बेलूरमठ शांति थल साजे।।
गुरु रविन्द्र का ज्ञान पुरातन।
कीर्तिकलानिधि शांतिनिकेतन।।
ऋषि चैतन्य विशिष्ट गुणाकर।
कवि जयदेव दास चंडी धर।।
यहाँ बना है चिड़िया-खाना।
देखें इसे! अगर हो जाना।।
जैव विविधता चकित करेगी।
शकुन विलोकन चित्त हरेगी।।
दोहा
शिल्प कला साहित्य का, हुआ समागम नित्य।
बंग भूमि ने नित किए, अन्य बहुत से कृत्य।४।
खोज:-
वायरलेस यहीं बन पाया।
बोस सुयश दुनियाने गाया।।
जगदीशवसु ने शोध बताया।
तृण तरुवर में प्राण समाया।।
राय प्रफुल्लचंद्र सु- रसायन।
यौगिक बना किये मनभायन।।
खोज किये पारद रसशोधन ।
दुनिया पाई नवल- प्रबोधन।।
थे खगोल विज्ञानी साहा।
मेघनाद ने नाम कमाया।।
क्वांटमभौतिकी अपनाया।
बोस सत्येंद्रनाथ यशपाया।।
चित्रकार रवि- राजा वर्मा।
खींचे छवि ऊत्तम कृत कर्मा।।
कलाकार कुछ अन्यगुणाकर।
गए धरा को धन्य- धन्य कर।।
शरतचन्द्र बंकिम की वसुधा।
रचना रचे कथा कह बहुधा।।
गुरु रविन्द्र संगीत- सुहावन।
गाये सभी सुने मन भावन।।
दोहा
ज्ञानवान की है धरा, जगा ज्ञान विज्ञान।
किया सदा बंगाल ने, मानव का कल्याण।५।
पूरब का यह प्रान्त जो, भारत का शुचि अंग।
प्रगति शील युग युग रहा, अपना प्यारा बंग।६।
*
राजस्थान - * योगिता जी, अजय जी, सरस जी, आजाद जी, राम जी, रेखा जी, प्रह्लाद जी।
* संपादित
R-01 जनसांख्यिकी : योगिता चौरसिया "प्रेमा ", मंडला मध्यप्रदेश 8435157848
1-राज्य
तीस लाख वर्षों के पहले। मन बनास कलकल से बह ले।।
जैसलमेर मरुस्थल देखे। बीकानेर रियासत लेखे।१।
आद्य हड़प्पा संस्कृति का गढ़। मौर्य काल बैराठ था सुगढ़।।
पहले नदियाँ सलिल बहा है। आज मरुस्थल रेत दहा है।२।
मारवाड़-मेवाड़ सुयोजित। हाड़ा-शेखावाट नियोजित।।
सदा समय ने शौर्य बखाना। था गणराज्य भरत ने माना।३।
२ राजधानी
नृप जयसिंह ने नगर बसाया। जयपुर नाम सभी को भाया।।
शहर गुलाबी सदा पुकारे। शहर अनोखा ढूँढ़ किनारे।४।
भारत का नव पेरिस कहते । सुंदरता नयनों से गहते।।
गूँजीं गाथाएँ वीरों की। कर्म भूमि रण के धीरों की।५।
दोहा
भव्य मनोरम जो कहे, दुनिया इसका काम।
दिव्य मनोहर राज्य यह, वीरों का है धाम।२।
चौपाई
नाहरगढ़ आमेर विशाला। जंतर-मंतर देख निराला।।
हवामहल अति सुंदर लगता। नित सुंदर अनुपम है जगता।६।
जगमग दीपों सा यह चमके। माथ तिलक नित इसके दमके।।
गर्व राज्य का इसको कहते। लोग सभी मिल-जुलकर रहते।७।
३ जनसंख्या
तीन ओर पर्वत से घिरता। अरावली का वलय निखरता।।
जनसंख्या लाखों से बढ़कर। शान-बान सबसे बढ़-चढ़कर।८।
शहर बसा है जयपुर देखो। आबादी बसती घन लेखो।।
सघन जोधपुर सबसे ज्यादा। नगर उदयपुर सुंदर सादा।९।
सात फीसदी वृद्धि नियंत्रित। रोकें हो न सके अनियंत्रित।।
जो नौ सौ छब्बीस हुआ है। निम्न अंक का ढाल छुआ है ।१०।
दोहा ३
बहुत सघन हो रहा है, जनसंख्या का लेख।
राजस्थानी छवि अमिट, सुंदर रचना देख ।३।
चौपाई
जनसंख्या विस्फोटक जयपुर। जोध; उदयपुर बसता है उर।।
बीकानेर नगर अति भारी। कोटा शिक्षा नगरी न्यारी ।११।
४ आर्थिक स्थिति
पशुपालन जन-जन मनभावन। सकल घरेलू आवक साधन।।
तिलहन दलहन कृषक उगाते। खनिज संपदा आय बढ़ाते ।१२।
है उद्योग नवीन सुहाता। जन-धन भुज-बल कार्य कराता ।।
जो आर्थिक मजबूत बनाती। जल अभाव से कृषि मुरझाती।१३।
५ शिक्षा का स्तर
कोटा जयपुर टोंक यहाँ है। दूजा बीकानेर कहाँ है।।
शिक्षा का आधार प्रबल है। उच्च शैक्षणिक ज्ञान सबल है।१४।
शिक्षा का स्तर नित नित बढ़ता। शीर्ष आँकड़े लेकर चढ़ता।।
साक्षर मन जिज्ञासु मचलता। नव अभियान नित्य ही चलता।१५।
दोहा
शिक्षा होती कम रही, पिछड़ी धीमी धार।
अब उन्नत होती रहे, यत्न करे सरकार ।४।
६ धर्म
चौपाई
बहुसंख्यक हैं हिन्दू धर्मी। मूल्य सनातन लोग सुकर्मी।।
केंद्र धर्म के बनते जाते। चल पुष्कर शनि भोग लगाते।१६।
आर्य समाज सुधारक धारा। सम्प्रदाय कृष्णामय सारा।।
जैन धर्म के मंदिर सुंदर। रणकपूर आबू में मनहर।१७।
पूज्य पुरुष हैं दादू धारी। ब्रह्मचर्य मद शाकाहारी।।
चार लाख दौ सौ अनुयायी। परम्परा गाते प्रभुतायी।१८।
इस्लामिक जन यहाँ धँसे हैं। ख्वाजा जी अजमेर बसे हैं।।
सभी धर्म मिल-जुलकर रहते। पुण्य भूमि को भारत कहते।१९।
चित्रगुप्त जी के हैं मंदिर। जगह जगह पर सुंदर मनहर।।
कर्म विधाता माने जाते। ब्रह्मा जी के सुर कहलाते।२०।
दोहा
धर्म कर्म से है जुड़ा, समता राजस्थान।
हिंदू मुस्लिम जैन सब, मिले बढ़ाते शान।५।
७ संभाग तथा जिले
मंडल सात प्रशासन करते। तैंतीस जिले व्यवस्था वरते।।
अलवर झुंझनू दौसा सीकर। जयपुर में शामिल हैं हँसकर।२१।
पाली बीकानेर जोधपुर। कोटा बूंदी टोंक भरतपुर।।
राजसमंद बांरा अजमेर। चूरू करौली जैसलमेर।।२२।।
डूंगरपुर जालौर उदयपुर। झालावाड़ धौलपुर अलवर।। २४
चित्तौड़ सवाईमाधोपुर। बाँसवाड़ा नागौर
बीकानेर भीलवाड़ा में। गंगानगर सिरोही शेर।२२।
नागौर हनुमानगढ़ बाँसवाड़ा
मिवाड़ी कहते। जनसंख्या सौ फीसद रहते।२३।
ब्यावर
सौ हजार अधिक जनसंख्या। मंडल जिले बने कर व्याख्या।।
जीवन का आधार सुशिक्षा। सबको मिले ज्ञान की दीक्षा।२३।
यह फीसद अट्ठाइस देखा। जीव* जिलों म़ें इसका लेखा।२४।
दोहा
अलवर कोटा जिलों से, सज्जित राजस्थान।
शीश उठाए है खड़ा, बन भारत की शान।६।
८-नगर तथा कस्बे
चौवालिस नौ सौ इक्यासी। कस्बों की संख्या अधिशासी।।
सात फीसदी देश बनाता। गाँव सिरोही न्यून समाता।२५।
गंगानगरी ग्राम विपुलता। आबादी की है व्याकुलता।।
उत्तर पश्चिम शुष्क धरा है। बालू थल चँहु ओर भरा है।२६।
नगर बड़ा है कस्बा छोटा। नगरों में जीवन है खोटा।।
जन-जीवन गाँवों में रहता। प्रेमिल मन नव सपने गहता।२७।
दोहा
कस्बे नगरों में सदा, जनसंख्या का भार ।
सुलभ जीविका है नहीं, जीवन का आधार ।७।
*
योगिता चौरसिया "प्रेमा "
मंडला मध्यप्रदेश
8435157848
***
लद्दाख - देवेश जी, अर्चना जी, अन्नपूर्णा जी, मीनेष जी, गीता जी, वंदना जी, उपेंद्र जी।
कृपया, अपने दोहों-चौपाइयों को आपको दिए गए वर्ग के बिंदुओं तथा छांदस विधान पर परखकर पुनर्प्रेषित करिए ताकि संपादन करते समय परिवर्तन न हों अथवा कम से कम हों।
दोषपूर्ण दोहे-चौपाई संकलन में नहीं दिए जा सकेंगे। ७ दिसंबर तक संशोधित सामग्री न आने पर संपादन हेतु आपकी सहमति मानते हुए संपादन कर प्रकाशन हेतु अग्रेषित किया जाएगा। यह अंतिम अवसर है जब आप अपनी सामग्री में संशोधन-परिवर्तन कर सकें।
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भारत को जानें
वर्ग १. जनसांख्यिकी : राज्य की उत्पत्ति, स्थापना, आधार, राजधानी, जनसंख्या, आर्थिक स्थिति, शिक्षा, धर्म, मंडल, जिले, नगर आदि।
वर्ग २. संस्कृति, कला, साहित्य : लोकगीत, लोकनृत्य, लोकभाषा, खानपान, व्रत, त्यौहार, वास्तुकला, मूर्तिकला, वेशभूषा, साहित्य आदि।
वर्ग ३. उपलब्धियाँ : उत्पादन में प्रमुख, प्रमुख व्यवसाय, निर्माण में सर्वोपरि, स्मारक, नई खोज, प्रमुख बातें, मुख्य उपलब्धियाँ आदि।
वर्ग ४. इतिहास : ऐतिहासिक घटनाएँ, मेला, कुम्भ, राजा, महाराजा, पौराणिक कथाएँ, ऐतिहासिक यात्रा आदि।
वर्ग ५. प्राकृतिक सौन्दर्य : पशु,पक्षी, पुष्प, वृक्ष, पर्यटन स्थल, झीलें, नदियाँ ।
वर्ग ६. भौगोलिक संरचना : बाँध, समुद्र, जलवायु, प्रदेश की सीमा, पहाड़ / पठार, खनिज, मिट्टी।
वर्ग ७. खिलाड़ी, साहित्यकार, संत-महात्मा, सेनानी, नेता, अभिनेता, गायक, नर्तकी, चित्रकार।
राजस्थान
* R-०१. योगिता चौरसिया मंडला, 8435157848 ।
R-०२. अजय जादौन : अर्पण C-23, महाराजा एनक्लेव, खैर, अलीगढ़(उ0प्र0), 9758467288 ।
R-०३. सरस दरबारी प्रयागराज (उ.प्र)।
R-०४. ओपी सेन 'आजाद', ९८२६२७६४६४ डबरा, जिला ग्वालियर म.प्र. ।
R-०५. राम पंचाल भारतीय, बाँसवाड़ा (राजस्थान) 9602433448।
R-o६. रेखा लोढ़ा 'स्मित', भीलवाड़ा (राजस्थान) ।
R-०७. प्रहलाद पारीक D-९३, आजाद नगर भीलवाड़ा (राज.) 9829921167 Pareek.prahlad@gmail.com ।
लद्दाख
L-०१. देवेश सिसोदिया ।
L-०२. अर्चना तिवारी अभिलाषा १०४ ए/२७१ रामबाग, कानपुर ।
L-०३. अन्नपूर्णा बाजपेयी अंजू, कानपुर (उ.प्र)।
L-०४. मीनेश चौहान w/o अरुण कुमार सिंह, ग्राम - राई,पोस्ट - खंडॉली, फर्रुखाबाद 209621 उत्तर प्रदेश।
L-०५. गीता चौबे 'गूँज', राँची झारखंड।
L-o६. वन्दना चौधरी द्वारा कृष्ण कुमार अकाउंटेंट जनरल कार्यालय Quarter no 2 type 3 Audit bhawan porvorim Panaji 403521 Goa 9860170695,8698329739 ।
L-०७. डॉ. उपेंद्र झा हाथरस (उ. प्र.) ।
*
भारत को जानें राजस्थान
वर्ग 1 जनसांख्यिकी
1-राज्य की उत्पत्ति, स्थापना, आधार 2-राजधानी 3-जनसंख्या 4-आर्थिक स्थिति 5-शिक्षा का स्तर 6-धर्म 7-मंडल तथा जिले 8-नगर तथा कस्बे आदि-आदि
वर्ग 2 (संस्कृति, कला, साहित्य )
9 -लोकगीत 10-लोकनृत्य 11-लोकभाषा 12-खानपान 13. व्रत 14-त्यौहार 15 वास्तुकला 16 मूर्तिकला 17 वेशभूषा 18 साहित्य आदि-आदि
वर्ग 3 ( उपलब्धियाँ)
19- उत्पादन में प्रमुख 20 प्रमुख व्यवसाय 21. निर्माण में सर्वोपरि 22-स्मारक 23. नई खोज 24.प्रमुख बातें 25. मुख्य उपलब्धियां आदि
वर्ग 4 ( इतिहास)
26 ऐतिहासिक घटनाएँ 27. मेला ,कुम्भ 28.राजा, महाराजा 29 पौराणिक कथाएँ 30. ऐतिहासिक यात्रा आदि-आदि
वर्ग 5-(प्राकृतिक सौन्दर्य)
31-पशु 32 -पक्षी 33-पुष्प 34-वृक्ष 35- पर्यटन स्थल 36-झीलें 37 नदियां आदि-आदि
वर्ग 6 ( भौगोलिक संरचना)
38-बांध 39 समुन्द्र 40-जलवायु 41. प्रदेश की सीमाएं 42 पहाड़ / पठार 43 खनिज 44 मिट्टी आदि-आदि
वर्ग 7 (प्रमुख व्यक्तित्व)
45- खिलाड़ी 46 साहित्यकार 47 संत महात्मा 48- सेनानी 49. नेता 50. अभिनेता 51. गायक 52.नर्तकी 53. चित्रकार आदि-आदि
***
भारत को जानें - राजस्थान। राज्य प्रमुख - आचार्य संजीव वर्मा 'सलिल' जबलपुर, ९४२५१८३२४४, salil.sanjiv@gmail.com
वर्ग R-01 जनसांख्यिकी
1-राज्य की उत्पत्ति,स्थापना,आधार 2-राजधानी 3-जनसंख्या 4-आर्थिक स्थिति 5-शिक्षा का स्तर 6-धर्म 7-मंडल तथा जिले 8-नगर तथा कस्बे आदि-आदि
1- राज्य की उत्पत्ति, स्थापना, आधार
दोहा
राणाओं की भूमि है, सुंदर राजस्थान ।
शौर्य-पराक्रम से हुई, है इसकी पहचान।।
चौपाई
1
तीस लाख वर्षों के पहले।
मन बनास कलकल से बहले।।
जैसलमेर मरुस्थल देखे।
बीकानेर रियासत लेखे ।।
2
आद्य हड़प्पा संस्कृति आई।
थी बैराठ बड़ीकहलाई।।
पहले नदियाँ सलिल बहा है।
आज मरुस्थल रेती दहा है।।
3
मारवाड़-मेवाड़ सुयोजित।
हाड़ा-शेखावाट नियोजित।।
भूमि क्षेत्रफल बढ़ता जाना ।
था गणराज्य भरत ने माना ।।
2-राजधानी
4.
जयसिंह राजा नगर बसाया।
जयपुर नाम सभी को भाया।।
शहर गुलाबी सदा पुकारे ।
शहर अनोखा ढूंढ़ किनारे।।
5.
भारत का नव पेरिस कहते ।
सुंदरता नयनों से गहते।।
गूँजीं गाथाएँ वीरों की।
कर्म भूमि रण के धीरों की।।
दोहा 2-
भव्य मनोरम जो कहे, दुनिया इसका काम ।
नव्य मनोहर राज्य यह, वीरों का है धाम।।
6.
नाहरगढ़ आमेर विशाला
जंतर-मंतर देख निराला ।।
हवामहल अति सुंदर लगता ।
नित सुंदर अनुपम है जगता।।
7.
जगमग दीपों सा यह चमके।
माथ तिलक नित इसके दमके।।
गर्व राज्य का इसको कहते।
लोग सभी मिल-जुलकर रहते।।
3-जनसंख्या
8.
तीन ओर पर्वत से घिरता ।
अरावली का वलयन फिरता ।।
जनसंख्या लाखों से बढ़कर।
शान-बान है सबसे बढ़कर।।
9.
शहर बसा है जयपुर देखो।
आबादी बसती घन लेखो ।।
सबसे ज्यादा सघन जोधपुर।
सघन न्यूनतम नगर उदयपुर।।
10.
सात फीसदी वृद्धि नियंत्रित।
जनसंख्या दर है अभिमंत्रित।।
जो नौ सौ छब्बीस हुआ है।
निम्न अंक का ढाल छुआ है ।।
दोहा 3 -
बड़ी घनेरी बन रहा, जनसंख्या का लेख ।
राजस्थानी छवि अमिट, सुंदर रचना देख ।।
11.
जनसंख्या विस्फोटक जयपुर।
जोध भिवाड़ी क्रमिक उदयपुर।।
बीकानेर नगर अति भारी।
कोटा व्यापक जनता सारी।।
4-आर्थिक स्थिति
12.
पशुपालन जन-जन मनभावन।
सकल घरेलू आवक साधन।।
तिलहन दलहन सभी उगाते ।
खनिज संपदा आय बढ़ाते ।।
13.
नब्बे प्रतिशत उद्योग बनाता ।
जन-धन भुज-बल कार्य कराता ।।
जो आर्थिक मजबूत बनाती ।
जल अभाव से कृषि मुरझाती।।
5-शिक्षा का स्तर
14.
कोटा जयपुर टोंक यहाँ है।
दूसरा बीकानेर कहाँ है।।
शिक्षा का आधार प्रबल है।
उच्च शैक्षणिक ज्ञान सबल है।।
15.
शिक्षा का स्तर नित नित बढ़ता।
शीर्ष आँकड़े लेकर चढ़ता।।
साक्षर मन जिज्ञासु मचलता।
नव अभियान नित्य ही चलता।।
दोहा 4
शिक्षा होती कम रही, पिछड़ी धीमी धार।
अब उन्नत होती रहे, यत्न करे सरकार ।।
6-धर्म
16.
बहुसंख्यक हैं हिन्दू धर्मी।
गढ़ इतिहास व्याख्या कर्मी।।
केंद्र धर्म के बनते जाते।
चल पुष्कर शनि भोग लगाते।।
17.
आर्य समाज सुधारक धारा।
सम्प्रदाय कृष्णामय सारा।।
जैन धर्म के हैं अनुयायी।
रणकपूर बनते धर्मायी।।
18.
पूज्य पुरुष हैं दादू धारी।
ब्रह्मचर्य मद शाकाहारी।।
चार लाख दौ सौ अनुयायी ।
परम्परा गाते प्रभुतायी।।
19.
इस्लामिक जन जहाँ बसे हैं।
एक डोर अजमेर कसे हैं।।
सभी धर्म मिल जुलकर रहते।
भाग धरा को भारत कहते।।
20.
लक्ष्य दीप जो अब बचता है।
गदर केंद्र शासित मचता है।।
जैन धर्म को नहीं दिखाता।
एक मात्र जो है बतलाता।।
दोहा 5
धर्म कर्म से है जुड़ा,समता राजस्थान।
हिंदू मुस्लिम जैन सब ,मिले बढ़ाते शान।।
7-मंडल तथा जिले
21.
सौ हजार अधिक जनसंख्या।
मंडल जिले बने कर व्याख्या।।
जीवन का आधार है शिक्षा।
सबको मिले ज्ञान की दीक्षा।।
22.
ठाड़े बीकानेर जोधपुर।
कोटा अलवर बना उदयपुर।।
यह फीसद अट्ठाइस देखा।
जीव जिलों म़ें इसका लेखा।।
23.
टोंक भीलवाड़ा, सह सीकर।
जिले धौलपुर, अलवर ,ब्यावर।।
बीकानेर, मिवाड़ी कहते ।
जनसंख्या सौ फीसद रहते।।
24.
सात मंडलों से है बनता।
तैंतीस जिला रहे सज्जनता।।
जिला किसनगढ़ बांरा पाली।
गंगा नगर टोंक रखवाली ।।
दोहा 6
अलवर कोटा जिलों से, सज्जित राजस्थान।
शीश उठाए खड़ा है, बन भारत की शान ।।
8-नगर तथा कस्बे
25.
चौवालिस नौ सौ इक्यासी।
कस्बों की संख्या अधिशासी।।
सात फीसदी देश बनाता।
गाँव सिरोही न्यून समाता।।
26.
गंगानगरी ग्राम बहुलता।
आबादी की है व्याकुलता।।
उत्तर पश्चिम शुष्क धरा है।
बालू थल चँहु ओर भरा है।।
27.
नगर बड़ा है कस्बा छोटा।
नगरों में जीवन है खोटा।।
जन-जीवन गाँवों में रहता।
प्रेमिल मन नव सपने गहता।।
दोहा 7
कस्बे नगरों में सदा, जनसंख्या का भार ।
सुलभ जीविका है नहीं, जीवन का आधार ।।
***
योगिता चौरसिया
मंडला मध्यप्रदेश
8435157848
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वर्ग २ (संस्कृति, कला, साहित्य )
९ -लोकगीत १० -लोकनृत्य ११ - लोकभाषा १२ - खानपान १३ - व्रत १४ - त्यौहार १५ - वास्तुकला १६ मूर्तिकला १७ वेशभूषा १८ साहित्य
दोहा-१
राजस्थानी भूमि सी, भूमि न कोई अन्य।
धन्य वीर रणबाँकुरे, सती नारियाँ धन्य।।
चौपाई
अद्भुत राजस्थान हमारा। देशप्रेम की बहती धारा।।
जन्मे यहाँ अमिट बलिदानी। जौहर वाली अमर कहानी।१।
९ -लोकगीत
कण-कण में गीतों की धुन है। सेंजा गाए बने शगुन है।।
कहीं झोरवा पपीहा कागा। रसिया झूमर जुड़ता धागा।२।
केसरिया बालम ओ प्यारे। कभी पधारो देश हमारे।।
लांगुरिया चिरमी पणिहारी। ओल्यू गाती मैया प्यारी।३।
जच्चा ढोला मारू मूमल। सुर में सदा कूकती कोयल।
सावन माह हिंडोळ्या गूँजे। गौर गीत गौरा को पूजे।४।
10-लोकनृत्य
नृत्यकला का अद्भुत संगम। रंग-बिरंगे दृश्य विहंगम।।
घूमर चंग संग तेरा-ताली। कालबेलिया छटा निराली।५।
दोहा-२
नृत्यकला कण-कण बसी, मन-मन बसी उमंग।
ढोलक ढप ढपली बजे, फड़क रहे हैं अंग।।
चौपाई
चरी गेर पनिहारी गींदड़। कठपुतली भी नाचे बढ़-चढ़।।
ढोल डांडिया कच्छी घोड़ी। भँवई घुड़ला की है जोड़ी।६।
११ -लोकभाषा
राजस्थानी भाषा सुंदर। बोली विविध समाहित अंदर।।
डिंगल-पिंगल परम धरोहर। सत-साहित्य रचा अति सुंदर।७।
मेवाड़ी बागड़ी मनोहर। रेगिस्तानी सभी धरोहर।।
बीकानेरी शेखावाटी। नागौरी सुंदर परिपाटी।८।
मेवाती खेराड़ी प्यारी। धन्य-धन्य मालवी हमारी।।
भाषा अद्भुत मेल यहाँ पर। नए-नए हैं खेल यहाँ पर।९।
12-खानपान
खान-पान अति श्रेष्ठ यहाँ पर। यह पौष्टिक आहार कहाँ पर।।
भुजिया दाल सांगरी घेवर। दूध दही घी नए कलेवर।१०।
दोहा-३.
विविध भाँति व्यंजन बनें, आगन्तुक सत्कार।
भोजन यहाँ परोसते, संग परोसे प्यार।।
बाटी दाल चूरमा पूरी। मालपुआ बिन पाँति अधूरी।।
झाजरि लपसी बालूशाही। शुद्ध मलीदा भरी कड़ाही।११।
13. व्रत 14-त्यौहार
व्रत त्यौहार निराले अनुपम। मेलों का है दृश्य विहंगम।।
नर-नारी गणगौर मनाते। श्रावण में झूले पड़ जाते।१२।
मात शीतला का है पूजन। होली रंग जमाता फागुन।
पूजन होता है गणेश का। हर त्यौहार विभिन्न वेश का।१३।
15 वास्तुकला
वास्तुकला में धनी बड़ा है। कोस-कोस पर दुर्ग खड़ा है।।
रजपूती शैली के गढ़ हैं। महल एक से एक सुघड़ हैं।१४।
पत्थर पर नक्काशी प्यारी। ताल भूमिगत भारी-भारी।
रणथंभौर किला आमेरी। गढ़ चित्तौड़ी जैसलमेरी।१५।
दोहा-४.
दीं उकेर नक्काशियाँ, सजीं हुईं दीवार।
इन्हीं किलों ने युद्ध में, झेले प्रबल प्रहार।।
जयपुर अद्भुत नगर बनाया। दीवारों का शहर कहाया।।
अति विचित्र है नगर नियोजन। सबका यहाँ गुलाबी आँगन।१६।
जल में वास उदयपुर का है। जैसे हार सुघड़ उर का है।।
'चौरासी खम्बन की छतरी'। सैन्य समर्पित फॉरम चटरी।१७।
16 मूर्तिकला
मूर्तिकला का जोड़ न कोई। मंदिर-मंदिर मूर्ति सँजोई।।
शैली मंदिर की प्रतिहारी। गिरि पर पत्थर भारी-भारी।१८।
17 वेशभूषा
सबसे भिन्न यहाँ पहनावा। रंग-बिरंगा यहाँ उढावा।।
पगड़ी शान यहाँ मेवाड़ी। लँहगा चूनर भारी साड़ी।१९।
सूती रेशम जड़ी अँगरखी। जिससे शोभा बढ़े कमर की।।
रेशम ऊनी ऊपर चोगा। आतम-सुख भी देखा होगा।२०।
दोहा-५
रंग विरंगी ओढ़नी, चटकीली पोशाक।
वीर वेश की रही है, इतिहासों में धाक।।
सुंदर जामा ऊपर पटका। कमरबंद भी लटका लटका।।
भात ओढ़नी और लहरिया। कुर्ती के सँग लँहगा फरिया।२१।
18 साहित्य
साहित्यिक हैं रत्न यहाँ पर। सुंदर किये प्रयत्न यहाँ पर।।
सूर्यमिश्र चन्दरवरदाई। जयनिक मण्डन की कविताई।२२।
कवि कलोल का ढोला मारू। नरपति कवि थे बड़े जुझारू।।
माघ महाकवि मीराँबाई । कवियों की सुंदर कविताई।२३।
रचे छंद कवियों ने सुंदर। कवि अनमोल यहाँ की भू पर।।
कवि भी लड़े पहन कर बाने । लिखे युद्ध के गीत सुहाने।-२४।
राजस्थानी पावन माटी। बलिदानों की है परिपाटी।।
यह माटी माथे का चंदन। इसको बार-बार है वंदन।२५ ,
दोहा-६
खान-पान व्रत धन्य हैं, धन्य गीत त्यौहार।
धन्य कला साहित्य भी,धन्य लोक व्यवहार।।
~~~
अजय जादौन अर्पण
C-23, महाराजा एनक्लेव,
खैर, अलीगढ़(उ0प्र0)
Mob.9758467288
R-03 वर्ग 3 ( उपलब्धियाँ)
19- प्रमुख उत्पादन
20 प्रमुख व्यवसाय
कृषि
दोहा १
मेरा देस रंगीला, किया विश्व में नाम I
स्वादों का आनंद लो, आओ राजस्थान II
मरुथल राजस्थान कहाया।
मक्का गेहूँ ज्वार उगाया।।
संकल्पित हो कृषि अपनायी।
मोड, मूंग की फसल उगायी।१।
जौ मसूर है कितना सारा।
होता सबका वारा न्यारा।।
होहोबा अजु तारामीरा।
तिलहन बना प्रांत का हीरा।२।
तिल सरसों कपास उपजाते।
नगदी फसलें आमद लाते।।
तम्बाकू गन्ना अरु राई।
व्यापारिक फसलें कहलाईं।३।
पशुपालन धंधा अपनाया।
बकरी मुर्गी ऊँट सुहाया।।
गाय-भैस सबके मन भाती।
दुग्ध क्रांति की अनुपम थाती।४।
वृक्ष जलाकर खाद बनायी।
वही वालरा कृषि कहलायी।।
इससे फसलें बढ़ती जायें।
मरुथल में भी कनक उगायें।५।
दोहा-२
पशुपालन लगता भला, फलप्रद है व्यवसाय।
पशुओं की यह संपदा, घर में बरकत लाय।।
बारिश में ही जो खिल पाता।
ऑर्किड यहाँ विहँस इठलाता।।किंचित ताप जो सह न पाया।
मरुथल में वह फूल खिलाया।६।
पर्यटन
पहले था यह राजपुताना।
रजवाड़ों का रहा ज़माना।
नए राज्य का दर्जा पाया।
राजस्थान तभी कहलाया।७।
व्यवसायों की आयी बारी।
देशाटन ने बाजी मारी।।
शहर गुलाबी सबको भाया।
जयपुर ने इतिहास बनाया।८।
जयपुर, उदय, जोधपुर भाये
स्वर्णिम त्रिभुज यही कहलाये।।
महल किले झीलें हैं छाई।
करें पर्यटन की अगुआई।९।
मनहर मोहक नृत्य कलाएँ।
सैलानी को सभी लुभाएँ।।
गाकर अपने देस बुलायें।
अतिथि देव भव रीत निभायें।१०।
21. निर्माण 22-स्मारक
शाही राज्य तभी कहलाया।
सुंदर भवन बने सरमाया।।
वास्तुशिल्प ऐसा बनवाया।।
पर्यटकों को हरदम भाया।९।
जाल किलों का खूब बिछाया।
अम्बर, नाहर, जयगढ़ भाया।।
महलों ने भी धाक जमायी।
हवा महल ने शान बढ़ायी।११।
दोहा-३
मीलों तक फैला हुआ, महल दुर्ग का जाल।
शौर्य गान गाते रहे ,कण कण हुआ निहाल।।
मेहरनगढ़ जो भी जाता है।
झीलों का सुख भी पाता है।।
जैसलमेर प्रमुख कहलाये।
स्वर्णकिला भी देखा जाये।१२।
झील महल की शोभा न्यारी।
सभी किलों ने बाज़ी मारी।।
शीर्ष स्थल का मान कमाया।।
पर्यटकों को सदा लुभाया।१३।
23. नई खोज
यूरिया का संकट जब आया।
नैनो यूरिया से सुलझाया।।
कृषि प्रधान है मरुथल अपना।
संजीवित जैसे है सपना।१४।
जयपुर ने इतिहास रचाया।
जयपुर फुट जग ने अपनाया।।
सस्ता कृत्रिम पाँव लचीला।
जिसने पहना बना सजीला।१५।
24.प्रमुख बातें 25. मुख्य उपलब्धियाँ
हस्तकला है सबसे न्यारी।
थेवा कला व कुन्दनकारी।।
चांदी सोना सबको भाये।
गहने पहन सभी इतरायें।१६।
शहरों की है अजब कहानी।
रंगों की दी उन्हें निशानी।।
एक नया इतिहास रचाया।
नया कलेवर सबको भाया।१७।
जयपुर शहर गुलाबी सोहे।
उदयपुरी श्वेत छवि मोहे।।
जैसलमेर सुनहरी छवियाँ।
जोधपुरी मादक हैं रतियाँ।१८।
घूमर पर हों सब बलिहारी।
ढोल बजा झूमें नर नारी।।
घूमर में करतब दिखलाया।
कीर्तिमान नवीन बनाया ।१९।
अजरक की चादरें सुहाएँ।
पंचकुला की सब्जी भाएँ।
प्रिंट जयपुरी सांगानेरी।
सबने खूब मोहिनी फेरी।२०।
दोहा -५
रंगों की भरमार है, खान पान की शान।
गीत, नृत्य,परिधान में, अनुपम राजस्थान।।
***
सरस दरबारी
प्रयागराज (उ.प्र)
R-04 वर्ग 4 ( इतिहास) वर्ग 4 ( इतिहास) 26 ऐतिहासिक घटनाएँ 27. मेला ,कुम्भ 28.राजा, महाराजा 29 पौराणिक कथाएँ 30. ऐतिहासिक यात्रा
दोहा १
श्री सरस्वती मात को, पहले करते याद।
गाथा राजस्थान की, सदा रहा आजाद।।
26 ऐतिहासिक घटनाएँ
पत्थर युग में मनुज रहे हैं। भांड और औजार मिले हैं।
आदि मनुज ने पाँव पसारे। पर्वत-नदियाँ बने सहारे।१।
सरस्वती संजीवित सरिता। राजस्थान सलिल पी तरता।।
दृषद्वती संग सूख गयी जब। आस-श्वास भी डूब गयी तब।२।
दक्षिण-पूरब से घस आया, शक राजनहपान नहिं भाया।
धीरे धीरे कदम बढ़ाए, राजस्थानी समझ न पाए।३।
गुप्त वंश का पहला क्षत्रप। नाम रुद्रदामा स्वामी नृप।
हूणों ने फिर किया आक्रमण। गुर्जर-दल का हुआ आगमन।४।
प्रतिहारों ने सत्ता पाई। बचा न पाए साख गँवाई।
जमा वंश चौहान विजय पा।वासुदेव ने पाई सत्ता।५।
दोहा २
हुआ हर्षवर्धन निधन, जनगण हुआ अधीर।
सलिल धार नयनों बही, सही न जाए पीर।२।
27. मेला , कुम्भ
खाटू श्याम की छवि है प्यारी। क्षार बाग की महिमा न्यारी।
जंतर-मंतर सभी जानते। शीश महल जल महल घूमते।११।
लहंगा चुनरी रंग-बिरंगी, लाख चूड़ियाँ है सतरंगी।
मन को भाती सुंदर जूती। सिर की पगड़ी दिल को छूती।१२।
भ्रमण करें आकर नर-नारी। चढ़ें ऊँट कर अश्व सवारी।
पुष्कर में ब्रह्मा का मंदिर। यही अकेला है धरती पर।१३।
दोहा ३
पुष्कर मेला विश्व में, सचमुच बहुत प्रसिद्ध।
सैलानी हर देश से, आते योगी-सिद्ध।।
28.राजा, महाराजा
विमल शाह सेनापति आया, भीम देव नृप संगी पाया।
आबू में मंदिर बनवाया, आदिनाथ विग्रह पुजवाया।६।
हत्या हुई राव चूड़ा की। आशा टूट गयी जनता की।।
रणमल ने अधिकार जमाया। झट मंडौर दौड़ हथियाया।७।
रतन सिंह राणा जब हारे। धधके जौहर के अंगारे।।
नहीं पद्मिनी को छू पाया। जीत न खिलजी ने सुख पाया।८।
एक राय हो गए सभी जब। साम्भर के चौहान विहँस तब।
अद्भुत रणथम्भौर बनाया। किला न दूजा फिर बन पाया।९।
आन-बान-सम्मान न जाए। शीश भले अपना कट जाए।
लड़े थे राजा अपनी जां पर। बतलाता इतिहास यहाँ पर।१०।
दोहा ४
ढाई दिन का झोपड़ा, विजय स्तंभ महान।
रानी जी की बावड़ी, कीर्तिस्तंभ बखान।।
29 पौराणिक कथाएँ 30. ऐतिहासिक यात्रा
चौपाई :-
चंद्र महल से करते दर्शन। दान-प्रसादी करते अर्पन।
मंदिर में जा कल्कि देव का। राजा जयसिंह करते टीका।११।
भगवत गीता कथा बताए। श्री कल्कि देवता के गुण गाए।
श्रीहरि के दसवें अवतारी। कलयुग में प्रगटें तैयारी।१२।
30. ऐतिहासिक यात्रा
चौपाई
तीस मार्च बुधवार शुभ दिवस। उनन्चासवाँ रहा वह बरस।
राजस्थान प्रांत बन पाया। हर उर में आनंद समाया।१३।
लूणी चंबल बनास नदियाँ। अरावली की कठिन घाटियाँ।।
उन्नति की राहों पर आईं। प्रगति कथा सबके मन भाई।१४।
कोटा में बैराज बनाया। शिक्षा क्षेत्र में नाम कमाया।।
परमाण्विक भट्टी की महिमा। गर्वित भारत माँ की गरिमा।१५।
दोहा ५
अपने हिंदुस्तान का, प्यारा राजस्थान।
पूरे भारत देश के, जन गाते गुणगान।।
ओपी सेन 'आजाद', ९८२६२७६४६४
डबरा,जिला ग्वालियर मप्र
***
R-05 वर्ग 5-(प्राकृतिक सौन्दर्य) 31-पशु 32 -पक्षी 33-पुष्प 34-वृक्ष 35- पर्यटन स्थल 36-झीलें 37 नदियां
31-पशु, 32 -पक्षी
चौपाई-
ऊँट दीखता भोला-भाला।
धोरों में यह दौड़ लगाता।।
पशुओं में यह सबसे आला।
दिखता है यह भोला भाला।१।
चीता रणथंभौर सफारी।
देहयष्टि इसकी है न्यारी॥
काला मृग अरु छापरताला।
नाम न इनका ढलनेवाला।२।
गोगामेड़ी मल्लीनाथा ।
गाते हैं पशुओं की गाथा॥
नाचन गोमठ ऊंट प्रकारा।
रेबारी का बड़ा सहारा।३।
नीलगाय चीतल अरु सांभर।
मगरमच्छ घड़ियाल देख डर।।
उड़नगिलाई कुंरजा चीतल।
देवकेवला खग विहार चल।४।
पशुओं के मेले भी भरते।
विविध नसल चौपाये पलते॥
मोर नाचते देख मुदित मन।
बारिश में शोभित घर-आँगन।५।
दोहा
सिंह सरीखी शान है, राजस्थानी मान।
चिंकारा अरु ऊँट ही, मरुथल की पहचान।१।
पंछी के गुण सहस बखाना।
गोडावन सुनाम से जाना॥
विहगों का घर बंध बरैठा।
जयसमन्द वन बाघा बैठा॥६॥
33-पुष्प, 34-वृक्ष
चौपाई-
विविध रंग के फूल सुहाते।
पीत लाल मन को अति भाते॥
रोहिड़ा पुष्प औषधी एका।
मरुथल में बहुतायत देखा॥७॥
तेज पवन भी नहीं डिगाता।
विजयादशमी पूजा जाता।।
कल्पवृक्ष यह है कहलाता।
थार क्षेत्र में जन मन भाता।।८।।
गुंदी कैर बहार खेजड़ी।
भाय सांगरी बेर बोरड़ी।।
कैर कुमटिया मिर्ची लाल।
गोंदा बोर मतीर भुआल।९।
३५ पर्यटन स्थल
राजभूमि यह राजस्थाना।
महल हवेली रूप बखाना॥
जंतर मंतर आमेर किला।
नगरी गुलाबी मंदिर शिला॥१०॥
दोहा-
विविध रंग के हैं भवन, विविध भाँति के वेश।
केसरिया बालम कहे, आओ म्हारे देस।२।
36-झीलें
झीलों का यह क्षेत्र सुहाना।
नगर बसाती जनता-राणा॥
नाथ एकलिंग नाथद्वारा।
मेवाड़ी का बड़ा सहारा॥११॥
जैसलमेर सुनहरी नगरी ।
टिब्बे टीले बालू मगरी॥
है हवेली नाथमल पटवा।
बाग बड़ा धरा कुल तहँवा॥१२॥
गोविंद गुरु मानगढ़ धामा।
वागड़ का वृन्दावन नामा॥
हरि मंदिर बेणेश्वर सोहे।
त्रिपुर सुंदरी मन को मोहे॥१३॥
राजसमंद अरु फायसागर।
नक्की पुष्कर आनासागर॥
कायलान गडसीसर मोती।
कोलायात सिलीसेढ़ होती॥१४॥
पचपदरा अरु खारी सांभर।
डीडवाना अरु लूणकरणसर।।
डेगाना फलोदी कुचामन।
स्रोत लवण से पाते हैं धन॥१५॥
दोहा-
झीलें राजस्थान की, खारी मीठी होय।
जय समंद के घाट का, अनुपम शीतल तोय।३।
37 नदियाँ
मंथा बांडी सुकड़ी जवाई। मासी सुकड़ी सोटा डाई॥
चंबल साबी मोरेल कलकल। देती है जन जन को संबल॥१६॥
घग्घर कांतली काकनी साबी। चंबल परवन चाखन आबी॥
कालीसिंध ओ बाणगंगा। साबरमती मीठड़ी अंगा॥१७॥
दोहा-
काली लूनी पार्वती, जाखम सोम बनास।
माही से वागड़ पले, जन जन की है आस।४।
-राम पंचाल भारतीय
बाँसवाड़ा (राजस्थान)
मो. 9602433448
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वर्ग 6 ( भौगोलिक संरचना)
38-बाँध 39 समुद्र 40-जलवायु 41. प्रदेश की सीमाएं 42 पहाड़ / पठार 43 खनिज 44 मिट्टी
दोहा 1
उत्तर पश्चिम में बसा, मेरा राजस्थान।
अजब अनूठी रीत है, है वीरों की खान।।
एक ओर हैं झीलें सुंदर। एक ओर रेतीला मरुधर।।
दूर-दूर तक फैले धोरे। हैं रेतीले टीले कोरे।।1।।
बाग-बगीचे स्वर्ग बनाते। पर्यटकों का मन हर्षाते।।
जंगल धोरे नदिया झरने। रमण देवता आते करने।।2।।
38-बाँध
तेइस बाँध मुख्य कहलाते। कुछ से बिजली यहाँ बनाते।।
मिलता है पीने का पानी। करते खेती और किसानी।।3।।
बीसलपुर सरदार सरोवर। जवई, जाखम बाँध धरोहर।।
राणा प्रताप जवाहर सागर। नंद समन्द कूल नटनागर।।4।।
कोटा बैराज, टोरडी भी है। मेजा बारेठा गाँधी है।।
नाम बाँध के हैं बहुतेरे। किसको छोड़े किसे उकेरे।।5।।
40-जलवायु
दोहा 2
शुष्क रहे मौसम यहाँ, मरुथल है पहचान।
सारे जग से है अलग, यह मेवाड़ी शान।।
मौसम को जलवायु बनाती।
तीनों ऋतुएँ आती-जाती।।
उष्ण कटिबंधीय कहलाए।
शुष्क अधिकतर पाये जाए।।6।।
रेत उड़ाती रहती आँधी।
कहीं बाढ़ की दिखती झाँकी।।
रहे चरम पर सरदी-गरमी।
कहीं दिखे मौसम की नरमी।।7।।
रेती भरे बवंडर बहते।
लोग भभुल्या इसको कहते।।
सरदी में नक्की जम जाती।
भारी वर्षा भी है आती।।8।।
आबू सबसे ठंडा होता।
पारा जीरो का स्तर खोता।।
गरम फलौदी सबसे जानो।
मरुधर की गरमी पहचानो।।9।।
दिन भर तपती अंगारों सी।
रात लगे जल की धारों सी।।
पहाड़ियों पर ठंडक रहती।
नदिया आँचल में है बहती।।10।।
दोहा 3
सूरज करता है यहाँ, किरणों की बरसात।
कहीं ठिठुरता है बदन, तपे कहीं पर गात।।
पारा पार पचास करे है।
सब के मन का चैन हरे है।।
जलवायु है रंग रंगीली।
दिखती झाँकी यहाँ छबीली।।11।।
41. प्रदेश की सीमा
पाँच राज्य अंतर्सीमा पर।
पाकिस्तान छुए है मरुधर।।
बड़ा क्षेत्रफल में है सबसे।
राजस्थान बना है जबसे।।12।।
मध्य 'देश, गुजरात, लगा है।
एक ओर पंजाब दिखा है।।
संग जुड़ा उत्तर प्रदेश है।
सरहद पाकिस्तान शेष है।।13।।
42 पहाड़ / पठार
अरावली है पर्वत माला।
दिखता इसका रूप निराला।।
गुरू शिखर चोटी है ऊँची।
अन्य पर्वतों की है सूची।।14।।
सबसे ऊँचा पठार उड़िया।
मेसा और पठार लसडिया।।
मँगरा, डूंगर भी कहते हैं।
वन्य जीव इनमें रहते हैं।।15।।
दोहा 4
ऊँचे पर्वत हैं खड़े, सीना अपना तान।
इन्हीं पर्वतों ने रखी, इस धरती की आन।।
नागफनी सज्जन गढ़ चोटी।
डूंगर बड़े, डूंगरी छोटी।।
बाबाई, बैराठ पहाड़ी।
मुकंदरा भेराच पहाड़ी।।16।।
लोहार्गल जरगा अधवाड़ा।
जग प्रसिद्ध यहाँ दिलवाड़ा।।
मंडेसरा क्षेत्र अभ्यारण।
बीच पहाड़ों के हैं कानन।।17।।
43 खनिज
जस्ता जिंक संगमरमर है।
मिले यहाँ चूना पत्थर है।।
चाँदी ताँबा पाया जाता।
टंगस्टन जनगण को भाता।।18।।
अभ्रक मिले, मिले है सोना।
सच है कई खनिज का होना।।
गारनेट, ग्रेनाइट मिलता।
लौह अयस्क, मैगनीज निकलता।।19।।
सीसा, जिप्सम बेन्टोनाइट।
एस्बेस्टॉस और फ्लोराइट।।
भंडार तेल के भी पाए।
खनिज अजायबघर कहलाए।।20।।
44 मिट्टी
दोहा 5
मिट्टी राजस्थान की, जणती वीर सपूत।
अन्न निपजती यह धरा, वन भी यहाँ अकूत।।
दोमट लाल कछारी काली।
बलुई मिट्टी रेतीवाली।।
भूरी लाल और है पीली।
मिट्टी कहीं मिले पथरीली।।21।।
कुछ जलोढ़ कुछ धूसर मिट्टी।
उपजाऊ कुछ ऊसर मिट्टी।।
मृदा मिले लवणीय कहीं पर।
पर्वतीय मिट्टी का यह घर।।22।।
सेना में अवदान बड़ा है।
सबसे आगे देश खड़ा है।।
वीर प्रसूता यही धरा है।
इसके कण-कण जोश भरा है।।23।।
है बनास माही और खारी।
बाण गंगा चंबल कोठारी।।
चंबल माही जीवन रेखा।
जल से हीन न इनको देखा।। 24।।
ऊबड़-खाबड़ धरा यहाँ की।
सँस्कृति है बेजोड़ जहाँ की।।
रजवाड़ों को मिला बनाया।
इसका जस कविता में गाया।।25।।
दोहा 6
सोना चांदी क्या कहो, यह हीरों की खान।
गर्व करे इस भूमि पर, सारा हिंदुस्तान।।
रेखा लोढ़ा 'स्मित'
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वर्ग - R-07 45- खिलाड़ी 46 साहित्यकार 47 संत महात्मा 48- सेनानी 49. नेता 50. अभिनेता 51. गायक 52.नर्तकी 53. चित्रकार
45- खिलाड़ी
मरुधर माटी उर्वरा, जग में है सिरमौर।
हीरे बेटे-बेटियाँ, चमके चारों ओर।
लेखक गायक संत व नेता।
खेल-खिलाड़ी अरु अभिनेता।।
कूची घुँघरू सुर सेनानी।
कला कोख का नाहीं सानी।। 1
झीलें, पोखर, पर्वत, टीले।
मरवण नारी नर रौबीले।
बहुतायत है रेगिस्तानी।
निपजाती फल अन्न किसानी।।2
लोक कला अमृत बरसाये।
सैलानी के मन हरसाये।।
खान पान मरुधर रजवाड़ी।
व्यापारी प्रसिद्ध मरवाड़ी।।3
माँ गणियार नाम है अनवर।
मान 'पद्मश्री' है श्रेयष्कर।।
गाज़ी मोती अरु जेनसिधर।
लोककला में हैं जगजाहिर।।4
दुर्योधन बन नाम कमाया।
अर्पित रांका जग में छाया।।
परदे पर जब नीलू चमकी।
आभा राजस्थानी दमकी।।5
दोहा
चट्टानों सा तन रखे, और धरा का मान।
आखिर तक लड़ते सदा, रखते ऊँची आन।।
करणीसिंह का गज़ब निशाना।
दुनिया भर ने लोहा माना।।
लिम्बा तेरी तीरंदाज़ी।
राजस्थानी मारे बाज़ी।।6
खोड़ा गगन सलीम दुरानी।
नहिं क्रिकेट में इनका सानी।।
परमजीत, हनुमान जुरावर।
बास्कटबॉल की लिए धरोहर।।7
वालीबॉल रमा को भाया।
प्रताप पुरस्कार दिलवाया।।
गोल्फ कबड्डी कुश्ती पोलो।
खेल कौन सा यहाँ न, बोलो।।8
पोलो किशन, प्रेम को भाया।
अर्जुन पुरस्कार दिलवाया।।
गर्वित हर्षित अश्वसवारी।
मोहम्मद पर मैडल वारी।।9
नवनीत गौतम की कबड्डी।
दुश्मन को वो करे फिसड्डी।।
राज्यवर्धन, राजश्री, कृष्णा।
मैडल की मिटवाई तृष्णा।।10
दोहा
कण कण आखर नीपजे, मोती महँगे मोल।
छन्द भाव अरु रस सरस, कविता है अनमोल।।
46 साहित्यकार
कवि गिरधर का सगत रासौ।
रचना नरपति वीसल रासौ।।
पद्मनाभ व चन्दबरदाई।
कवि कुल को पहचान दिलाई।11
पीथल, मींझर अरु गलगचिया।
कन्यालाल रची मरुधरिया।।
देथा-बातां री फुलवारी।
श्यामल-वीर विनोद विचारी।।12
महाकवि पृथिराज राठौड़ा।
डिंगल-पिंगल कछु नहिं छोड़ा।।
बीकाणे का मान सुदामा।
गद्य पद्य समरूप हि नामा।।13
किया सपेरों का गर्वित सर।
नाम गुलाबो का है घर घर।।
पद्म श्री उपहार है पाया।
जन जन ने फिर गले लगाया।।14
47 संत - महात्मा
तनिक न किंचित हुई अधीरा।
मगन किशन गन गाए मीरा।।
समझ सुधा पीया विष प्याला।
बना सर्प पुष्पों की माला।।15
दोहा
सत्य अहिंसा धर्म की, धरती राजस्थान।
साधु संत अरु देवता, पाते हैं सम्मान।
पीपा, जाम्भो अरु रविदासा।
गाते मधुर प्रीत की भाषा।।
रज्जब मुस्लिम सांगानेरी।
दास राम सुख बीकानेरी।।16
बांगड़ मीरा गवरी बाई।
दादू दूहा अलख जगाई।।
चरणदास जसनाथ सरीखे।
राजस्थान धरा पर दीखे।।17
चैतन्य महाप्रभु, भिक्षु स्वामी।
संत मरुधरा के अति नामी।।
बेणेश्वर मावजी रचाया।
धना खेत बिन बीज लगाया।।18
कपिल मुनि का धाम कोलायत।
पुण्य अधिक गंगा से पावत।।
रामदेव रूणिचा में बैठे।
जनगण के अंतर्मन पैठे।।19
नूर, दाउ ने अवसर पाया।
सालासर दरबार सजाया।।
काबों की नित होती पूजा।
करणी सा दरबार न दूजा।।20
48- सेनानी
दोहा
कटे शीश लड़ते रहे, माटी के थे भक्त।
पौरुष ही पहचान है, नस-नस पावन रक्त।।
मुगलों ने भी लोहा माना।
राणा का था देश दिवाना।।
कुम्भा थे शस्त्रों के ज्ञाता।
कुंभलगढ़ के भाग्य विधाता।।21
स्वयं पूत तलवार के नीचे।
उदयसिंह की बेल वो सींचे।।
बड़ी मात से पन्ना दाई।
सकल विश्व में सदा सवाई।।22
49. नेता 50. अभिनेता 51. गायक 52.नर्तकी 53. चित्रकार
परजानायक जयनारायण।
गाँधी को प्रिय रामनरायण।।
शेर भरतपुर गोकुल वर्मा।
उग्र रुबीले ज्वाला शर्मा।।23
पुत्र पाँचवा वो गाँधी का।
जमनालाल नाम आँधी का।।
सागर गोपा सब हितकारी।
कम्पित गोरे अत्याचारी।।22
मरुधर गाँधी गोकुल भाई।
नशामुक्ति की जोत जगाई।।
हरिभाऊ दा साब कहाये।
नेहरु दूजा जुगल बनाये।।23
प्रहलाद पारीक
D-93, आजाद नगर भीलवाड़ा (राज.)
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राम पांचाल भारतीय
स्टेट हेड राजस्थान
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लद्दाख
वर्ग 1 जनसांख्यिकी
1-राज्य की उत्पत्ति, स्थापना, आधार 2-राजधानी 3-जनसंख्या 4-आर्थिक स्थिति 5-शिक्षा का स्तर 6-धर्म 7-मंडल तथा जिले 8-नगर तथा कस्बे आदि-आदि
वर्ग 2 (संस्कृति, कला, साहित्य )
9 -लोकगीत 10-लोकनृत्य 11-लोकभाषा 12-खानपान 13. व्रत 14-त्यौहार 15 वास्तुकला 16 मूर्तिकला 17 वेशभूषा 18 साहित्य आदि-आदि
वर्ग 3 ( उपलब्धियाँ)
19- उत्पादन में प्रमुख 20 प्रमुख व्यवसाय 21. निर्माण में सर्वोपरि 22-स्मारक 23. नई खोज 24.प्रमुख बातें 25. मुख्य उपलब्धियां आदि
वर्ग 4 ( इतिहास)
26 ऐतिहासिक घटनाएँ 27. मेला ,कुम्भ 28.राजा, महाराजा 29 पौराणिक कथाएँ 30. ऐतिहासिक यात्रा आदि-आदि
वर्ग 5-(प्राकृतिक सौन्दर्य)
31-पशु 32 -पक्षी 33-पुष्प 34-वृक्ष 35- पर्यटन स्थल 36-झीलें 37 नदियां आदि-आदि
वर्ग 6 ( भौगोलिक संरचना)
38-बांध 39 समुन्द्र 40-जलवायु 41. प्रदेश की सीमाएं 42 पहाड़ / पठार 43 खनिज 44 मिट्टी आदि-आदि
वर्ग 7 (प्रमुख व्यक्तित्व)
45- खिलाड़ी 46 साहित्यकार 47 संत महात्मा 48- सेनानी 49. नेता 50. अभिनेता 51. गायक 52.नर्तकी 53. चित्रकार आदि-आदि
[19:54, 5/10/2021] भारत को जानें: वर्ग 1 जनसांख्यिकी
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वर्ग १ जनसांख्यिकी - देवेश सिसोदिया राज्य समन्वयक (लद्दाख) हाथरस (उत्तर प्रदेश)
१-राज्य की उत्पत्ति, स्थापना, आधार २-राजधानी ३-जनसंख्या ४-आर्थिक स्थिति ५-शिक्षा का स्तर ६-धर्म ७-मंडल तथा जिले ८-नगर तथा कस्बे
१-राज्य की उत्पत्ति, स्थापना, आधार
दोहा १
सन आठ सौ ब्यालिस में, उदित हुआ यह राज्य।
जब विघटित हो गया था, तिब्बत का साम्राज्य ।।
चौपाई
प्यारा सा लद्दाख हमारा। सबकी आँखों का है तारा।।
मुझको प्यारा तुमको प्यारा। सारे जग में सबसे न्यारा ।१।
कभी न हिम्मत यह है हारा। जीरो से नीचे है पारा।।
बहुत मनोरम चित्रण इसका। देख लेह मन हर्षित सबका।२।
करगिल की ऊँची हैं चोटी। और बनी कुछ सुंदर छोटी।
फसल ऊगती कठिनाई से। पेट न भरे रकम आई से।३।
करगिल की है ख्यात लड़ाई। दुर्गम दुष्कर बहुत चढ़ाई।।
मौसम रहता बहुत सुहाना। स्थापन है बहुत पुराना।४।
शत्रु कभी जब लड़ने आये। सिंह नाद कर उसे भगाये।।
लद्दाखी सैनिक ललकारे। मातृभूमि पर तन मन वारे।५।
२ राजधानी
दोहा २
दो हजार उन्नीस में, दिया केन्द्र ने साथ।
नियम बना कर ले लिया, शासन अपने हाथ।।
चौपाई
सिंधु नदी की अविरल धारा। देती सबको बहुत सहारा।।
सात मास ही यह है बहती। बाकी मास बर्फ़ सी जमती।६।
वादी है यह बहुत सुहानी। नगरी लेह बनी रजधानी।।
करे केंद्र शासन मन भाया।प्रशासनिक अधिकार जमाया।७।
खोला अपना बड़ा पिटारा। रूप राज्य का खूब निखारा।।
मूल समस्या सभी मिटाई। राह प्रगति की नई दिखाई।८।
चक्र प्रगति का चला निरंतर। हालत है पहले से बहतर।।
जनता के मन आस जगी है। राह प्रगति की नई खुली है।९।
३-जनसंख्या
तीन लाख आवादी वाला। सुंदरता में सबसे आला।।
सीमित है इसकी जन संख्या। बहुत सुहानी होती सन्ध्या।१०।
दोहा ३
आबादी की दृष्टि से, छोटा है यह राज्य।
किंतु क्षेत्रफल में बड़ा, फैला है साम्राज्य।।
हिलमिल हिन्दू- मुस्लिम रहते। बौद्ध नेह के नाते तहते।।
मिलजुलकर सब हाथ बटाते। सदा एकता सबक सिखाते।११।
४-आर्थिक स्थिति
आर्थिक स्थिति है कमजोर। करते खेती पालें ढोर।।
पशु पालन में खच्चर भाता। दूध दही दे गैया माता।१२।
बोझा ढो कर काम चलाते। मेहनत करते खूब कमाते।।
फूल फलों की खेती करते। झोली मेहनत से नित भरते।१३।
कैमोइल लैवेंडर केसर। गेंदा अरु गुलाब दें अवसर।
फूल बेचकर लाभ कमाएँ। अपना जीवन सुखद बनाएँ।१४।
हस्त शिल्प है कला निराली। कौशल दिखलाने में आली।।
हथकरघा से दाम कमाने। लद्दाखी बुनकरअकुलाने।१५।
दोहा ४
अर्थव्यवस्था की करें, यदि इसकी हम बात।
कठिन बहुत जीवन यहाँ, परिश्रम है दिनरात
५-शिक्षा का स्तर
शिक्षा और हुनर में आगे। सैनिक देख शत्रु भी भागे।
निन्यानवे का युद्ध भयंकर। पाकी भागे दुम नीची कर।१६।
शिक्षा की है बाल अवस्था। चिंतनीय है बहुत व्यवस्था।।
दूर दूर जब पढ़ने जाते हैं। अवसर कम ही मिल पाते हैं।१७।
हिल काउंसिल कदम बढ़ाए। लैपटॉप कंप्यूटर आए।।
शिक्षा बोर्ड गठित होना है। आँखों में सपने बोना है।१८।
ऑनलाइन शिक्षा है जारी। उज्जवल कल की है तैयारी।।
बना एन.जि.ओ. आई सुजाता। हर बच्चा नव अवसर पाता।१९।
६-धर्म
चौपाई
भिन्न भिन्न सब धर्म हमारे। एक दूजे के बने सहारे।।
बौद्ध धर्म सबको मन भाए। लामा जाप करे, समझाए।२०।
दोहा ५
बौद्ध धर्म ने जब लिए अपने पाँव पसार।
गुरु मुख से वाणी सुनी, समझ गए सुख सार।।
घंटी तुरही झाँझ बजाते। विश्वशांति का पाठ पढ़ाते।।
बोधिसत्व को पूजा करते। मंत्र ऋचाएँ चुप रह जपते।२१।
मुसलमान ईसाई रहते। संख्या में कम सुख-दुःख सहते।।
है धार्मिक सद्भाव यहाँ पर। जैसा वैसा कहो कहाँ पर।२२।
७-मंडल तथा जिले ८-नगर तथा कस्बे
मंडल एक जिले केवल दो। श्रम कोशिश विकास जल्दी हो।
नगर गाँव है छोटे छोटे। दर्रे बहुत भयानक होते।२३।
अलची अरु दुखांग मोनेस्ट्री। घूम पाइए शांति मिले फ्री।।
चंद्र भूमि लद्दाख कहाती। पर्यटकों के मन को भाती।२४।
दोहा ६
लेह ह्रदय लद्दाख का, जा मोती बाजार।
कपड़े गरम खरीदिए, प्रिय को दें उपहार।।
दोहा १
सन अठारह सौ चौबिस, हेतु डोगरा वंश।
जोरावर विजयी हुआ, झेल शत्रु का दंश।।
दोहा १
सन आठ सौ ब्यालिस में, उदित हुआ यह राज्य।
जब विघटित हो गया था, तिब्बत का साम्राज्य।।
चौपाई
राजवंश लद्दाखी आया। सुगठित कर साम्राज्य बसाया।।
जनगण-मन हर्षित मुस्काया। स्वागत कर नित पर्व मनाया।१।
था झंडा ऊँचा फहराया। नाम खूब रणजीत कमाया।।
जोरावर उसका सेनानी। याद दिलाए अरि को नानी।१।
एक हुई कश्मीरी घाटी। लेह और कश्मीरी माटी।
बहुत समय तक शासन कीन्हा। सुख समृद्धि बहुत नही दीन्हा -
आठ सौ बयालीस में, उदित हुआ यह राज्य
लद्दाखी रजवंश ने, बना लिया साम्राज्य ।।
चोपाई
चोपाई-
निजी प्रान्त का सपना देखा
स्वायित्व की खिंचे अब रेखा
हमको अब लद्दाख है प्यारा
पृथक राज्य हो सबसे न्यारा
पृथक राज्य का बिगुल बजाया
कश्मीर का न शासन भाया
शांतिदूत के सभी पुजारी
स्वायित्व बिना सभी दुखारी
चीनी तिब्बत अत्याचारी
लद्दाख की बड़ी लाचारी
स्वयित्व का सपना देखा
निर्धारित हो सीमा रेखा
दोहा-
दो हजार उन्नीस में, दिया केंद्र ने साथ।
कानून बना कर ले लिया, शासन अपने हाथ ।।*
चौपाई-
केंद्र शासित राज्य बनाया
प्रशासनिक अधिकार जमाया
राज्यपाल के हाथों सौंपा
राधाकृष्णन को यह नौका
तीन लाख आबादीवाला। सुंदरता में सबसे आला ।।
मुझको प्यारा तुमको प्यारा। सारे जग में सबसे न्यारा ।।
भारत माँ की आँख का तारा। शून्य से नीचे इसका पारा ।।
बहुत मनोरम चित्रण इसका। देख लेह मन हर्षित सबका
पर्यटकों की यह है धरती। साधु- संत की धूनी रमती ।।
काराकोरम और हिमालय। पर्वत दोनों इसके आलय ।।
कारगिल की प्रसिद्ध लड़ाई। कठिन होती इसकी चढ़ाई
मौसम रहता बहुत सुहाना। स्थापन है बहुत पुराना
२-राजधानी
सुंदरता में बहुत सुहानी, लेह है इसकी राजधानी
कृषि पर भी आधारित जीवन जड़ी बूटियाँ औऱ संजीवन
दोहा-
तिब्बत के साम्राज्य का, विघटन होता देख।
सदी आठवीं में बना, राज्य अनोखा एक ।।
चोपाई-
सिंधु नदी ही कृपासिंधु है ।
कृषि सिंचन का मुख्य बिंदु है
सिंधु नदी की अविरल धारा
देती सबको बहुत सहारा
वीर प्रसूता भारत माता
आन-वान से गहरा नाता
सीमा पर जो रक्षा करते
दुःख माता का पल में हरते
रहते हिन्दू मुस्लिम भाई
बौद्ध धर्म के कुछ अनुयाई
मिलजुल कर सब हाथ बटाते
दुश्मन को भी सबक सिखाते
बहुत कठोर जलवायु वाला
सुंदरता में सबसे आला
रोज रोज सैलानी आते
स्थानीय लोगों को भाते
शिक्षा और हुनर में तेजी
लड़ने को सेना है भेजी
निन्यानवे सन की लड़ाई
कारगिल नाम प्रसिद्धि पाई
दोहा-
बौद्ध धर्म ने जब लिए , अपने पाँव पसार ।
गुरु के सुन उपदेश से , समझ गए सुख सार ।।
3-जनसंख्या
चोपाई-
सीमित है इसकी जनसंख्या
बहुत सुहानी होती संध्या
क्षेत्रफल में बहुत बड़ा है
शत्रु सम्मुख तना खड़ा है
सब ने बौद्ध धर्म अपनाया
सबसे ऊंचा स्तूप बनाया
कितना सुंदर कितना आला
इक मंडल दो जनपद वाला
शत्रु कभी जब लड़ने आये
सिंघनाद कर उसे भगाये
लद्दाखी सैनिक जब हारा
मातृभूमि पर तन मन वारा
कारगिल की पर्वत मालाएं
अडिग खड़ी रहती बालाएं
घर आँगन में फूल खिलातीं
सब के मन को खूब रिझातीं
4-आर्थिक स्थिति
पशुपालन में खच्चर भाता
दूध दही को गैया माता
बोझा ढोकर कामचलाते
अतिथी देवो भव अपनाते
दोहा--
हथकरघा का मान बढ़ाने
राज्यपाल लगे अकुलाने
हस्तशिल्प है कला निराली
कौशल दिखलाने में आली
दमिश्क ,गुलाब, चमेली ,गेंदा
शांत रखें तन मन की मैदा
महंगे महंगे फल लगते हैं
बहुत परिश्रम से उगते हैं
5-शिक्षा का स्तर
खुशहाल बना राज्य लद्दाखा
फूली-फली इसकी हर शाखा
ज्ञान बिना मुश्किल लिख पाना
लिखा वही जो कुछ है जाना
नजर पाई है जिसने पैनी
वह हैं केवल ममता सैनी
करो नमन स्वीकार हमारा
पूरा होगा मिशन तुम्हारा
6-धर्म
7-मंडल तथा जिले
8-नगर तथा कस्बे आदि-आदि
देवेश सिसोदिया
1-राज्य की उत्पत्ति, स्थापना, आधार
तीन लाख आबादीवाला। सुंदरता में सबसे आला।।
मुझको प्यारा तुमको प्यारा। सारे जग में सबसे न्यारा।२।
भारत माँ का बहुत दुलारा। चार-पाँच डिगरी है पारा।।
बहुत मनोरम चित्रण इसका। देख लेह मन हर्षित सबका।३।
घुमक्कड़ी लोगों को भाए। साधु संत आ ध्यान लगाए।।
काराकोरम और हिमालय। पर्वत दोनों इसके आलय।४।
सिंधु नदी ही कृपासिंधु है। कृषि सिंचन का मुख्य बिंदु है।
सलिल प्रवाहित अविरल धारा। देती सबको नित्य सहारा।५।
अठरह सौ चौबीस, में हेतु डोगरा वंश ।
जोरावर ने जीत लिया, झेल शत्रु का दंश ।
चोपाई-
ध्वज डोगरा वंश फहराया
राजा रणजीत नाम कहाया
जोरावर उसका सेनानी
याद दिलाए शत्रु को नानी
एक हुई कश्मीरी घाटी
लेह और कश्मीर की माटी
बहुत समय तक शासन कीन्हा
सुख समृद्धि कबहुँ नही दीन्हा
प्रदेश निजी बनाना चाहा
अधिकार स्वायित्व का मांगा
आतंक साथ नहीं गुजारा
हमको अब लद्दाख है प्यारा
पृथक राज्य का बिगुल बजाया
नही कश्मीरी शासन भाया
शांतिदूत के सभी पुजारी
स्वायित्व बिना सभी दुखारी
चीनी तिब्बत अत्याचारी
लद्दाख की बड़ी लाचारी
स्वयित्व का सपना देखा
निर्धारित हो सीमा रेखा
दोहा-
दो हजार उन्नीस में, दिया केंद्र ने साथ।
कानून बनाकर ले लिया, शासन अपने हाथ।
चौपाई-
केंद्र शासित राज्य बनाया
प्रशासनिक अधिकार जमाया
राज्यपाल के हाथों सौंपा
राधाकृष्णन को यह मौका
हथकरघा का मान बढ़ाने
राज्यपाल लगे अकूलाने
हस्तशिल्प है कला निराली
कौशल दिखलाने में आली
2-राजधानी
सुंदरता की नहीं है शानी
लेह बनी इसकी रजधानी
कृषि पर आधारित है जीवन
जड़ी बूटियां और संजीवन
3-जनसंख्या
नियंत्रित है इसकी जनसंख्या
बहुत सुहानी होती संध्या
क्षेत्रफल में बहुत बड़ा है
शत्रु सम्मुख तना खड़ा है
4-आर्थिक स्थिति
पशुपालन में खच्चर भाता
दूध दही को गैया माता
बोझा ढोकर काम चलाते
अतिथी देवो भव अपनाते
कठिन बहुत जलवायु इसकी
सुंदरता फिर से है चमकी
रोज रोज सैलानी आते
घूमघाम कर घर को जाते
शिक्षा और हुनर में तेजी
लड़ने को सेना है भेजी
निन्यानवे सन की लड़ाई
कारगिल नाम प्रसिद्धि पाई
दमिश्क ,गुलाब, चमेली ,गेंदा
शांत रखें तन मन की मैदा
महंगे महंगे फल लगते हैं
बहुत परिश्रम से उगते हैं
खुशहाल बना राज्य लद्दाखा
फूली-फली अब हर शाखा
ज्ञान बिना मुश्किल लिख पाना
लिखा वही जो कुछ है जाना
5-शिक्षा का स्तर
6-धर्म
सब ने बौद्ध धर्म अपनाया
सबसे ऊंचा स्तूप बनाया
मंडल एक,दो जिले बनाए
राजधानी से लेह सजाए
कुछ तो रहते मुस्लिम भाई
बौद्ध धर्म के कुछ अनुयाई
मिलजुल कर सब हाथ बटाते
शत्रु नाश का पाठ पढ़ाते
बौद्ध धर्म ने जब लिए अपने पाँव पसार
सुन उपदेश गुरुकंठ से समझ गए सुख सार
7-मंडल तथा जिले 8-नगर तथा कस्बे
कारगिल की प्रसिद्ध लड़ाई
कठिन बहुत है इसकी चढ़ाई
मौसम रहता बहुत सुहाना
स्थापन है बहुत पुराना
मुकुट सजाए भारत माता
आन-वान से इसका नाता
रक्षा करके प्राण बचाता
सबके मन को सुख पहूँचाता
जब जब शत्रु ने ललकारा
सिंघनाद कर उसे भगाया
लद्दाखी सैनिक जब हारा
मातृभूमि पर तन मन वारा
कारगिल की पर्वत मालाएं
शत्रु नाश करती बालाएं
नगर नगर में रौनक लगती
लोगों की आँखों में बसती
नजर पाई है जिसने पैनी
वह हैं केवल ममता सैनी
करो नमन स्वीकार हमारा
पूरा होगा मिशन तुम्हारा
***
विषय -- कला संस्कृति साहित्य
R ०२ वर्ग (संस्कृति, कला, साहित्य ) अर्चना तिवारी अभिलाषा कानपुर
९ -लोकगीत १०-लोकनृत्य ११-लोकभाषा १२-खानपान १३. व्रत १४-त्यौहार १५ वास्तुकला १६ मूर्तिकला १७ वेशभूषा १८ साहित्य आदि-आदि
९ -लोकगीत
दोहा १
जम्मू की प्राची दिशा, ऊँचा एक पठार।
अति सुंदर लद्दाख है, ईश्वर का उपहार।।
९ -लोकगीत, १०-लोकनृत्य
आर्य नस्ल जनजाति यहाँ की। पुराकथाएँ सत्य बतातीं।।
हैं संगीत-कला के प्रेमी। सीधी-सादी जीवनशैली।१।
फूलों की यह घाटी सुन्दर। हेमिस उत्सव लगता प्रियकर।।
गुंजित होते मधुरिम गीत। लोक नृत्य से बढ़ती प्रीत।२।
महापर्व 'हेमिस' कहलाता। लोगों का जमघट लग जाता।।
नृत्य मुखौटा खेला जाता। सबके मन को यह है भाता।३।
११-लोकभाषा
लद्दाखी है जन की भाषा। पूरी होती मन अभिलाषा ।।
भोंटी भी है इनको कहते। प्रेम-भाव से सब मिल रहते।४।
१२-खानपान
खान पान है अजब निराला। मक्खन चाय स्वाद है आला।।
याक दूध से है यह बनती। रंग गुलाबी में है रंगती।५।
भाँति-भाँति के मिलते व्यंजन। टिग्मो थुक्पा खा प्रसन्न मन।।
मोमोज कई सब्जियों वाला। मोकथुक डलता विविध मसाला।६।
१३ - व्रत
दोहा २
चंद्रभूमि लद्दाख को, कहते हैं सब लोग।
जय-जय होती धर्म की, व्रत से मिटतेरोग।।
बौद्ध यहाँ के मूल निवासी । छल विहीन होते सुख रासी ।।
सहज भाव के लोग सभी जन । करते अपना तन-मन अर्पन।७।
सीधे सच्चे लोग यहाँ पर। पर्व-भावना बसती सुखकर ।।
स्तूप बने हैं जगह-जगह पर। गिनती करना अति है दुष्कर।८।
लगे प्रार्थना चक्र सभी में। प्रभु का सुमिरन करते उर में।।
सच्चे हृदय से जो घुमाता। पाप सकल उसका कट जाता।९।
१४- त्यौहार
हर महिने त्यौहार मनाते। मन में नई उमंग जगाते।।
वैर-भावना भूल सभी जन। प्रेम भाव करते आलिंगन।१०।
दोहा ३
सशक्त नैतिक मूल्य हों , सदा रहे ये भान।
कला साहित्य सभ्यता, बने राष्ट्र पहचान।।
नवल वर्ष में लोसर होता। नित्य खुशी यह पर्व संजोता।।
एक पक्ष तक यह है चलता।पुरखों का नित वंदन करता।११।
१५- वास्तुकला
वास्तुकला तिब्बत शैली की। हेमिस मठ में अद्भुत देखी।।
'शोंगखांग' को मंदिर मानें। जुड़ा 'दुखांग' सभागृह जानें।१२।
१६ - मूर्तिकला
बुद्ध मूर्ति सर्वत्र विराजी। मृदु मुस्कान आधार पर साजी।।
'चंबा' भावी बुद्ध कहाते। जहाँ-तहँ यह पूजे जाते।१३।
१७ - वेशभूषा
ऊनी 'गोंचा पुरुष पहनते। 'बॉक','कंटोप' स्त्री पर सजते।।
'परक' नाम की लंबी टोपी। उठे शीश पर सज्जित होती।१४।
१८ - साहित्य
बुद्ध कथाएँ बहुत लोकप्रिय। जातक कथा विरासत अक्षय।।
वाचिक जो साहित्य यहाँ है। अब तक संचित किया कहाँ है?१५।
दोहा ४
लामाओं की भूमि को, नमन करूँ शत बार।
भारत भू की शान ये, ईश्वर का उपहार।।
***
शांत प्रकृति के लोग यहाँ के । प्रेम करें हैं खूब जहाँ से ।।
भाई-चारा रग में है बसता । नेहिल भाव नित-नित है बढ़ता ।।
आर्य सभ्यता से है नाता । बौद्ध धर्म के नियम बताता । ।
तिब्बत शैली को अपनाते । आपस में सब हाँथ बँटाते ।।
प्रथा महोत्सव की अलबेली। सदी पुरानी जीवन शैली।।
एक पक्ष तक उत्सव चलता। संस्कृति से है नाता जुड़ता।।
लोग विश्व भर से है आते । जनजीवन से वे जुड़ जते ।।
आतिथ्य भाव बड़ा निराला । सुखमय अहसासों की माला ।।
बौद्ध यही के मूल निवासी । छल विहीन होते सुख रासी ।।
सहज भाव के लोग सभी जन । करते अपना तन मन अर्पन।।
सीधे सच्चे लोग यहाँ पर । धर्म भावना बसती अंतर ।।
स्तूप बने हैं जगह-जगह पर । गिनती करना अति है दुष्कर ।।
लगे प्रार्थना चक्र सभी में । प्रभु का सुमिरन चलता उर में ।।
सच्चे हृदय से जो घुमाता । पाप सकल उसका कट जाता ।।
फूलों की यह घाटी सुन्दर। हेमिस उत्सव लगता प्रियकर ।।
गीत संगीत गुंजित होता । लोक नृत्य का परिचय बोता ।।
कुंभ पर्व है यह कहलाता । लोगों का जमघट लग जाता ।।
नृत्य मुखौटा खेला जाता । सबके मन को यह है भाता ।।
सीधे-साधे लोग यहाँ पर । धर्म भावना दिखे जहाँ पर ।।
नहीं झगड़ते आपस में ये । प्रेम भाव से रहते हैं ये ।।
लामाओं की यह है धरती । सज्जनता है उर में बसती ।।
बौद्ध धर्म के सभी उपासक । मधुरिम वाणी है सुखकारक ।।
सशक्त नैतिक मूल्य हों , सदा रहे ये भान ।
कला साहित्य सभ्यता , बने राष्ट्र पहचान ।।
अजब गजब के भेद से , भरा हुआ लद्दाख ।
वीराने से क्षेत्र हैं , हिम से ढकती शाख ।।
पोलो ट्रैकिंग के क्या कहने । तीरंदाजी जैसी बहनें।
सैलानी को हैं खूब लुभाती । दें आनन्द उर में समाती ।।
हर माह त्योहार हैं आते । मन में नई उमंग जगाते ।।
वैर भावना को भूल सभी जन । प्रेम से करते हैं आलिंगन ।।
नवल वर्ष में लोसर होता । यह पर्व नित खुशी संजोता ।।
एक पक्ष यह चलता है । पुरखों को नित भजता है ।।
चौपाई---
जम्मू प्राची का उजियारा। है लद्दाख सभी का प्यारा।।
केंद्र शासित प्रदेश कहाता। रिपु देशों को मार भगाता।१।
काराकोरम उत्तर जानो। खड़ा हिमालय दक्षिण मानो ।।
क्षेत्रफलों में है बलशाली। कम आबादी इसकी आली ।२।
सीमावर्ती क्षेत्र यही है। भूतल कृषि के योग्य नहीं है ।।
बहुत कठिन लोगों का जीवन। हँसी-खुशी से करते यापन।३।
सीधे-साधे लोग यहाँ पर । धर्म-भावना दिखे जहाँ पर ।।
नहीं झगड़ते आपस में ये । प्रेम भाव से रहते हैं ये ।४।
लामाओं की यह है धरती । सज्जनता है उर में बसती ।।
बौद्ध धर्म के सभी उपासक । मधुरिम वाणी है सुखकारक ।५।
शांत प्रकृति के लोग यहाँ के । प्रेम करें हैं खूब जहाँ से ।।
भाई-चारा रग में बसता । नेह भाव नित-नित है बढ़ता ।।
आर्य सभ्यता से है नाता । बौद्ध धर्म के नियम बताता । ।
तिब्बत शैली को अपनाते । आपस में सब हाँथ बँटाते ।।
प्रथा महोत्सव की अलबेली । सदी पुरानी जीवन शैली ।।
एक पक्ष तक उत्सव चलता । संस्कृति से है नाता जुड़ता ।।
लोग विश्व भर से है आते । जनजीवन से वे जुड़ जाते ।।
आतिथ्य भाव बड़ा निराला । सुखमय अहसासों की माला ।।
पोलो ट्रैकिंग के क्या कहने । तीरंदाजी जैसी बहनें।
सैलानी को खूब लुभाती । उर में दे आनन्द समाती ।।
अर्चना तिवारी अभिलाषा कानपुर।
***
दोहा --- जम्मू की प्राची दिशा , ऊँचा एक पठार ।
कहें लद्दाख हम इसे , ईश्वर का उपहार ।।
चौपाई---
जम्मू प्राची का उजियारा ।
राज्य लद्दाख सबसे प्यारा ।।
केंद्र शासित प्रदेश कहाता ।
रिपु देशों को यही दबाता ।।
काराकोरम उत्तर जानो ।
खड़ा हिमालय दक्षिण मानो ।।
क्षेत्रफलों में है बलशाली ।
कम आबादी इसकी आली ।।
सीमावर्ती क्षेत्र यही है ।
भूतल कृषि के योग्य नहीं है ।।
बहुत कठिन लोगों का जीवन ।
हँसी खुशी से करते यापन ।।
✍🏻 अर्चना तिवारी अभिलाषा
104ए/271 रामबाग, कानपुर।
***
वर्ग ३ ( उपलब्धियाँ)- अन्नपूर्णा बाजपेयी अंजू, कानपुर
१९- उत्पादन में प्रमुख 20 प्रमुख व्यवसाय 21. निर्माण में सर्वोपरि 22-स्मारक 23. नई खोज 24.प्रमुख बातें 25. मुख्य उपलब्धियां
*
दोहा १
श्रम करते हैं निरंतर, अधर धरे मुस्कान ।
सकल जगत में बढ़ रहा, लद्दाखी का मान ।।
१९. उत्पादन -
भिन्न प्रजाति के फल उगाते । सीयन बड को भी अपनाते ।।
तरह-तरह से सेब लगाते । चेरी, सीबक थॉर्न उगाते ।१।
हर्बल पेय पदार्थ बनाया । विटामिन ए बी युत बताया।।
तनावरोधी अद्भुत फल है । लाभ उठाता सैनिक दल है ।२।
२० - प्रमुख व्यवसाय
डेयरी हेतु गायें पालीं । भेड़ें रखकर ऊन निकाली ।।
सरकारी सुविधा घर आई। लद्दाखी जनता मुस्काई।३।
मुर्गी पालन काम बढ़ाया । हर्षित हो जन जन मुस्काया ।।
रूखी ठंडी जो घबराया । तन का यह आहार बनाया ।४।
21- निर्माण में सर्वोपरि
औषधीय पौधे लगवाए। गुणवत्ता विकसित करवाइ ।।
लाहौल स्पीति को तुम जानो । इनका लोहा सब जन मानो ।५।
दोहा २
शीत शुष्क लद्दाख यह, लगता चाँदी गोट।
लोग उगाते हैं यहाँ, भिन्न- भिन्न अखरोट।।
२२-स्मारक
शांतिस्तूप बहुत सुन्दर है। मन की शांति मिले अवसर है।।
है गोमांग स्तूप पुराना। सुंदर शांत दृश्य हैं नाना।६।
जोजिला गुमरी युद्ध स्मारक। यहाँ विराजित शिव जी तारक।।
वीर शहीदों का बलिदान। संजीवित करता यह स्थान।७।
हरका बहादुर योद्धा वीर। गोरखा सूबेदार सुधीर।
अड़तालीस में हुई शहादत। स्मारक राष्ट्रीय अमानत।८।
देख रेजांग ला युद्ध स्मारक। चुशूल गाँव दुश्मन की शामत।।
मेजर शैतान सिंह भाटी ने। धुल चटाई थी घाटी में।९।
विजय दिवस मेमोरियल जाएँ। करगिल जीता शीश उठाएँ।।
द्रास खास है; गर्व हमें है। कभी न अपने कदम रुके हैं।१०।
दोहा ३
अपति वार मेमोरियल, तीर्थ नवाएँ माथ।
सलिल धार सम एकता, रहें मिलाए हाथ।।
२३. नई खोज
सोलर ग्रीन हाउस बनाया। सारे मानक खरे रखाया ।।
ड्रिप स्प्रिंकलर नयी प्रणाली। जल बर्बाद न होता आली ।११।
अधिक शीत से बच लें फसलें। धरतीगत गोदामें टच लें ।।
फसल खराब न होने पाती। सरकारें सबको समझाती ।१२।
कृषि वानिकी नियम बनाये। पूरे राज्य में लाभ कराये ।।
हिम बूटी पेटेंट कराया। फिर सीबक से जैम बनाया ।१३।
बायोटेक्नोलॉजी विकसित। बेहद क्षमतावान अपरिमित ।।
नन्हा सा यह राज्य कहाया। परचम जग में अब लहराया ।१४।
२४- प्रमुख बातें
खेती की तकनीकें सीखीं। जैविक अरु सूखी भी देखीं ।।
बीज उत्पादन के थे मानक। जिनसे होती धन की आवक ।१५।
दोहा ४
केवल खेती में नहीं, क्षमता हुई अपार।
भाँति भाँति के काम में, उपक्रम हैं उपहार ।।
मेहनत करके नाम कमाया। राज्य का सम्मान बढ़ाया।।
विकास की जब पेंग बढ़ाई। सूखी धरती भी मुस्काई ।१६।
फौजी सीमा पर जब जाते। उनका खाना ये पहुँचाते ।।
भूखा कभी न इनको रखते। सब दिन सेवा इनकी करते ।१७।
एफ एल आर पंजीकृत करके। एफ पी ओ उपक्रम सुधर के।।
मिला जुला सब काम कराते। राज काज से लाभ उठाते।१८।
२५- मुख्य उपलब्धियाँ
घोड़ा संतति का बढ़ जाना। खच्चर टट्टू का भी आना ।।
पर्यटन को मिले बढ़ावा। लेह घुमाना पक्का दावा ।१९।
शीत शुष्क प्रदेश बड़भागी। सुंदर मोहक अरु मनलागी ।।
सकल विश्व में डंक बजाया। सरल सहज मनु मन भाया ।२०।
दोहा ५
है लद्दाख न भूमि भर, है भारत का मान।
युग-युग से कवि तर रहे, कर इसका गुणगान।।
***
परिश्रम करते लोग हैं, मुख रहती मुस्कान ।
सकल जगत में बढ़ा, लद्दाखी का मान ।।
मेहनत करके नाम कमाया । राज्य का सम्मान बढ़ाया।।
विकास की जब पेंग बढ़ायी । सूखी धरती भी मुस्कायी ।।
खेती की तकनीकें सीखीं । जैविक अरु सूखी भी देखीं ।।
बीज उत्पादन के थे मानक । जिनसे होती धन की आवक ।।
सोलर ग्रीन हाउस बनाया । सारे मानक खरे रखाया ।।
ड्रिप स्प्रिंकलर नयी प्रणाली । जल बर्बाद न होता आली ।।
अधिक शीत से बच लें फसलें । धरतीगत गोदामों को टच लें ।।
फसल खराब न होने पाती । सरकारें सबको समझाती ।।
फौजी सीमा पर जब जाते । उनका खाना ये पहुँचाते ।।
भूखा कभी न इनको रखते । सब दिन सेवा इनकी करते ।।
शीत शुष्क लदाख यह, लगता चाँदी गोट।
लोग उगाते हैं यहाँ, भिन्न- भिन्न अखरोट ।
भिन्न प्रजाति के फल उगाते । सीयन बड को भी अपनाते ।।
तरह-तरह से सेब लगाते । चेरी , सीबक थॉर्न उगाते ।।
20 प्रमुख व्यवसाय
हर्बल पेय पदार्थ बनाया । विटामिन ए बी युत बताया।।
तनाव रोधी अद्भुत फल है । लाभ उठाता सैनिक दल है ।।
एफ एल आर पंजीकृत करके । एफ पी ओ उपक्रम सुधर के ।।
मिला जुला सब काम कराते । राज काज से लाभ उठाते ।।
औषधीय पौधे लगवाये। गुणवत्ता विकसित करवाये ।।
लाहौल स्पीति को तुम जानो । इनका लोहा सब जन मानो ।।
बायोटेक्नोलॉजी विकसित । बहु क्षमतावान अपरिमित ।।
नन्हा सा यह राज्य कहाया । परचम जग में अब लहराया ।।
केवल खेती में नहीं, क्षमता हुई अपार।
भाँति भाँति के काम में, उपक्रम हैं उपहार ।।
मुर्गी पालन काम बढ़ाया । हर्षित हो जन जन मुस्काया ।।
रूखी ठंडी जो घबराया । तन का यह आहार बनाया ।।
डेयरी हेतु गायें पालीं । भेड़ें रखकर ऊन निकाली ।।
सरकारी सुविधा लाभ उठायी । लद्दाखी जनता मुस्कायी ।।
घोड़ा संतति का बढ़ जाना। खच्चर टट्टू का भी आना ।।
पर्यटन को मिले बढ़ावा । लेह घुमाना पक्का दावा ।।
कृषि वानिकी नियम बनाये । पूरे राज्य में लाभ कराये ।।
हिम बूटी पेटेंट कराया । सीबक से फिर जैम बनाया ।।
शीत शुष्क प्रदेश बड़भागी । सुंदर मोहक अरु मनलागी ।।
सकल विश्व में डंक बजाया । सरल सहज मनु मन भाया ।।
21. निर्माण में सर्वोपरि
22-स्मारक
23. नई खोज
24.प्रमुख बातें
25. मुख्य उपलब्धियां
अन्नपूर्णा बाजपेयी अंजू
कानपुर
***
वर्ग 4 ( इतिहास)
26 ऐतिहासिक घटनाएँ 27. मेला ,कुम्भ 28.राजा, महाराजा 29 पौराणिक कथाएँ 30. ऐतिहासिक यात्रा आदि-आदि।
26 ऐतिहासिक घटनाएँ, 28.राजा, महाराजा
दोहा१
शिलालेख लद्दाख के, देते हैं यह ज्ञान।
नवपाषाणी काल में, रहते थे इंसान।।
चौपाई
प्रथम शताब्दी का है किस्सा। बना कुषाण राज का हिस्सा।।
सदी आठवीं ऐसी आई। तिब्बत चीनी हुई लड़ाई।१।
चीन व तिब्बत बारी- बारी। बनते थे शासन-अधिकारी।।
विघटन तिब्बत का हो पाया। न्यिमागोन ने था कब्जाया।२।
सभी वंश करके विस्थापित। वंश लद्दाखी किया स्थापित।।
तिब्बतियों का हुआ आगमन। बौद्ध धर्म ने किया पदार्पण।३।
भाषा सही अज्ञात अभी तक। इंडो-यूरोपियन का है शक।।
तेरह से सोलवीं सदी में। था तिब्बती मार्गदर्शन में।४।
बात करें सत्रवीं सदी की। बन गए शत्रु राज पड़ोसी।।
बौद्ध धर्म था सिर्फ जहाँ पर। आया मुस्लिम धर्म वहाँ पर।५।
दोहा २
मुस्लिम हमलों से हुआ, खंड खंड लद्दाख।
तब राजा ल्हाचेन ने, पुनः बनाई साख।।
चौपाई-
था मुस्लिम हमलों से खंडित। राजा नेफिर किया संगठित।।
एक नया फिर वंश चलाया। नामग्याल था नाम बताया।६।
दुश्मन ने आतंक मचाया। प्रतिमाओं को तोड़ गिराया।।
भव्य पुनर्निर्माण सभी का। पुनः हो गया सब कुछ नीका।७।
यद्यपि हार गया मुगलों से। पर आजाद रहा बंधन से।।
शेरखान को दिया लगान। किन्तु बचाया निज सुख-सम्मान।८।
अंतिम समय सदी का आया। संकट का बादल घिर आया।।
साथ हुए लद्दाख-भूटान। रखी रार तिब्बत ने ठान।९।
ये घटना जब शुरू हुई थी सन् सोलह सौ उन्यासी थी।।
सन् सोलह सौ चौरासी में। निबटी तिंगमोस बाजी में।१०।
दोहा ३
अंत भला सो सब भला, हुआ संधि से अंत।
सुखी हुई सारी प्रजा, हुआ हर्ष अत्यन्त।।
चौपाई
सन् अट्ठारह सौ चौंतिस में। बोला हमला जोरावर ने ।।
मान डोगरा का बढ़वाया। नृप गुलाब ने गले लगाया ।११।
अट्ठारह सौ ब्यालिस आया। जम्मू संग जुड़ा हर्षाया।।
फिर आया अंग्रेजी शासन। पाई प्रशंसा मन काशन।१२।
सन् उन्निस सौ सैंतालिस में। हुआ विभाजित भारत जिसमें।।
यह सुंदर अवसर भी आया। भारत में यह गया मिलाया।१३।
उन्निस सौ उन्यासी आया। साथ विभाजन को भी लाया।।
दो भागों में हुआ विभाजित। लेह कारगिल नाम जग विदित।१४।
दो हजार उन्नीस वर्ष में। चयन उठा लद्दाख हर्ष से।।
बना केंद्र शासन संचालित। नौवां राज्य विकास प्रकाशित।१५।
दोहा ४
बसा गोद गिरिराज की, हैं खूबियाँ अनेक।
मेले-पर्व सुखद कई, आप झूमिए देख।।
27. मेला, पर्व
चौपाई
सुंदर है लादार्चा मेला। मन भाता पौरी का खेला।।
दोनों हैं अगस्त में आते। सब मिलकर आनंद मनाते।१६।
शिशु मेला भी एक है नामा। पहन मुखौटे आते लामा।।
एक पर्व दीवाली जैसा। नाम खोगला, हल्डा कैसा।१७।
अति विशेष फागली का उत्सव। दिये तेल के जला रहे सब।।
पिछले वर्ष हुआ जहँ बेटा । गोची पर्व वहाँ पर देखा।१८।
यह विशाल मेला दुनिया का। उत्सव है यह बौद्ध धर्म का।।
द्रुपका पंथ के अनुयायी जो। वही मनाते इस उत्सव को।१९।
नाम नरोपा कहलाता है। बारह वर्ष बाद आता है।।
बारह वर्ष बाद है आता। कुंभ सदृश महत्व पाता है।२०।
29 पौराणिक कथाएँ
हवन कुंड में दक्ष यज्ञ के। प्राण तजे थे मातु सती ने।
शिव शव ले जब घूम रहे थे। दाहिने पैंजन यहीं गिरे थे।२१।
शक्तिपीठ श्री पर्वत सुंदर। काली मंदिर लेह मनोहर।।
नाम सुंदरी सती को मिला। भैरव सुंदरानंद बन खिला।२२।
संजीवित पौराणिक गाथा। सुन-दर्शनकर झुकता माथा।।
प्रवहित सलिल सदृश इतिहास। वर्णित हैं प्रसंग कुछ ख़ास।२३।
30. ऐतिहासिक यात्रा
ग्रीक पर्यटक हेरोडोटस। प्लिनी एल्डर गाते हैं जस।
चीनी जुआनजोंग था आया। स्वर्ण भूमि इसको बतलाया।२४।
छह सौ चौंतिस-नौ सौ ब्यासी। काल खंड की चर्चा खासी।।
हैं प्रसंग एतिहासिक अनगिन। खोज पढ़ें विद्वज्जन चुन गिन।२५।
दोहा ५
शांति साधना केंद्र है, धर्म भूमि लद्दाख।
मिहनत अरु ईमान से, बना रखी है साख।।
मीनेश चौहान w/o अरुण कुमार सिंह
ग्राम - राई,पोस्ट - खंडॉली
जिला - फर्रुखाबाद(उत्तर प्रदेश) पिन कोड - 209621
***
लद्दाख - वर्ग ५-(प्राकृतिक सौन्दर्य) गीता चौबे 'गूँज', राँची झारखंड
३१-पशु ३२ -पक्षी ३३-पुष्प ३४-वृक्ष ३५- पर्यटन स्थल ३६-झीलें ३७ नदियाँ आदि-आदि
३१-पशु
दोहा १
केंद्र प्रशासित राज्य यह, मिला नाम लद्दाख।
सुंदरता सर्वत्र है, बर्फ लदी हर शाख।।
31-पशु
चौपाई
हिम तेंदुए यहाँ हैं मिलते। वन में चीरू, याक विचरते।।
भेड़ नयान भरल बहुतेरे। जमे बर्फ पर करते फेरे।१।
ऊन बनाते पशु-बालों से। नाम हुआ इसका शालों से।।
श्रेष्ठ गर्म शाॅलें बनतीं हैं। दुनिया भर में झट बिकतीं हैं।२।
पश्मीना की उन्नत किस्में। रेशम-सी चिकनाई जिसमें।।
कीमत भी होती है ज्यादा। पर गर्मी का पक्का वादा।३।
३२ पक्षी
चुंबकीय है यहाँ पहाड़ी। अपने आप खिंचे खुद गाड़ी।।
नदियाँ मुख्य सिंधु जास्कर हैं। हिमकण बनते जल जमकर हैं।४।
पक्षी रंग-बिरंगे आते। कर प्रवास फिर वे उड़ जाते।
उड़ते जब राॅबिन प्लंबियस। सबके मन को खूब सुहाते ।५।
३३-पुष्प
दोहा २
पुष्प एक विशेष यहाँ, सोलो उसका नाम।
रोडिओला भी कहते, अद्भुत उसका काम।।
बढ़ती उम्र असर कम करता। तन में गुण औषध है लगता।।
आक्सीजन उपलब्ध कराता। सब्जी बन भोजन में आता।६।
डायबिटिज नियंत्रित करता। संजीवित दिमाग भी रखता।।
खाली पेट न सेवन करना। शयन पूर्व भी इसे न चखना।७।
३४ -वृक्ष
रहित वनस्पति क्षेत्र जहाँ के। कुछ फल के भी वृक्ष वहाँ पे।।
सेब संग अखरोट खुबानी। मिले स्वाद भी खूब बखानी।८।
३५- पर्यटन स्थल
पहले था कश्मीरी हिस्सा। विलग हुआ है ताजा किस्सा।।
खुश हो जाते हैं सैलानी। देख-देख मौसम बर्फानी।९।
छवि लदाख की लगती प्यारी। सुषमा इसकी न्यारी-न्यारी।।
लोग यहाँ के सज्जन प्यारे। बर्फ ढँके पर्वत हैं सारे।१०।
दोहा ३
हाड़ काँपती शीत में, कार्य करें सब लोग।
ईश्वर की इन पर कृपा, होते कम ही रोग।।
सौम्य रूप पावन अति लागे। धवल केश कपास के धागे।।
कुदरत का यह शुभ्र नजारा। आँखों को लगता है प्यारा।११।
लेह, कारगिल दोउ जिले हैं। हिम के गिरि पर फूल खिले हैं।।
पर्वत से हैं झरने गिरते। अधिक ठंड से वे भी जमते।१२।
३६- झीलें
झील त्सोकर अरु मोरीरी। भीड़ यहाँ होती बहुतेरी।।
देश भारत चीन में आधा। झीलें कभी न बनतीं बाधा।१३।
झीलें मन को हर लेतीं हैं। नई ताजगी भर देतीं हैं।।
पैंगोंग को जाने अभिनेता। फिल्माने लाते निर्माता ।१४।
37 नदियाँ
बारह मास शीत रहती है। सलिल-धार कम ही बहती है।।
पानी में हो हिम भी शामिल। जीवन-यापन होता मुश्किल।१५।
दोहा ४
जांस्कर, डोडा मिल बहें, सिंधु जा मिलें शेष।
हिम नदियों में तैरता। सुंदर लगे विशेष।।
***
खेती योग्य जमीन नहीं है। कोई सिंचन-स्त्रोत नहीं है।।
पशु-पालन ही पेशा होता। याक सरिस वाहन बन ढोता।।
दूध- चीज़ पनीर भोजन का। जीवन सादा है जन-जन का।।
भोले-भाले लोग वहाँ हैं। होता अधिक न द्वंद्व जहाँ है।।
मानों बिछी बर्फ की चादर। उतरा हुआ भूमि पर बादर।।
दिखती धरती स्वर्ग समाना। मनु भी त्यागे निज अभिमाना।।
गीता चौबे 'गूँज', राँची झारखंड
***
वर्ग ६ ( भौगोलिक संरचना)
३८ बाँध ३९ समुद्र ४० जलवायु ४१ प्रदेश की सीमाएँ ४२ पहाड़ / पठार ४३ खनिज ४४ मिट्टी आदि-आदि
दोहा १
भारत माँ का भाल है, अनुपम इसकी साख ।
केंद्र-शासित राज्य है, यह सुंदर लद्दाख।।१।।
३८ बाँध ३९ समुद्र लद्दाख में नहीं है।
४० -जलवायु
स्वर्ग समान दृश्य है देखा। सिंधु नदी है जीवन रेखा।।
ताप शून्य का हरदम फेरा, प्राणवायु का कम है डेरा।१।
शुष्क ऋतु और धरा कठोरा। पूरे वर्ष शीत का घेरा ।
उत्तर पश्चिम वास हिमाला। गगन चूमता शिखर विशाला।२।
तीन इंच वार्षिक बरसात। सर्दी में होता हिमपात।।
चारों तरफ पर्वती माला। ममतामयी प्रकृति ने पाला।३।
वर्षा यहाँ बर्फ की होती। जब गिरती लगती सम मोती।
शीतल ,शुष्क हवा भी बहती। कठिन बहुत जीवन है कहती।४।
स्कार्दू है शीत राजधानी। लेह ग्रीष्म में करे प्रधानी।
गर्मी नर्म दृश्य आकर्षक। करें पर्यटन बनकर दर्शक।५।
४१ प्रदेश की सीमाएँ, ४२ पहाड़ / पठार / दर्रा, घाटी
दोहा २
सीमा इसकी नाप लो, पूरब-पश्चिम द्वार।
अक्साई अब चीन लो, ये भारत उद्गार ।।
पूरब में तिब्बत है छाया। पश्चिम दूर पाक पसराया।
उत्तर काराकोरम दर्रा। सुंदर दक्खिन जर्रा जर्रा।६।
नुब्रा घाटी है उत्तर में। लाहौल स्पीति बसी दक्षिण में।।
रुडोक - गुले पूरब में देखो। द्रास सुरु हिमवर्षा लेखो।७।
भारत का यह शौर्य सितारा। सुंदरता से शोभित सारा।
विरल यहाँ लोगों का डेरा। चारों तरफ पहाड़ी घेरा।८।
सुंदर एक लेह रजधानी। जिसकी है हर छठा सुहानी।
जास्कर पर्वत श्रेणी बीचा। धरती माँ ने इसको सींचा।९।
सबसे ऊँची राकापोशी। तीव्र ढाल वाली यह चोटी।
काराकोरम छत दुनिया की। कई चोटियाँ है शोभा की।१०।
दोहा ३
दर्रों-घाटी से भरा, अनुपम सुंदर सर्व।
स्वर्गोपम है यान धरा, हमको इस पर गर्व।।
४३ खनिज
खनिज संपदा को मत खोना, युरेनियम, ग्रेनाइट, सोना।
धातू ये हैं सब अनमोला। माँ प्रकृति का भरा है झोला११।
आरसेनिक अयस्क अनमोल। सल्फर, चूना पत्थर तोल।।
बोरेक्स, रेअर अर्थ यहाँ है। नजर गड़ाए चीन जहाँ है।१२।
४४ मिट्टी
रेतीली दोमट माटी है। आच्छादित पूरी घाटी है।।
जल धारण क्षमता कमजोर। चलता नहीं किसी का जोर।१३।
बंजर भूमि मृदा है सूखी। सुंदर किन्तु प्रकृति है रूखी।
कठिन परिस्थिति में उग आता। सीबकथोर्न झाड़ कहलाता।१४।
लिकिर गाँव लद्दाख में आता। जो मिट्टी के पात्र बनाता।।
सब कुम्हार यहीं से आते। कुशल शिल्प से जाने जाते।१५।
दोहा ४
रेतीली माटी मृदा ,बहुरंगी चट्टान।
अभियांत्रिकी उपाय कर, रोकें भूमि कटान।।४।।
वन्दना चौधरी द्वारा कृष्ण कुमार
अकाउंटेंट जनरल कार्यालय
Quarter no 2 type 3
Audit bhawan porvorim Panaji Goa 403521
Mob- 9860170695,8698329739
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38-बांध
39 समुन्द्र
40-जलवायु
शुष्क ऋतु और धरा कठोरा, पूरे वर्ष शीत का घेरा ।
ताप शून्य का हरदम फेरा, प्राणवायु का कम है डेरा।।
41. प्रदेश की सीमाएं
भाल मुकुट ये भारत मां का, नाम है भूमि लेह लद्दाखा।
वर्ष छियासठ लड़ी लड़ाई, जाकर तभी साख है पाई।
स्वर्ग समान दृश्य है देखा , सिंधु यहां की जीवन रेखा।
कारगिल में शौर्य की माटी , जो है बसा सुरू की घाटी।।
भारत मां का भाल है ,अनुपम इसकी साख ।
शासित केंद्र राज्य है ,ये अपना लद्दाख।।१।।
स्कार्दू है शीत राजधानी , लेह ग्रीष्म में करे प्रधानी।
चारों तरफ पर्वती माला , सुंदर प्रकृति नशा ज्यौ हाला।।
सीमा इसकी नाप लो ,पूरब पश्चिम द्वार ।
अक्साई अब चीन लो, ये भारत उद्गार ।।२।।
गिलगित और चीन अक्साई , चीन ,पाक ने मुंह की खाई।
नहीं चलेगा इनका धोखा, निश्चित सब भारत का होगा।।
पूरब में तिब्बत है छाया , पश्चिम दूर पाक पसराया।
उत्तर काराकोरम दर्रा , सुंदर दक्खिन जर्रा जर्रा।।
भारत का यह शौर्य सितारा, सुंदरता से शोभित सारा।
विरल यहां लोगों का डेरा , चारों तरफ पहाड़ी घेरा।।
एल ए सी नियम था तोड़ा, भारत ने चीनी को फोड़ा।
सुन ले चुंदी आंखों वाले, काहे तुच्छ सोच तू पाले।।
मत ले भारत से तू पंगा , हो जाएगा अब तू नंगा ।
अब ना भारत बासठ वाला , देगा चीर पांव जो डाला।।
42 पहाड़ / पठार
उत्तर पश्चिम वास हिमाला है हर तरफ चोटी विशाला।
तीन इंच है वार्षिक वृष्टि , देखो कितनी सुंदर सृष्टि।।
सुंदर एक लेह रजधानी , जिसकी है हर छठा सुहानी।
जास्कर पर्वत श्रेणी बीचा, धरती मां ने इसको सींचा।।
जास्कर पर्वत श्रेणी फैली, धरती नहीं तनिक भी मैली ।
सिंधू से श्रेणी विस्तारा , श्योक दक्षिणा पांव पसारा।।
सबसे ऊंची राकापोशी , तीव्र ढाल वाली यह चोटी।
काराकोरम छत दुनिया की, कई चोटियां है शोभा की।।
43 खनिज
खनिज ,श्रेणियों से भरा, अनुपम सुंदर सर्व,
कितनी सुंदर है धरा ,कर लो इस पर गर्व।।३।।
खनिज संपदा को मत खोना, यूरेनियम, ग्रेनाइ, सोना।
धातू ये हैं सब अनमोला, मां प्रकृति का भरा है झोला।।
44 मिट्टी
रेतीली माटी मृदा ,बहुरंगी चट्टान।
सीबकथोर्न पौध सदा, रोके भूमि कटान।।४।।
बंजर भूमि मृदा है सूखी, वन सौंदर्य से प्रकृति रूखी।
कठिन परिस्थिति में उग आता, सीबकथोर्न झाड़ कहलाता ।।
लिकिर गाॅव लद्दाख में आता, मिट्टी के जो पात्र बनाता।
सब कुम्हार यहीं से आते , कुशल शिल्प से जाने जाते।।
जौ,कुटु, शलगम होती खेती,
प्रकृति यहां की यह सब देती।
सन् सत्तर से हुआ विकासा ,
साग ,सब्जियां अब चौमासा।।
वृक्ष यह आकार में बोना,
फल इसका लद्दाखी सोना ।
लेह और है वंडर बेरी,
खाने में अब नाकर देरी।।
फल रंगों में बड़े सुहाते,
जामुननुमा सभी फल आते।
पोषक तत्वों में है उत्तम,
सभी फलों में यह सर्वोत्तम।।
वर्षा यहाँ बर्फ की होती,
जब गिरती लगती सम मोती।
शीतल ,शुष्क हवा भी बहती,
कठिन यहां जीवन है कहती।।
वन्दना चौधरी
ए.जी ऑफिस, ऑडिट भवन पर्वरी
पणजी गोवा 403521
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वर्ग 7 (प्रमुख व्यक्तित्व)
45- खिलाड़ी 46 साहित्यकार 47 संत महात्मा 48- सेनानी 49. नेता 50. अभिनेता 51. गायक 52.नर्तकी 53. चित्रकार आदि-आदि
तिब्बत सीमा पूर्व की, उत्तर में है चीन।
राज्य पुरा सुन्दर हुआ, आज केंद्र आधीन ।।
45- खिलाड़ी
ग्यारह वर्ष की एक कुमारी, पड़ गयी गीत ग़ज़ल पर भारी।
प्रसिद्ध हुई छोटी सी गायिका, बन गयी वो गीतों की नायिका।
46 साहित्यकार
47 संत महात्मा
48- सेनानी
49. नेता
50. अभिनेता
51. गायक
52.नर्तकी
53. चित्रकार
प्रमुख व्यक्तित्व
डॉ. उपेंद्र झा
हाथरस( उ. प्र.)
दोहा-
तिब्बत सीमा पूर्व की, उत्तर में है चीन।
राज्य एक सुन्दर बसे, जो रहे केंद्र आधीन ।।
चौपाई-
उत्तर जिसके चीन विराजत, पूरव में सीमा है तिब्बत।
सिंधु नदी बहु कम वह पावे, ज्यादा समय बर्फ जम जावे।
लेह कारगिल दो ही जिले हैं, जैसे कमल गुलाब खिले हैं।
भाषा अपना रंग जमाती, तिबती हिंदी और लद्दाखी।
चित्रकारिता अजब निराली, भित्तिचित्र पर उकेर डाली।
दोहा-
क्षेत्रफल में सबसे बड़ा, सुन्दर एक प्रदेश।
केंद्र करे शासन यहाँ, नहीं कोई लवलेश।।
चौपाई-
सबसे बड़ा क्षेत्रफल जिसका, सुंदरता में जोड़ न इसका।
घुमक्कड़ी जनसँख्या भारी, चाहे पुरुष होंय या नारी।
पंद्रह दिन त्यौहार मनावें, दुनिया देख देख हर्षावे।
झील और चट्टानें सोहें, पर्यटकों का झट मन मोहें।
पोलो मैच संग तीरंदाजी, सबसे पहले मारे बाजी।
दोहा-
पोलो मैच प्रसिद्ध है, तीरंदाजी संग।
क्रीड़ा कौशल देख कर, सब रह जाते दंग।।
चौपाई-
पूजापाठ में आगे रहते, चन्द्रभूमि लद्दाख को कहते।
धर्मध्वजा की बात जो आवे, लद्दाख क्यों पीछे रह जावे।
अग्रिम रहते सब परिवारा, धर्म हेतु नहीं करत विचारा।
भक्ति देख सब करत प्रनामा, धर्मगुरु बन जाते लामा।
ल्हासा जाय लेत हैं दीक्षा, होती है तब कठिन परीक्षा।
दोहा-
ल्हासा में दीक्षा मिली, लामा भये तैयार।
धार्मिक शिक्षा प्राप्त कर, करते धर्म प्रचार।।
चौपाई-
पांगोंग झील बहे अति सुन्दर, मन मोहे पर्यटक निरंतर।
घर घर बने शांति स्तूपा, मंदिर सूक्ष्म कहात प्रभू का।
माउंटेन बाइकिंग खेल रिझावे, नजर हटाए हट नहीं पावे।
शासन करत केंद्र सरकारा, लद्दाख खुश होय अपारा।
उप राज्यपाल प्रदेश प्रधाना, शासन सब पर करत समाना।
दोहा-
उप राज्यपाल प्रदेश का, होता यहाँ प्रधान।
कर धर्मों को एक जुट, शासन करत समान।।
चौपाई-
पूजा प्रार्थना चक्र कहावे, माने तंजर नाम रखावे।
नदी तैराकी नुवरा उत्सव, पंद्रह दिन तक चले महोत्सव।
सुन्दर खेल होत घाटी में, अद्भुत गंध है इस माटी में।
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