करवाचौथ  
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अर्चना कर सत्य की, शिव-साधना सुन्दर करें।
जग चलें गिर उठ बढ़ें, आराधना तम हर करें।।
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कौन किसका है यहाँ?, छाया न देती साथ है। 
मोह-माया कम रहे, श्रम-त्याग को सहचर करें।।
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एक मालिक है वही, जिसने हमें पैदा किया।
मुक्त होकर अहं से, निज चित्त प्रभु-चाकर करें।।
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वरे अक्षर निरक्षर, तब शब्द कविता से मिले। 
भाव-रस-लय त्रिवेणी, अवगाह चित अनुचर करें।।
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पूर्णिमा की चंद्र-छवि, निर्मल 'सलिल में निरखकर। 
कुछ रचें; कुछ सुन-सुना, निज आत्म को मधुकर करें।।
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संजीव, ७९९९५५९६१८ 
करवा चौथ २७-१०-२०१८
जबलपुर 
 
 
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