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सोमवार, 4 अक्तूबर 2021

मुक्तिका तलाश

मुक्तिका
तलाश 
संजीव

*
वो ही खुद को तलाश पाया है
जिसने खुद को सदा भुलाया है

जो खुदी को खुदा में खोज रहा
वो खुदा में खुदी समाया है

आईना उसको क्या दिखाएगा
जिसने कुछ भी नहीं छिपाया है

जो बहा वह सलिल रहा निर्मल
जो रुका साफ रह न पाया है

देखता है जो बंदकर आँखें
दीप हो उसने तम मिटाया है

है कमालों ने क्या कमाल किया
आ कबीरों को बेच-खाया है

मार गाँधी को कह रहे बापू
झूठ ने सत्य को हराया है
*
२-१०२०२१
सी ३०२ अमरकंटक अपार्टमेंट
साकेत नगर ग्वालियर
९४२५१८३२४४

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