धरती की छाती पर होरा
रओ रे सूरज भून
*
दरक रई छाती खेतन कीं
मुरझा रए खलिहान।
माँगे ठंडा पेय भिखारी
गहे न रूपया दान।
साँझ नें अधरं पे गुइँया!
काए लगा लौ खून
धरती की छाती पर होरा
रओ रे सूरज भून
रओ रे सूरज भून
*
धोंय-निचोरें एकई कपरा
पहने गीले होंय।
चलत-चलत कूलर हीटर भओ
पंखे तक-तक रोंय।
आँख मिचौली खेले बिजुरी
मलमल लग रओ ऊन।
धरती की छाती पर होरा
रओ रे सूरज भून
रओ रे सूरज भून
*
गरमा गरम न कोऊ चाहे
सहो न जाए ताप।
सब खौं लगे तरावट नीकी
बैरन लगती भाप।
आँखन मिरची झोंके मौसम
दिन दिन तप रओ दून।
धरती की छाती पर होरा
रओ रे सूरज भून
रओ रे सूरज भून
*
लिखो तजुर्बा; पढ़ तरबूजा
चक्कर खाय दिमाग।
लू खें झोजके; मृगनैनी खों
लगे, लगा रए आग।
अब नें गलिन में घूमें रसिया
चौक परे रे सून।
धरती की छाती पर होरा
रओ रे सूरज भून
रओ रे सूरज भून
*
अंधड़ रेत बगुले घेरें
सहर लग रओ भट्टी।
है कितै पनघट; अमराई
नीकी खस की टट्टी।
बूँदें निकरें नई नैनन सें
बहन बदन सेन दून
धरती की छाती पर होरा
रओ रे सूरज भून
रओ रे सूरज भून
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