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सोमवार, 11 अक्तूबर 2021

सरस्वती रुहेली

सुरसती वन्दना रुहेली
-डॉ0 सतीश चंद्र शर्मा "सुधांशु"
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मैया हमैं वरदान दै,
पाँयन तुमारिन सै परैं
मुस्काउ तौ भाती हमैं
उम्मीद दै जाती हमैं।
हौ ज्ञान की देवी तुमई
दै ज्ञान हरसाती हमैं।
मैया हमैं कछु ज्ञान दै,
अज्ञान सागर सै तरैं।।
है हंस बाहन तुमारो
और कमल आसन तुमारो।
हाथन मैं बीना, ज्ञान पै
पूरो है सासन तुमारो
मैया हमैं कछु दान दै,
लै बिना न दर सै टरैं।।
तुम चाहती हौ लिखैं हम
सबसै अलग सै दिखैं
किरपा तुमारी मिलै तौ
पद, छंद, दोहा सिखैँ हम।
मैया हमैं पहचान दै ,
हम सब बिनै तुम सै करैं।।
(रुहेलखण्ड (बरेली) मंडल के चारों तरफ 1-2 जनपदों में बोली जाती है।)
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