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धोराँ आळा देस जाग रे, ऊँटाँ आळा देस जाग।
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे, धोराँ आळा देस जाग ।।
धोराँ आळा देस जाग रे….
उठ खोल उनींदी आँखड़ल्यां, नैणाँ री मीठी नींद तोड़
रे रात नहीं अब दिन ऊग्यो, सपनाँ रो कू़डो मोह छोड़
थारी आँख्याँ में नाच रह्या, जंजाळ सुहाणी रातां रा
तूं कोट बणावै उण जूनोड़ै, जुग री बोदी बातां रा
रे बीत गयो सो गयो बीत, तूं उणरी कू़डी आस त्याग ।
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे ,धोराँ आळा देश जाग रे
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे, धोराँ आळा देस जाग ।।
धोराँ आळा देस जाग रे….
उठ खोल उनींदी आँखड़ल्यां, नैणाँ री मीठी नींद तोड़
रे रात नहीं अब दिन ऊग्यो, सपनाँ रो कू़डो मोह छोड़
थारी आँख्याँ में नाच रह्या, जंजाळ सुहाणी रातां रा
तूं कोट बणावै उण जूनोड़ै, जुग री बोदी बातां रा
रे बीत गयो सो गयो बीत, तूं उणरी कू़डी आस त्याग ।
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे ,धोराँ आळा देश जाग रे
ऊँटा आळा देश जाग
खगाँ रै लाग्यो आज काट, खूँटी पर टँगिया धनुष-तीर
रे लोग मरै भूखाँ मरता, फोगाँ में रुळता फिरै वीर
रे उठो किसानाँ-मजदूराँ, थे ऊँटाँ कसल्यो आज जीण
ईं नफाखोर अन्याय नै, करद्यो कोडी रो तीन-तीन
ईं नफाखोर अन्याय नै, करद्यो कोडी रो तीन-तीन
फण किचर काळियै साँपाँ रो, आज मिटा दे जहर-झाग ।
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे ,धोराँ आळा देश जाग रे
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे ,धोराँ आळा देश जाग रे
ऊँटा आळा देश जाग
रे देख मिनख मुरझाय रह्यो, मरणै सूँ मुसकल है जीणो
ऐ खड़ी हवेल्याँ हँसै आज, पण झूँपड़ल्याँ रो दुख दूणो
ऐ धनआळा थारी काया रा, भक्षक बणता जावै है
रे जाग खेत रा रखवाळा, आ बाड़ खेत नै खावै है
रे जाग खेत रा रखवाळा, आ बाड़ खेत नै खावै है
ऐ जका उजाड़ै झूँपड़ल्याँ, उण महलाँ रै लगा आग ।
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे ,धोराँ आळा देश जाग
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे ,धोराँ आळा देश जाग
रे ऊँटा आळा देश जाग
ऐ इन्कलाब रा अंगारा, सिलगावै दिल री दुखी हाय
पण छाँटा छिड़क्याँ नहीं बुझैली, डूँगर लागी आज लाय
अब दिन आवैल एक इस्यो, धोराँ री धरती धूजैला
ऐ सदां पत्थरां रा सेवक, वै आज मिनख नै पूजैला
ऐ सदां पत्थरां रा सेवक, वै आज मिनख नै पूजैला
ईं सदा सुरंगै मुरधर रा, सूतोडा जाग्या आज भाग ।
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे ,धोराँ आल़ा देश जाग रे
छाती पर पैणा पड़्या नाग रे ,धोराँ आल़ा देश जाग रे
ऊँटा आल़ा देश जाग
(संकलित)
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