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शुक्रवार, 3 जुलाई 2020

बाल कविता आन्या

बाल कविता 
आन्या 

आन्या मचल गयी थी, मन में जिद थी ठाने।
मना-मना सब हारे, बात न लेकिन माने। 
लगी बहाने आँसू, सिर पर गगन उठाया।
मम्मी-पापा भैया, कोइ मना न पाया।
आये नानी-नाना, बहुतेरा समझाया।
आया को खुश करने, गुड्डा एक मँगाया।
आन्या झूमी-नाची, ज्यों महकी फुलवारी।
सब हँसकर झट बोले, आन्या गुडिया प्यारी।
*
३-७-२०१० 

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