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गुरुवार, 16 जुलाई 2020

एकदा जबलपुरे .... धरती पर कलियुग


एकदा जबलपुरे ....
धरती पर कलियुग
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राजा परीक्षित शिकार हेतु गए। वन में भूख-प्यास से परेशां भटकते हुए शमीक ऋषि के आश्रम में पहुँच गए। शमीक ऋषि मौन व्रत लेकर समाधिमें लीन थे। परीक्षित ने उनसे पानी माँगा। उत्तर न मिलने पर क्रुद्ध होकर ऋषि के गले में एक मरा हुआ साँप  डाल दिया। यह बात ऋषि शमीक के पुत्र ऋषि श्रृंगी को पता चली तो उन्होंने राजा परीक्षित को श्राप दिया कि सात दिन बाद राजा परीक्षित की मृत्यु तक्षक नाग के डसने से हो जाएगी। ध्यान पूर्ण होने पर शमीक को पुत्र द्वारा दिए शाप की जानकारी मिली उन्होंने अपने शिष्य द्वारा परीक्षित को सूचित किया कि वे बचाव की व्यवस्था कर लें। परीक्षित ने खुद को गगनचुम्बी मीनार में बंद कर लिया और चारों ओर पहरेदार रख लिए। सर्प विष उतरने में दक्ष कश्यप ऋषि को परीक्षित ने धन देकर लौटा दिया कि वे परीक्षित का विष न उतार सकें। तक्षक फल के टोकरे में छिपकर पहुँचा और परीक्षित को डँस लिया। महाभारत आदि पर्व के अनुसार  परीक्षित की मृत्यु के पश्चात ही कलियुग पूरी पृथ्वी पर हावी हो गया।
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