दोहा सलिला :
गले मिले दोहा यमक
संजीव
*
चंद चंद तारों सहित, करे मौन गुणगान
रजनी के सौंदर्य का, जब तक हो न विहान
*
salil.sanjiv@gmail.com
गले मिले दोहा यमक
संजीव
*
चंद चंद तारों सहित, करे मौन गुणगान
रजनी के सौंदर्य का, जब तक हो न विहान
*
salil.sanjiv@gmail.com
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें