साहित्य की हर विधा मे पारंगत सलिल जी
ओमप्रकाश शुक्ल
साहित्यिक संसार मे आज संजीव वर्मा सलिल जी का अपना एक मुकाम है। भारत सरकार से सेवानिवृत्त ईंजीनियर एक विज्ञान के विद्यार्थी की हिन्दी साहित्य मे इतनी मजबूत पकड़ एकदम ईश्वरीय कृपा ही है। साहित्य की हर विधा मे पारंगत सलिल जी प्रसिद्ध छायावादी कवयित्री श्रद्धेया महादेवी वर्मा जी के भतीजे हैं।गद्य हो या पद्य कविता, छंद,कहानी, लघुकथा सभी तरह के साहित्यिक सृजन मे उनकी अनेक एकल पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं। यही नहीं नव रचनाकारों के प्रोत्साहन हेतु उन्होंने अनेक साझा काव्य संग्रह प्रकाशित करवाये हैं और आज भी नवांकुरों के लिए पूर्णतः समर्पित हैं।
आदरणीय सलिल जी अनेक मंचो के संरक्षक और पोषक होने के साथ ही कई मंचों मे अहम दायित्व नीर्वहन कर रहे हैं।
देश के विभिन्न क्षेत्रों मे होने वाले स्तरीय आयोजनों मे उनकी सहभागिता निरंतर होती रहती है।
आदरणीय सलिल जी से मेरी पहचान फेसबुक से ही हुई।
काव्य की बारीकियों को समझने के लिए उनका गुरुतुल्य स्नेह सदैव मिलता रहता है।
मेरे काव्य संग्रह "गाँधी और उनके बाद" का पुरोवाक मेरे एक ही आग्रह पर उन्होंने लिखा और दिल्ली के प्रगति मैदान मे अंतर्राष्ट्रीय पुस्तक मेले मे उसके लोकार्पण मे एक ही आग्रह पर जबल पुर से दिल्ली आए। मै उनके इस स्नेह को कैसे भुला सकता हूँ।मुझे उनसे अपनी पुस्तक की सार्थक समीक्षा और आशीर्वाद प्राप्त हुआ। उसके बाद कई बार पुनः उनसे मिलना हुआ। पिछले दिनो अभी उनके दिल्ली प्रवास के दौरान उन्हें अपने घर पर ही रुकने को कहा और उन्होंने इंकार नहीं किया। इस दौरान उनका सानिध्य प्राप्त हुआ जो मेरे जीवन के लिए बहुमूल्य क्षण रहे। बहुत कुछ जानने को मिला उनसे और अभी भी बहुत कुछ समझना और सीखना चाहता हूँ।
इस दौरान मुझे पता चला की ट्रूमीडिया समूह के प्रमुख संपादक डा. ओम प्रकाश प्रजापति जी जुलाई 2019 का ट्रुमीडिया विशेषांक आदरणीय आचार्य संजीव वर्मा सलिल जी के व्यक्तित्व /कृतित्व पर केंद्रित करके प्रकाशित कर रहे हैं। मै अपनी ओर से आचार्य सलिल जी को इसके लिए सहृदय बधाई प्रेषित करता हूँ। और डा. प्रजापति जी का भी धन्यवाद करना चाहता हूँ कि इस माध्यम से वो हमे ऐसे ज्ञानी पुरुष के जीवन और उपलब्धियों के अनछुए पहलुओं को जानने का अवसर प्रदान कर रहे हैं।
पुनः हार्दिक बधाई ।।
सादर,, ओम प्रकाश शुक्ल
महासचिव
युवा उत्कर्ष साहित्यिक मंच(न्यास)
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