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मंगलवार, 28 अगस्त 2012

ॐ श्री राम रक्षा स्तोत्र दोहानुवाद संजीव 'सलिल'



श्री राम रक्षा स्तोत्र दोहानुवाद




दोहा अनुवाद: संजीव 'सलिल'


विनियोग



श्री गणेश-विघ्नेश्वर, रिद्धि-सिद्धि के नाथ ।
चित्र गुप्त लख चित्त में, नमन करुँ नत माथ।।
ऋषि बुधकौशिक रचित यह, रामरक्षास्तोत्र।
दोहा रच गाये सलिल, कायथ कश्यप गोत्र।।
कीलक हनुमत, शक्ति सिय, देव सिया-श्री राम।
जाप और विनियोग यह, स्वीकारें अभिराम।।


ध्यान



दीर्घबाहु पद्मासनी, हों धनु-धारि प्रसन्न।
कमलाक्षी पीताम्बरी, है यह भक्त प्रपन्न।।
नलिननयन वामा सिया, अद्भुत रूप-सिंगार।
जटाधरी नीलाभ प्रभु, ध्याऊँ हो बलिहार।।



श्री रघुनाथ-चरित्र का, कोटि-कोटि विस्तार।
एक-एक अक्षर हरे, पातक- हो उद्धार।१।

नीलाम्बुज सम श्याम छवि, पुलिनचक्षु का ध्यान।
करुँ जानकी-लखन सह, जटाधारी का गान।२।

खड्ग बाण तूणीर धनु, ले दानव संहार।
करने भू-प्रगटे प्रभु, निज लीला विस्तार।३।

स्तोत्र-पाठ ले पाप हर, करे कामना पूर्ण।
राघव-दशरथसुत रखें, शीश-भाल सम्पूर्ण।४।

कौशल्या-सुत नयन रखें, विश्वामित्र-प्रिय कान।
मख-रक्षक नासा लखें, आनन् लखन-निधान।५।

विद्या-निधि रक्षे जिव्हा, कंठ भरत-अग्रज।
स्कंध रखें दिव्यायुधी, शिव-धनु-भंजक भुज।६।

कर रक्षे सीतेश-प्रभु, परशुराम-जयी उर।
जामवंत-पति नाभि को, खर-विध्वंसी उदर।७।

अस्थि-संधि हनुमत प्रभु, कटि- सुग्रीव-सुनाथ।
दनुजान्तक रक्षे उरू, राघव करुणा-नाथ।८।

दशमुख-हन्ता जांघ को, घुटना पुल-रचनेश।
विभीषण-श्री-दाता पद, तन रक्षे अवधेश।९।

राम-भक्ति संपन्न यह, स्तोत्र पढ़े जो नित्य।
आयु, पुत्र, सुख, जय, विनय, पाए खुशी अनित्य।१०।



वसुधा नभ पाताल में, विचरें छलिया मूर्त।
राम-नाम-बलवान को, छल न सकें वे धूर्त।११।

रामचंद्र, रामभद्र, राम-राम जप राम।
पाप-मुक्त हो, भोग सुख, गहे मुक्ति-प्रभु-धाम।१२।

रामनाम रक्षित कवच, विजय-प्रदाता यंत्र।
सर्व सिद्धियाँ हाथ में, है मुखाग्र यदि मन्त्र।१३।

पविपंजर पवन कवच, जो कर लेता याद।
आज्ञा उसकी हो अटल, शुभ-जय मिले प्रसाद।१४।

शिवादेश पा स्वप्न में, रच राम-रक्षा स्तोत्र।
बुधकौशिक ऋषि ने रचा, बालारुण को न्योत।१५।

कल्प वृक्ष, श्री राम हैं, विपद-विनाशक राम।
सुन्दरतम त्रैलोक्य में, कृपासिंधु बलधाम।१६।

रूपवान, सुकुमार, युव, महाबली सीतेंद्र।
मृगछाला धारण किये, जलजनयन सलिलेंद्र।१७।

राम-लखन, दशरथ-तनय, भ्राता बल-आगार।
शाकाहारी, तपस्वी, ब्रम्हचर्य-श्रृंगार।१८।

सकल श्रृष्टि को दें शरण, श्रेष्ठ धनुर्धर राम।
उत्तम रघु रक्षा करें, दैत्यान्तक श्री राम।१९।

धनुष-बाण सोहे सदा, अक्षय शर-तूणीर।
मार्ग दिखा रक्षा करें, रामानुज-रघुवीर।२०।



राम-लक्ष्मण हों सदय, करें मनोरथ पूर्ण।
खड्ग, कवच, शर,, चाप लें, अरि-दल के दें चूर्ण।२१।

रामानुज-अनुचर बली, राम दाशरथ वीर।
काकुत्स्थ कोसल-कुँवर, उत्तम रघु, मतिधीर।२२।

सीता-वल्लभ श्रीवान, पुरुषोतम, सर्वेश।
अतुलनीय पराक्रमी, वेद-वैद्य यज्ञेश।२३।

प्रभु-नामों का जप करे, नित श्रद्धा के साथ।
अश्वमेघ मख-फल मिले, उसको दोनों हाथ।२४।

पद्मनयन, पीताम्बरी, दूर्वा-दलवत श्याम।
नाम सुमिर ले 'सलिल' नित, हो भव-पार सुधाम।२५।

गुणसागर, सौमित्राग्रज, भूसुतेश श्रीराम।
दयासिन्धु काकुत्स्थ हैं, भूसुर-प्रिय निष्काम।२६क।

अवधराज-सुत, शांति-प्रिय, सत्य-सिन्धु बल-धाम।
दशमुख-रिपु, रघुकुल-तिलक, जनप्रिय राघव राम।२६ख।

रामचंद्र, रामभद्र, रम्य रमापति राम।
रघुवंशज कैकेई-सुत, सिय-प्रिय अगिन प्रणाम।२७।

रघुकुलनंदन राम प्रभु, भरताग्रज श्री राम।
समर-जयी, रण-दक्ष दें, चरण-शरण श्री धाम।२८।

मन कर प्रभु-पद स्मरण, वाचा ले प्रभु-नाम।
शीश विनत पद-पद्म में, चरण-शरण दें राम।२९।

मात-पिता श्री राम हैं, सखा-सुस्वामी राम।
रामचंद्र सर्वस्व मम, अन्य न जानूं नाम।३०।



लखन सुशोभित दाहिने, जनकनंदिनी वाम।
सम्मुख हनुमत पवनसुत, शतवंदन श्री राम।३१।

जन-मन-प्रिय, रघुवीर प्रभु, रघुकुलनायक राम।
नयनाम्बुज करुणा-समुद, करुनाकर श्री राम।३२।

मन सम चंचल पवनवत, वेगवान-गतिमान।
इन्द्रियजित कपिश्रेष्ठ दें, चरण-शरण हनुमान।३३।

काव्य-शास्त्र आसीन हो, कूज रहे प्रभु-नाम।
वाल्मीकि-पिक शत नमन, जपें प्राण-मन राम।३४।

हरते हर आपद-विपद, दें सम्पति, सुख-धाम।
जन-मन-रंजक राम प्रभु, हे अभिराम प्रणाम।३५।

राम-नाम-जप गर्जना, दे सुख-सम्पति मीत।
हों विनष्ट भव-बीज सब, कालदूत भयभीत।३६।

दैत्य-विनाशक, राजमणि, वंदन राम रमेश।
जयदाता शत्रुघ्नप्रिय, करिए जयी हमेश।३७ क।

श्रेष्ठ न आश्रय राम से, 'सलिल' राम का दास।
राम-चरण-मन मग्न हो, भव-तारण की आस।
३७ ख।३७ख।

विष्णुसहस्त्रनाम सम, पावन है प्रभु-नाम।
रमे राम के नाम में, सलिल-साधना राम।
३८।३८।

मुनि बुधकौशिक ने रचा, श्री रामरक्षास्तोत्र।
'शांति-राज'-हित यंत्र है, भाव-भक्तिमय ज्योत।
३९।

आशा होती पूर्ण हर, प्रभु हों सत्य सहाय।
तुहिन श्वास हो नर्मदा, मन्वंतर गुण गाय।
४०।४०।



राम-कथा मंदाकिनी, रामकृपा राजीव।
राम-नाम जप दे दरश, राघव करुणासींव।४१।


*********
Acharya Sanjiv verma 'Salil'
०७६१ २४१११३१ / ९४२५१८३२४४
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in

14 टिप्‍पणियां:

- kiran5690472@yahoo.co.in ने कहा…

- kiran5690472@yahoo.co.in

Salil Ji,

aap ki lekhni ko shat shat pranam !!

sn Sharma ✆ ने कहा…

sn Sharma ✆ द्वारा yahoogroups.com

kavyadhara


अ० आचार्य जी,
अति सुन्दर दोहानुवाद
मन गा उठा चित्रों और दोहों को पढ़ कर |
एक चौपाई प्रस्तुत -
महिमा कस वर्णहुं भगवंता
नेति नेति गावहीं श्रुति संता
कमल

Indira Pratap ✆ ने कहा…

Indira Pratap ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara


bahut bahut dhanyvad, bahut dinon se ram raksha strot ke hindi anuvad ki talash thi.
sanskrit men meri gati bahut kam hai.
aaj bahut prassann huun .

Pranava Bharti ✆ ने कहा…

pranavabharti@gmail.com द्वारा yahoogroups.com kavyadhara


आ.सलिल जी,
मैं ठीक प्रकार से आज पढ़ पाई हूँ|कहाँ?कैसे आपकी लेखनी को नमन करूं?
कहाँ से शुरू करूं..... लेखनी थम जाती है, विचार चिपक जाते है, शब्द तो साथ ही नहीं देते|
बिनती बारंबार है, हे श्री प्रभु महाराज,
सबको ही संपन्न रख,पूर्ण करें सब काज|
चिंता छोड़ें देह की, पायें आत्मा-ज्ञान ,
जीवन सफल बनाइए,सबका हो कल्याण||
बहुत सुंदर ,सटीक भावानुवाद के लिए
हृदय से कृतज्ञ :-
प्रणव

manju bhatnagar ने कहा…



आचार्य जी,
मैं तो हतप्रभ हूँ , देख आपके गुण अपरंपार|
वंदन स्वीकारें आचार्यवर, कोटि-कोटि बारम्बार||
भेजा जिस स्नेहवश सूत्र राम का हमारे रक्षार्थ,
कृतार्थ हुए उस स्नेह के,किया कार्य परमार्थ||
आपकी प्रतिभा और लेखनी का रहे सदैव साथ |
कुछ प्रसाद हम भी पा जाएँ, ऐसा वर दो नाथ||
सादर
मंजु महिमा.

Santosh Bhauwala ने कहा…





आदरणीय सलिल जी,
अति उत्तम !!! नमन
संतोष भाऊवाला

deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com ने कहा…

deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

kavyadhara
संजीव जी बहुत सराहनीय कार्य किया है ! लेकिन इसका अनुवाद कहाँ हैं -

चरितं रघुनाथस्य शत कोटि प्रविस्तरम्
एकैकं अक्षरम् पुंसां महापातक नाशनम्...
ध्यात्वा नीलोत्पम् श्यामं ...... (बहुत बड़ा है)

जानने के लिए इच्छुक
सादर,
दीप्ति

sanjiv verma 'salil' ने कहा…

श्री रघुनाथ-चरित्र का, कोटि-कोटि विस्तार।
एक-एक अक्षर हरे, पातक- हो उद्धार।१।

नीलाम्बुज सम श्याम छवि, पुलिनचक्षु का ध्यान।
करुँ जानकी-लखन सह, जटाधारी का गान।२।

- sosimadhu@gmail.com ने कहा…

- sosimadhu@gmail.com

आ सलिल जी
.श्री राम रक्षा स्त्रोत हम गाते है परन्तु आपका दिया अनुवाद प्रिंट करके हम अपनी मंगल वार की साप्ताहिक सुन्दर कांड कथा में शामिल करेंगे । धन्यवाद ।
मधु

sanjiv verma 'salil' ने कहा…

आपका आधार शत-शत... किसी रचना को इससे अधिक सम्मान और क्या दिया जा सकता... एक निवेदन कि स्तित्र के अज्ञान में कहीं बाधा हो तो इंगित करें ताकि उसे दूर किया जा सके. आपकी गुणग्राहकता को नमन.

deepti gupta ✆ ने कहा…

deepti gupta ✆ द्वारा yahoogroups.com

kavyadhara


बहुत उत्तम !

सादर नमन !
दीप्ति

Santosh Bhauwala ✆ ने कहा…

Santosh Bhauwala ✆ द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
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आदरणीय सलिल जी,
अति उत्तम !!! नमन
संतोष भाऊवाला

- manjumahimab8@gmail.com ने कहा…

- manjumahimab8@gmail.com

आचार्य जी,
मैं तो हतप्रभ हूँ , देख आपके गुण अपरंपार |
वंदन स्वीकारें आचार्यवर, कोटि-कोटि बारम्बार ||
भेजा जिस स्नेहवश सूत्र राम का हमारे रक्षार्थ,
कृतार्थ हुए उस स्नेह के,किया कार्य परमार्थ||
आपकी प्रतिभा और लेखनी का रहे सदैव साथ |
कुछ प्रसाद हम भी पा जाएँ, ऐसा वर दो नाथ||
सादर
मंजु महिमा.
--
शुभेच्छु
मंजु

Pranava Bharti ✆ ने कहा…

pranavabharti@gmail.com द्वारा yahoogroups.com kavyadhara


आ.सलिल जी,
मैं ठीक प्रकार से आज पढ़ पाई हूँ|कहाँ?कैसे आपकी लेखनी को नमन करूं?
कहाँ से शुरू करूं.....लेखनी थम जाती है,विचार चिपक जाते है,शब्द तो साथ ही नहीं देते|
बिनती बारंबार है,हे श्री प्रभु महाराज,
सबको ही संपन्न रख,पूर्ण करें सब काज|
चिंता छोड़ें देह की , पायें आत्मा-ज्ञान ,
जीवन सफल बनाइए,सबका हो कल्याण||
बहुत सुंदर ,सटीक भावानुवाद के लिए
हृदय से कृतज्ञ :-
प्रणव