बधाई गीत:
सूरज ढोल बजाये...
संजीव 'सलिल'
*
सूरज ढोल बजाये,
उषा ने गाई बधाई...
*
मैना लोरी मधुर सुनाये,
तोता पढ़े चौपाई, उषा ने गाई बधाई...
*
गौरैया उड़ खाय कुलाटी,
कोयल ने ठुमरी सुनाई, उषा ने गाई बधाई...
*
कान्हा पौढ़े झूलें पालना,
कपिला ने टेर लगाई, उषा ने गाई बधाई...
*
नन्द बबा मन में मुसकावें,
जसुदा ने चादर उढ़ाई, उषा ने गाई बधाई...
*
गोप-गोपियाँ भेंटन आये,
शोभा कही न जाई, उषा ने गाई बधाई...
*
भोले आये, लाल देखने,
मैया ने कर दी मनाई, उषा ने गाई बधाई...
*
लल्ला रोया, मैया चुपायें,
भोले ने बात बनाई, उषा ने गाई बधाई...
*
ले आ मैया नजर उतारूँ,
बडभागिनी है माई, उषा ने गाई बधाई...
*
कंठ लगे किलकारी मारें,
हरि हर, विधि चकराई, उषा ने गाई बधाई...
*
सूरज ढोल बजाये...
संजीव 'सलिल'
*
सूरज ढोल बजाये,
उषा ने गाई बधाई...
*
मैना लोरी मधुर सुनाये,
तोता पढ़े चौपाई, उषा ने गाई बधाई...
*
गौरैया उड़ खाय कुलाटी,
कोयल ने ठुमरी सुनाई, उषा ने गाई बधाई...
*
कान्हा पौढ़े झूलें पालना,
कपिला ने टेर लगाई, उषा ने गाई बधाई...
*
नन्द बबा मन में मुसकावें,
जसुदा ने चादर उढ़ाई, उषा ने गाई बधाई...
*
गोप-गोपियाँ भेंटन आये,
शोभा कही न जाई, उषा ने गाई बधाई...
*
भोले आये, लाल देखने,
मैया ने कर दी मनाई, उषा ने गाई बधाई...
*
लल्ला रोया, मैया चुपायें,
भोले ने बात बनाई, उषा ने गाई बधाई...
*
ले आ मैया नजर उतारूँ,
बडभागिनी है माई, उषा ने गाई बधाई...
*
कंठ लगे किलकारी मारें,
हरि हर, विधि चकराई, उषा ने गाई बधाई...
*
10 टिप्पणियां:
आज दर्श आया अंगन में
ले अनंत खुशियाँ जीवन में.....उषा ने गाई बधाई...
mstsagar@ gmail.com द्वारा yahoogroups. com ekavita
बधाई
चित-चोर ,माखन-चोर ,cute
Pranava Bharti ✆ pranavabharti@gmail.com द्वारा yahoogroups.com ekavita
आ.सलिल जी ,
जन्माष्ठमी के शुभ पर्व पर ,नयी तान सुनाई,
आपको ढेर सी हो बधाई |
सादर
प्रणव
sanjiv verma salil ✆ ekavita
प्रणव जी!
वंदन
स्व. माताजी गाया करती थीं इस तरह के लोक गीत... स्वयं रचती भी थीं. आप चाहें तो उन्हें प्रस्तुत करूँ...
- manjumahimab8@gmail.com
इस सुन्दर छवि और बधाई गीत के लिए आपको भी शत-शत बधाई.
लोकगीत हमारी लोक परम्परा को संजोते हुए, आज भी सुरक्षित रखे हुए हैं, सच ही अच्छा लगेगा हमें जो आप उन गीतों का हमें भी रसास्वादन करने का अवसर दें.
सादर
मंजु महिमा.
--
शुभेच्छु
मंजु
'तुलसी क्यारे सी हिन्दी को,
हर आँगन में रोपना है.
यह वह पौधा है जिसे हमें,
नई पीढ़ी को सौंपना है. '
---मंजु महिमा
यदि आप हिन्दी में ज़वाब देना चाहते हैं तो हिन्दी में लिखने के लिए एक आसान तरीका , कृपया इस लिंक की सहायता लें
http://www.google.com/transliterate/indic
achal verma ✆ ekavita
आ. आचार्य जी ,
बहुत ही सुन्दर लोक गीत ।
सदा की तरह मन मोह लेने वाला भजन ।
achal verma ✆ ekavita
माँ को प्रणाम , वो जहां भी हैं ।
असीम आनंद दाई भजन ।
अचल वर्मा
आ.सलिल जी
सादर प्रणाम
कल पूरे दिन अस्वस्थता में बनी रही|
क्षमा कीजिए आपको उत्तर नहीं दे सकी|
आपके पास हर प्रकार का इतना खजाना है कि आप जितना लुटाएंगे, वह निकलता ही रहेगा|
इससे अच्छा क्या होगा कि सबको लाभ मिल सके|
मेरे मन में एक बात आई थी कि यदि 'स्मृति', 'वंदन','नमन',अथवा 'श्रद्धान्जली'
जैसा कोई 'कॉलम' बना लें और उसमें 'स्मृति -गीतों' को रखें, मंजू जी के सुझावानुसार
एक लोक -गीतों का 'कॉलम'तैयार हो सकता है|तो कैसा रहेआप सब सुधीजन इस बारे में विमर्श कर सकते हैं|
मेरे पास लोक- गीत सुलभ नहीं हो सकेंगे|
लोक-गीतों में तो यह भ़ी हो सकता है कि किसी भ़ी भाषा के हों उन्हें देवनागरी लिपि में लिखकर
उनका अनुवाद साथ दिया जाए|अधिक स्पष्टता हो सकेगी,मेरे जैसे लोगों को समझने में सहूलियत हो सकेगी|
सादर
प्रणव भारती
प्रणव जी!
वंदन
स्व. माताजी गाया करती थीं इस तरह के लोक गीत... स्वयं रचती भी थीं. आप चाहें तो उन्हें प्रस्तुत करूँ...
आपने मेरे मन की बात की... लोकगीत दे सकूँगा... पारंपरिक के साथ खड़ी हिंदी में सामयिक विषयवस्तु के साथ भी... आवश्यकता है कुछ शिक्षकों की जो उन्हें शालेय प्रतियोगिताएं में प्रयोग करें... ताकि नव पीढ़ी संस्कारित हो. संभव हो तो दिन वार ७-७ स्तम्भ गद्य-पद्य में निर्धारित हों ताकि तदनुसार सामग्री प्रस्तुति में व्यवस्था हो सके. हर स्तम्भ संचालक के ई मेल आई डी दिया जाए ताकि सामग्री संचालक को मिले. वह अधिक सामग्री आने पर क्रमवार उपयोग करे... सामग्री संचालक भी दे पाठक भी...
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