स्वतंत्रता दिवस पर विशेष गीत:
सारा का सारा हिंदी है
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जो कुछ भी इस देश में है, सारा का सारा हिंदी है.
हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्ज्वल बिंदी है....*
मणिपुरी, कथकली, भरतनाट्यम, कुचपुडी, गरबा अपना है.
लेजिम, भंगड़ा, राई, डांडिया हर नूपुर का सपना है.
गंगा, यमुना, कावेरी, नर्मदा, चनाब, सोन, चम्बल,
ब्रम्हपुत्र, झेलम, रावी अठखेली करती हैं प्रति पल.
लहर-लहर जयगान गुंजाये, हिंद में है और हिंदी है.
हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्ज्वल बिंदी है....
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मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा, गिरजा सबमें प्रभु एक समान.
प्यार लुटाओ जितना, उतना पाओ औरों से सम्मान.
स्नेह-सलिल में नित्य नहाकर, निर्माणों के दीप जलाकर.
बाधा, संकट, संघर्षों को गले लगाओ नित मुस्काकर.
पवन, वन्हि, जल, थल, नभ पावन, कण-कण तीरथ, हिंदी है.
हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्ज्वल बिंदी है....
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जै-जैवन्ती, भीमपलासी, मालकौंस, ठुमरी, गांधार.
गजल, गीत, कविता, छंदों से छलक रहा है प्यार अपार.
अरावली, सतपुडा, हिमालय, मैकल, विन्ध्य, उत्तुंग शिखर.
ठहरे-ठहरे गाँव हमारे, आपाधापी लिए शहर.
कुटी, महल, अँगना, चौबारा, हर घर-द्वारा हिंदी है.
हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्ज्वल बिंदी है....*
सरसों, मका, बाजरा, चाँवल, गेहूँ, अरहर, मूँग, चना.
झुका किसी का मस्तक नीचे, 'सलिल' किसी का शीश तना.
कीर्तन, प्रेयर, सबद, प्रार्थना, बाईबिल, गीता, ग्रंथ, कुरान.
गौतम, गाँधी, नानक, अकबर, महावीर, शिव, राम महान.
रास कृष्ण का, तांडव शिव का, लास्य-हास्य सब हिंदी है.
हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्ज्वल बिंदी है....
*
ट्राम्बे, भाखरा, भेल, भिलाई, हरिकोटा, पोकरण रतन.
आर्यभट्ट, एपल, रोहिणी के पीछे अगणित छिपे जतन.
शिवा, प्रताप, सुभाष, भगत, रैदास कबीरा, मीरा, सूर.
तुलसी. चिश्ती, नामदेव, रामानुज लाये खुदाई नूर.
रमण, रवींद्र, विनोबा, नेहरु, जयप्रकाश भी हिंदी है.
हर हिंदी भारत माँ के माथे की उज्ज्वल बिंदी है....
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Acharya Sanjiv verma 'Salil'
http://divyanarmada.blogspot.com
http://hindihindi.in
9 टिप्पणियां:
praful patel
Happy Black Money to Congress for 65yrs gaddary day
- Baba Anna Swamy all not known to congress & public Gadar hoist flag
बहुत सुन्दर रचना...
स्वतंत्रता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएँ
sn Sharma ✆ ahutee@gmail.com द्वारा yahoogroups.com kavyadhara
आ० आचार्य जी,
इतने सशक्त और बहुआयामी रष्ट्रीय-गीत के लिये आपकी लेखनी को नमन पूरे भारत की गागर आपके शब्द-सागर से भर गई इस राष्ट्रीय पर्व पर आपको शत शत शुभ-कामनाएं
कमल
- pindira77@yahoo.co.in की छवियां हमेशा प्रदर्शित करें
आदरणीय संजीव जी , आपकी रचित स्वतंत्रता दिवस की रचनाओं ने एक बार फिर स्कूल के दिनों की याद दिला दी | जब सरल मन से देश भक्ति के गीतों से इस दिन सराबोर हो जाते थे तब यह केवल एक परंपरा निर्वाह नहीं होता था वरन कुछ कर गुजरने का मन में जोश भर देता था |आप तो सच में सरस्वती के वरद पुत्र हैं --- शत शत नमन
Regards,
Indira
Pranava Bharti✆द्वाराyahoogroups.com kavyadhara
आ.सलिल जी.
आपको इस विशेष पर्व का हार्दिक अभिनन्दन|
कहाँ-कहाँ से चुन चुनकर इतनी प्यारी तस्वीरें ले आते हैं आप?
और उन पर कर्पूर की भांति शब्द.........
आपको वंदन,नमन ........
सादर
प्रणव भारती
drdeepti25@yahoo.co.in द्वारा yahoogroups.com vicharvimarsh
आदरणीय संजीव जी,
आपने इस अनूठे गीत में सभी कुछ समेट लिया, कुछ नहीं छोड़ा ! आपकी सृजन धर्मिता अति सराहनीय है !
ढेर शुभकामनाओं के साथ ,
दीप्ति
Pranava Bharti ✆ द्वारा yahoogroups.com vicharvimarsh
आ.सलिल जी ,
दिया है रचना ने आभास ,
यहाँ पर सब कुछ ही तो ख़ास |
यहाँ का खान-पान व्यवहार,
हमारे जीवन का आधार |
यहाँ के पर्वत,नदियाँ,वेश,
हमें देते जीवन-संदेश|
मगर बस चुभती है ये बात ,
नहीं हम दे पाते क्यों साथ?
छू सकेगा जब मन को स्नेह ,
तभी पायेंगे उज्ज्वल नेह|
खुले कर पायें मन के द्वार ,
स्वतन्त्रता का होवे अधिकार|
सभी को वंदन हो स्वीकार,
स्वतन्त्रता का अद्भुत त्यौहार|
सबको शुभकामनाएं स्वीकार हों
सादर
प्रणव भारती
binu.bhatnagar@gmail.com
स्वतन्त्रता दिवस के अनमोल तोहफे हैं ये कवितायें।
kamlesh kumar diwan
achcha hai
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