कुण्डलियाँ:
भारत के गुण...
संजीव 'सलिल'
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भारत के गुण गाइए, मतभेदों को भूल.
फूलों सम मुस्काइये, तज भेदों के शूल..
तज भेदों के, शूल अनवरत, रहें सृजनरत.
मिलें अंगुलिका, बनें मुष्टिका, दुश्मन गारत..
तरसें लेनें. जन्म देवता, विमल विनयरत.
'सलिल' पखारे, पग नित पूजे, माता भारत..
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भारत के गुण गाइए, ध्वजा तिरंगी थाम.
सब जग पर छा जाइये, बढ़ा देश का नाम..
बढ़ा देश का नाम, प्रगति का चक्र चलायें.
दण्ड थाम उद्दंड शत्रु को सबक सिखायें..
बलिदानी केसरिया की जयकार करें शत.
हरियाली सुख, शांति श्वेत मुस्काए भारत..
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